राजस्थान: दलित सरपंच को अपमानित करने वाले मामले में 11 गिरफ्तार, प्रशासन की चेतावनी पर अब बहिष्कार वापसी

जिस पंचायत भवन में 'पंचायती' कर परिवार का हुक्का- पानी बंद किया गया, प्रशासन ने प्रमुख लोगों को वहीं, बुलाया। पुलिस ने चेताया कि रविवार को पंचायत परिसर में बैठक करें और सरपंच परिवार का सामाजिक बहिष्कार वापस लें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।
पंचायत के फरमान के बाद सरपंच के परिवार को उनके घरों तक सीमित कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी दैनिक दिनचर्या की सामान्य स्थिति बाधित हो गई है।
पंचायत के फरमान के बाद सरपंच के परिवार को उनके घरों तक सीमित कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी दैनिक दिनचर्या की सामान्य स्थिति बाधित हो गई है।फोटो साभार- दैनिक भास्कर

नागौर: राजस्थान ने नागौर जिले के दांतिना ग्राम पंचायत क्षेत्र में एक दलित सरपंच के साथ अपमानजनक व्यवहार करने के एक मामले में पुलिस ने 11 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. साथ ही टीमें बनाई गई है जो कई जगह दबिश देकर शेष आरोपियों को खोज रही है.

गौरतलब है कि गाँव में कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में 9 दिसंबर को पंचायत बुलाई गई थी जहाँ दलित सरपंच श्रवण राम मेघवाल को 20 मिनट तक एक पैर पर खड़ा रखा गया, उसे पूरे परिवार के साथ गाँव के सामने हाथ जोड़ कर माफ़ी मंगवाई गई. कथित तौर पर ऊंची जाति के सदस्यों के नेतृत्व वाली खाप पंचायत ने सरपंच के परिवार के लिए 'हुक्का-पानी' बंद का भी फरमान जारी किया. सरपंच के साथ ये बर्ताव इसलिए किया गया क्यूंकि उसके भाई मूलाराम और एक अन्य व्यक्ति पर एक माह पूर्व गाँव के ही एक राजपूत समाज के युवक जीतू सिंह की हत्या का आरोप है. दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था लेकिन तब से ही दलित सरपंच पर दबाव बनाया जा रहा था जिसकी परिणिति परिवार को बहिष्कृत कर उनका हुक्का-पानी बंद करने के फरमान के साथ हुआ.

घटना से जुड़े एक वीडियो के वायरल होने के बाद से खाप पंचायत की इस अन्यायपूर्ण कारवाई की खूब निन्दा हो रही है जिसके बाद से जिला और पुलिस प्रशासन पर भी दोषियों के विरुद्ध कारवाई का दबाव बढ़ने लगा. सरपंच श्रवण राम मेघवाल ने 12 दिसंबर को पचौड़ी पुलिस थाने में मामले में करीब 50 लोगों के खिलाफ शिकायत दी थी।

इस मामले में द मूकनायक ने नागौर जिले के पुलिस अधीक्षक नारायण तोगस से विस्तृत बात की. उन्होंने बताया कि ये पारिवारिक और राजनितिक रंजिश का मामला है. जीतू सिंह करीब डेढ़ साल पहले दलित सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया था, जीतू सिंह और मूलाराम के बीच खेत के रास्ते को लेकर भी एक विवाद था जिसको लेकर झगड़े में नवम्बर 6 को जीतू सिंह की हत्या हो गई जिसके आरोप में मूलाराम और ओमाराम मेघवाल को गिरफ्तार किया गया.

इस घटना के बाद गाँव के पूर्व सरपंच शेराराम, उपसरपंच भागवत सांखला और सहयोगियों के कहने पर पंचायत बुलाई गई जिसमे कथित तौर पर हुक्का पानी बंद का फरमान दिया गया है , हालांकि पुलिस अधीक्षक का कहना है कि गाँव में सामाजिक बहिष्कार जैसी कोई स्थिति नहीं है और समुदायों में पहले जेसे ही मेल मिलाप है.

" जब मेरे संज्ञान में मामला आया तो मैंने इसपर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए, एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है. अब तक 11लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जो फरार हैं उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं.' एसपी तोगस ने मूकनायक को जानकारी दी। शनिवार की सुबह DySP सहित उप-विभागीय अधिकारियों (एसडीओ) को शांति वार्ता और प्रभावित परिवार को सांत्वना देने के लिए गांव भेजा गया।

समुदाय सकते में, परिवार अपने ही घर कैद

जानकारी के मुताबिक पूर्व सरपंच शेराराम, उपसरपंच भागवत सांखला और कुछ सहयोगियों के नेतृत्व में खाप पंचायत ने यह फैसला पारित कर 35 वर्षीय सरपंच श्रवण राम मेघवाल को हाथ जोड़कर माफी मांगने और पूरे गांव के सामने एक पैर पर खड़े होने के लिए मजबूर किया. इसके अतिरिक्त सरपंच पर 5 लाख का जुर्माना लगाया गया था, और गाव वालों को कड़े निर्देश जारी किए गए थे कि वे सरपंच के परिवार के साथ मेल जोल ना रखें, मिलने-जुलने पर प्रतिबंध और सभी सामाजिक संबंधों को पूरी तरह से तोड़ देने को कहा गया और ऐसा नहीं करने वालों को भी गाँव से बेदखल किये जाने की ताकीद जारी की. गांव के निवासी जहां भयभीत हैं वहीं करीब 50 सदस्यों वाला सरपंच परिवार खाप पंचायत के फरमान से सदमे में है।

पंचायत के फरमान के बाद दो सप्ताह से सरपंच परिवार अपने घरों तक सीमित है, जिसके कारण उनकी दौनिक दिनचर्या बाधित हो गई है। विशेष रूप से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे, किराने की दुकानों से सामान नही मिल रहा था और परिवार की महिलाओं को कथित तौर पर दूर के स्रोतों से पानी लाने के लिए मजबूर हैं जिससे परिवार के सामने चुनौतियां और बढ़ गईं।

इस घटना ने समुदाय को भी चौंका दिया है, जिससे पारंपरिक सामुदायिक संरचनाओं - पंचायत जैसी संस्था के दुरुपयोग और जाति-आधारित भेदभाव आदि को लेकर चिंताएं बढ़ गई है। स्थानीय अधिकारियों पर अब तुरंत हस्तक्षेप करने और प्रभावित परिवार के लिए न्याय सुनिश्चित करने का दबाव है।

दलित सरपंच के अपमान के बाद सामाजिक सद्बभाव बहाली के प्रयास

दलित सरपंच के अपमान से जुड़ी त्वरित कार्रवाई में अधिकारियों ने मामले से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा गांव में सामाजिक सद्भाव बहाल करने के प्रयास भी जारी हैं.

शनिवार को जिला प्रशासन हरकत में आया। सीआईडी-सीबी, एएसपी और नायब तहसीलदार पहुंचे। सभी ने पीड़ित सरपंच श्रवणराम मेघवाल के परिवार से बातचीत की। जिस पंचायत भवन में 'पंचायती' कर परिवार का हुक्का- पानी बंद किया गया, प्रशासन ने प्रमुख लोगों को वहीं, बुलाया। पुलिस ने चेताया कि रविवार को पंचायत परिसर में बैठक करें और सरपंच परिवार का सामाजिक बहिष्कार वापस लें। अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।

एसपी नारायण तोगस ने बताया , "हम प्रभावित परिवार और समुदाय को बड़े पैमाने पर शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। वर्तमान में, बहिष्कार का कोई माहौल नहीं है; मेघवाल समुदाय और ग्रामीण एक-दूसरे के साथ जुड़ रहे हैं, जैसा कि वे सामान्य रूप से करते हैं। एक औपचारिक प्रक्रिया में सरपंच मेघवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया अपनाई गई है जिसपर जिला परिषद को एक पत्र भेजा गया है। स्थिति को सामान्य बनाने के लिए, एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और उप-विभागीय अधिकारी (एसडीओ) गांव गए। शांति वार्ता की गई जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरपंच के परिवार को कोई सामाजिक बाधा न हो और समुदाय में सद्भाव बना रहे।"

भारत में दलित सरपंचों के साथ हुई अपमानजनक घटनाएं

  • तमिलनाडु (अप्रैल 2023): तमिलनाडु में 114 आरक्षित पंचायतों में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि दलित पंचायत अध्यक्षों को जाति-आधारित उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, जिसमें मौखिक दुर्व्यवहार से लेकर शारीरिक हमले तक शामिल हैं। दुख की बात है कि इस तरह के उत्पीड़न के कारण एक पंचायत नेता की जान चली गई।

  • मध्य प्रदेश (जुलाई 2023): शिवपुरी जिले में एक दलित महिला सरपंच को कथित तौर पर तीन लोगों ने कीचड़ में खींचकर जूतों से पीटा। एक आधिकारिक प्रतिक्रिया में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम सहित संबंधित प्रावधानों के तहत आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

  • जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में एक दलित सरपंच कमलेश भगत ने स्थानीय प्रशासन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और जाति आधारित भेदभाव का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने जिला अधिकारियों, लेफ्टिनेंट गवर्नर और भारत के राष्ट्रपति को पत्रों के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर की.

  • गुजरात (2017): अमरेली जिले के एक दलित सरपंच जयसुख मधाड की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वह चेतावनी के बावजूद चुनाव लड़े. सरपंच चुनावों में मधाद की जीत के कारण तीन महीने बाद उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी गई।

  • महाराष्ट्र (अगस्त 2016): बीड के बंकरंजा गांव में, उच्च जाति के लोगों ने एक निर्वाचित दलित सरपंच को बाहर कर दिया और उसकी जगह अपनी पसंद के प्रतिनिधि को नियुक्त किया, जो दलित समुदाय के भीतर स्वतंत्र आवाज़ों को दबाने वाली चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

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