उत्तर प्रदेश: मेरठ जिले की एक विशेष (पॉक्सो एक्ट) अदालत ने एक 45 वर्षीय व्यक्ति को दलित युवक की ज़हर देकर हत्या करने के मामले में कठोर उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। अदालत ने यह फैसला उस घटना के संदर्भ में दिया, जब आरोपी ने 2011 में मृतक की नाबालिग बेटी से दुष्कर्म की कोशिश की थी और इसके खिलाफ मामला दर्ज कराने पर पिता की हत्या कर दी गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मृतक की उम्र 35 वर्ष थी और उसका शव 20 अप्रैल 2011 को मेरठ शहर की एक नाली में मिला था। यह घटना उस समय हुई थी जब एक दिन पहले ही, 19 अप्रैल 2011 को, उसने आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था।
एडीजीसी अमित धामा ने बताया कि आरोपी ने उस दिन मृतक की नाबालिग बेटी से घर में अकेलेपन का फायदा उठाकर दुष्कर्म की कोशिश की थी। लड़की के माता-पिता, जो मज़दूरी का काम करते थे, उस समय घर पर मौजूद नहीं थे। शिकायत दर्ज होने के बाद आरोपी ने पीड़ित परिवार को केस वापस लेने की धमकी दी थी। लेकिन अगले ही दिन, लड़की का पिता घर से काम पर निकला और कुछ ही घंटों बाद उसका शव नाली में मिला।
जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि मृतक शराब पीने का आदी था। आरोपी ने उसे बातचीत के बहाने बुलाया और शराब में ज़हर मिलाकर पिला दिया। इसी ज़हरीली शराब के सेवन से उसकी मौत हो गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसी तरह की चोट का ज़िक्र नहीं था, जिससे मौत का कारण साफ़ नहीं हो सका। शव के अंग सुरक्षित रखे गए और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि शरीर में ज़हर मौजूद था।
इससे पहले आरोपी को दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया जा चुका था और उसे सात साल की सज़ा सुनाई गई थी। अब, बुधवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद असलम सिद्दीकी की अदालत ने उसे हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद और 70,000 रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई।
अदालत ने दया की अपील खारिज करते हुए टिप्पणी की कि यह अपराध बेहद जघन्य है। अदालत ने कहा, “ऐसे मामलों में अदालत का दायित्व है कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए कठोर सज़ा दी जाए, ताकि कानून का उद्देश्य पूरा हो और समाज को संदेश मिले कि इस तरह के अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।”
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