
बेलगावी- कर्नाटक के बेलगावी में रानी चन्नम्मा यूनिवर्सिटी (आरसीयू) ने एक दलित पीएचडी स्कॉलर को यौन उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव की आग में झोंक दिया। यौन शिकायत करने वाली स्कॉलर की पहचान उजागर कर उसकी गोपनीयता का उल्लंघन किया। इतना ही नहीं, यूनिवर्सिटी ने उसकी डिग्री भी रोक दी जिससे हताश होकर इस 34 वर्षीय इतिहास विभाग की रिसर्चर ने 30 नवम्बर की रात 19 से ज्यादा नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया।
पीड़िता ने अपने गाइड पर सेक्शुअल हैरासमेंट का आरोप लगाया था, लेकिन शिकायत के बाद वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार द्वारा महीनों की मानसिक और जातिगत प्रताड़ना ने उन्हें तोड़ दिया। अस्पताल में भर्ती स्कॉलर की हालत अब स्थिर है, लेकिन विवाद के बाद यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को डिग्री जारी करने का ऐलान किया।
पीड़िता ने नवंबर 2021 में आरसीयू के इतिहास विभाग में पीएचडी शुरू की। मार्च 2025 में थिसिस जमा की और मई 2025 में वाइवा वॉइस के बाद पीएचडी नोटिफिकेशन जारी हुआ। सभी शैक्षणिक औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद हाल ही में गवर्नर थावरचंद गहलोत की मौजूदगी वाले कन्वोकेशन में उन्हें डिग्री नहीं दी गई। परिवार का दावा है कि यह जानबूझकर किया गया क्योंकि स्कॉलर ने अपने गाइड प्रो. केएलएन मूर्ति पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
जुलाई 2025 में आंतरिक शिकायत समिति ने रिपोर्ट सौंपी, जिसमें आरोपों को प्रथम दृष्टया सत्य पाया गया। सिंडिकेट ने जांच के आदेश दिए और प्रारंभिक रिपोर्ट में मूर्ति को दोषी ठहराते हुए निलंबित कर दिया। लेकिन बाद में मानसिक अस्थिरता का हवाला देकर स्कॉलर ने शिकायत वापस ले ली। इसके बाद रजिस्ट्रार संतोष कामगौड़ा ने शो-कॉज नोटिस जारी किया, जिसमें डिग्री रोकने का जिक्र था। स्कॉलर ने इसे धमकी माना। वीसी प्रो. सीएम त्यागराज और रजिस्ट्रार पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा गया कि 26 अन्य स्कॉलर्स (विभिन्न जातियों से) को डिग्री दी गई, लेकिन दलित स्कॉलर को टारगेट किया गया।
रविवार शाम चिक्कोदी स्थित घर पर स्कॉलर ने 19 स्लीपिंग पिल्स खा लीं। परिवार ने तुरंत बेलगावी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (बीआईएमएस) पहुंचाया, जहां इमरजेंसी ट्रीटमेंट के बाद हालत स्थिर हो गई। चिक्कोदी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया। पीडिता के पति ने कहा, "मेरे दो बच्चे हैं। अगर मेरी पत्नी को कुछ हो गया, तो मैं यूनिवर्सिटी कैंपस में ही जान दे दूंगा।"
यूनिवर्सिटी ने दावा किया कि डिग्री नहीं रोकी गई, बल्कि 3,000 रुपये कन्वोकेशन फीस न चुकाने से सर्टिफिकेट मिस हो गया। लेकिन पत्रकारों ने ऑनलाइन पेमेंट का प्रमाण दिखाया, जिस पर वीसी-रजिस्ट्रार चकरा गए। गुरुवार को इमरजेंसी सिंडिकेट मीटिंग हुई जिसमें फैसला लिया गया कि मानवीय आधार पर डिग्री जारी होगी ताकि यूनिवर्सिटी की छवि खराब होने से बचे। वीसी त्यागराज ने पत्रकारों को बताया, "सिंडिकेट ने यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा बचाने के लिए सर्टिफिकेट जारी करने का रिजॉल्व किया है।" साथ ही मूर्ति को मेंटल हैरासमेंट के आरोप में अनिवार्य रिटायरमेंट का आदेश भी दिया।
लेकिन जातिगत आरोपों पर कोई सफाई नहीं दी और इससे इंकार कर दिया । यौन शिकायत में स्कॉलर की पहचान उजागर करने को लेकर किये सवाल पर अधिकारीगण कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। रजिस्ट्रार ने शो-कॉज को "सिर्फ स्पष्टीकरण" बताया। घटना के बाद बेलगावी में छात्र संगठनों का गुस्सा भड़क गया। कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने इस मसले पर चर्चा की।
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