जोधपुर: जोधपुर की एक विशेष एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम अदालत ने 13 साल से भी पुराने एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने ओसियां कस्बे के पास पाडासला गाँव में एक दलित बस्ती पर हमला करने, आगजनी, गोलीबारी और संपत्तियों को नुकसान पहुँचाने के आरोप में 16 लोगों को सात-सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
इस मामले में पुलिस ने कुल 19 आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूतों के साथ चार्जशीट पेश की थी। हालाँकि, मुकदमे की लंबी सुनवाई के दौरान इनमें से तीन आरोपियों की मौत हो गई। शुक्रवार को अदालत ने बाकी बचे 16 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें सजा सुनाई।
फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश गरिमा सौदा ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "सजा हमेशा अपराध की गंभीरता के अनुपात में दी जानी चाहिए, और इसका निर्धारण पीड़ित या आरोपी के धर्म, जाति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर बिल्कुल नहीं होना चाहिए।"
यह दिल दहला देने वाली घटना 31 जनवरी, 2012 की रात को हुई थी। पीड़ितों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, लगभग दो दर्जन लोग तीन गाड़ियों में भरकर आए और दलित बस्ती पर हमला बोल दिया। हमलावरों ने न केवल झोपड़ियों में तोड़फोड़ की और उन्हें आग के हवाले कर दिया, बल्कि लोगों के साथ मारपीट की और गोलियां भी चलाईं। हमलावरों का आरोप था कि दलित समुदाय के लोग उनकी जमीन पर अतिक्रमण कर रहे थे।
सुनवाई के दौरान एससी/एसटी अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि पीड़ितों और दोषियों के बीच जमीन विवाद से जुड़ा एक मामला दीवानी अदालत में पहले से ही लंबित है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह उस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रही है और उसने अपना फैसला केवल आपराधिक कृत्यों, यानी मारपीट और आगजनी, तक ही सीमित रखा है।
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