महीसागर, गुजरात: गुजरात के महीसागर जिले से एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है, जहाँ गरबा खेलने को लेकर हुए विवाद में एक दलित छात्रा के साथ कथित तौर पर मारपीट और अपमानित करने का आरोप लगा है। यह घटना वीरपुर तालुका के भरोड़ी गाँव की है। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने चार महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस में दर्ज कराई गई प्राथमिकी (FIR) के अनुसार, 25 वर्षीय रिंकू वंकर ने यह शिकायत दर्ज कराई है। रिंकू गांधीनगर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (GEC) में चौथे वर्ष की छात्रा हैं। उन्होंने बताया कि यह घटना शुक्रवार रात उस समय हुई जब वह अपनी एक दोस्त के साथ गाँव में हो रहे गरबा कार्यक्रम में शामिल होने गई थीं।
अपनी शिकायत में रिंकू ने बताया कि गरबा में शामिल होने पर लोमा पटेल, रोशनी पटेल और वृष्टि पटेल ने पहले उन्हें टोका और फिर उनके साथ गाली-गलौज और अपमानजनक व्यवहार करना शुरू कर दिया। FIR के अनुसार, "तीनों महिलाओं के साथ बहस के बाद, उन्होंने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया और कहा, 'ये लोग हमारे बराबर नहीं हैं और हमारे साथ गरबा नहीं खेल सकते'।"
पीड़िता ने आगे बताया, "उस समय मैंने गरबा में बज रहे साउंड सिस्टम को बंद करवा दिया और प्रवीण नरसिंह ठाकोर से शिकायत की कि हमें अपमानित किया जा रहा है। लेकिन तभी लोमा, रोशनी और मीना पटेल ने मिलकर मेरे साथ मारपीट शुरू कर दी।"
शिकायत में यह भी कहा गया है कि महिलाओं ने उन्हें बालों से पकड़कर गरबा स्थल से बाहर घसीटा, जबकि अन्य लोगों ने उन्हें पकड़ लिया ताकि वह इस घटना का वीडियो न बना सकें। पीड़िता ने आरोप लगाया, "उन्होंने न केवल मेरे खिलाफ जातिसूचक गालियाँ दीं, बल्कि दोबारा उसी गरबा में आने पर बुरा अंजाम भुगतने की धमकी भी दी।"
वीरपुर पुलिस स्टेशन ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2) (जानबूझकर चोट पहुँचाना), 54 (अपराध में साथ देना), 351(1) (आपराधिक धमकी), और 352 (शांति भंग करने के इरादे से अपमानित करना) के साथ-साथ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
इस मामले पर महीसागर के पुलिस अधीक्षक (SP) सफिन हसन ने जानकारी दी कि SC/ST सेल के पुलिस उपाधीक्षक (DySP) ने मामले की जाँच शुरू कर दी है। पीड़िता और आरोपी महिलाओं के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
एसपी ने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले और दिशानिर्देशों के अनुसार, SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के उन मामलों में आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक है, जिनमें सात साल से कम की सजा का प्रावधान है। जाँच अभी जारी है। हमने प्रक्रिया के अनुसार निवारक कार्रवाई के लिए आरोपियों को नोटिस जारी कर दिए हैं और उनके बयान लिए जा रहे हैं।"
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