अमरावती, महाराष्ट्र – भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई की मां कमलताई गवई के आरएसएस के विजयादशमी कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर चल रहा विवाद गहराता जा रहा है। एक ओर जहां सोशल मीडिया पर उनके नाम से एक पत्र वायरल हुआ है जिसमें निमंत्रण अस्वीकार करने की बात कही गई है, वहीं परिवार के सदस्य उनके कार्यक्रम में शामिल होने की पुष्टि कर रहे हैं। यह मामला वैचारिक मतभेदों और सोशल मीडिया की अफवाहों के बीच उलझता जा रहा है।
आरएसएस की अमरावती इकाई ने 5 अक्टूबर को विजयादशमी उत्सव के लिए कमलताई गवई को मुख्य अतिथि बनने का निमंत्रण दिया था। यह निमंत्रण इसलिए भी खास था क्योंकि कमलताई के दिवंगत पति और पूर्व राज्यपाल रामकृष्ण सूर्यभान गवई (दादासाहेब गवई) ने 1981 में आरएसएस के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। शुरुआती रिपोर्ट्स में कहा गया कि कमलताई ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।
29 सितंबर को सोशल मीडिया पर कमलताई गवई के नाम से एक हस्तलिखित पत्र वायरल हुआ। इस पत्र में उन्होंने आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने की खबरों को "पूरी तरह झूठा" बताया और निमंत्रण अस्वीकार कर दिया। पत्र में उन्होंने लिखा: "मैं आंबेडकरवादी विचारधारा से ओतप्रोत हूं और मेरा परिवार भारतीय संविधान के प्रति अविरत रूप से प्रतिबद्ध है। इसलिए मैं आरएसएस के कार्यक्रम में कभी नहीं शामिल होऊंगी।" उन्होंने इस खबर को "आरएसएस की साजिश" बताया और कहा कि बिना उनकी सहमति के ऐसी खबरें फैलाना गलत है। पत्र में उन्होंने विजयादशमी की तुलना "धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस" (सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने के दिन) से की और कहा कि उनके लिए यह दिवस अधिक प्रासंगिक है।
मराठी अखबार लोकसत्ता ने रिपोर्ट किया कि कमलताई ने इस कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कथित तौर पर आयोजकों को पत्र लिखकर अपने अंबेडकरवादी विचारों और संविधान में आस्था होने का हवाला दिया था।
दूसरी तरफ सीजेआई के भाई डॉ. राजेंद्र गवई ने मीडिया से बातचीत में स्थिति स्पष्ट की। राजेंद्र गवई ने कहा कि लोकसत्ता में जिस पत्र का हवाला दिया गया है, वह फर्जी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनकी मां की लिखावट नहीं है. यह पत्र नकली है और वह समारोह में शामिल होंगी. राजेंद्र ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के करीबी सहयोगी और राज्यसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राजाभाऊ खोबरागड़े जैसे नेता भी अतीत में RSS के इस तरह के कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं.उन्होंने कहा: "हम (वे और उनकी मां) कार्यक्रम में शामिल होंगे, विचारधारा को पीछे नहीं छोड़ते, लेकिन व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंध अलग-अलग होते हैं।"
उन्होंने इस निमंत्रण को अपने पिता की विरासत का सम्मान बताया। सीजेआई के एक अन्य भाई आनंदराव गवई ने भी कहा कि यह फैसला पारिवारिक परंपराओं पर आधारित है, न कि वैचारिक समझौते पर।
वायरल पत्र और परिवार के बयानों के बीच अंतर ने ही इस विवाद को जन्म दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वायरल पत्र की प्रामाणिकता अभी तक सिद्ध नहीं हुई है। संभव है कि आंबेडकरवादी हलकों में नाराजगी के बाद यह पत्र लिखा गया हो, लेकिन परिवार ने अंतिम रूप से कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला किया हो।
यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से ट्रेंड कर रहा है। कई यूजर्स वायरल पत्र को सही मान रहे हैं और कमलताई की प्रशंसा कर रहे हैं, जबकि अन्य परिवार के बयानों को सही मानते हुए पत्र को फर्जी बता रहे हैं।
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