तमिलनाडु में जातीय भेदभाव के कारण 100 साल बाद दलितों को मंदिरों में मिला प्रवेश

जून माह में पड़ोस के विल्लुपुरम जिले के प्रशासन ने मेलपाथी गांव में श्री द्रौपदी अम्मन मंदिर को सील कर दिया था क्योंकि वन्नियारों द्वारा दलितों को मंदिर में प्रवेश से इनकार करने के बाद तनाव बढ़ गया था।
तमिलनाडु में जातीय भेदभाव के कारण 100 साल बाद दलितों को मंदिरों में मिला प्रवेश

तिरुवन्नामलाई। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के एक गांव में सौ साल बाद दलितों को प्रवेश की अनुमति मिल सकी है। इस दौरान दलितों के साथ भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। इससे पहले भी द मूकनायक में जातीय भेदभाव के चलते तमिलनाडु में मंदिरों के प्रवेश पर रोक की लगभग आधा दर्जन खबरें प्रकाशित की हैं।

जनिये क्या है पूरा मामला?

तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले के चेल्लनकुप्पम गांव में मरियम्मन मंदिर में सौ साल के बाद दलितों को प्रवेश मिला है। दलितों का समूह जब मंदिर परिसर में प्रवेश किया तो उन्हें पुलिस की टीम ने उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रखा था। सब कुछ शांति के माहौल में संपन्न हुआ। पुलिस ने कहा कि दूसरे समुदाय के लोगों ने अब तक कोई विरोध दर्ज नहीं कराया है। आपको बता दें कि गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। 

जानकारी के मुताबिक इसी साल जुलाई महीने में मंदिर में प्रवेश को लेकर दो युवाओं ने आंदोलन चलाया था। इस दौरान दलितों और वन्नियारों के बीच झड़प भी हुई। दलित और वन्नियार दोनों समुदाय के युवकों ने गांव के एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी और फिर नौकरी के लिए चेन्नई चले गए। उन्होंने सबसे पहले सोशल मीडिया पर दलितों के मंदिर में प्रवेश के अधिकार को लेकर बहस की। जब वे गांव आकर लोगों से मिले तो मारपीट हो गई।

झड़प के बाद दलितों ने जिला राजस्व और पुलिस अधिकारियों को याचिका दायर कर मंदिर में उनका प्रवेश सुनिश्चित करने का आग्रह किया। इसके बाद उन्होंने घोषणा की कि वे बुधवार को मंदिर में प्रवेश करेंगे। वेल्लोर रेंज के डीआईजी एमएस मुथुसामी के नेतृत्व में भारी पुलिस बल गांव में तैनात किया गया।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक 50 साल की महिला ने कहा, ''एक दृढ़ विश्वास है कि अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए नवविवाहित लोग मंदिर में प्रार्थना करते हैं और पोंगल पकाते हैं। लेकिन हमें कभी भी मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया। हम आज खुश हैं कि जिले के अधिकारियों ने हमें मंदिर में प्रवेश करने, प्रार्थना करने, पोंगल पकाने और हमारी मन्नतें पूरी करने में मदद की।''

आपको बता दें कि दलित अब तक 30 साल पहले गांव में बनाए गए कलियाम्मल मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे थे। इस साल जनवरी में दलितों ने पुलिस सुरक्षा के साथ पहली बार जिले के थंडरमपट्टू गांव में एक अन्य मंदिर में प्रवेश किया था। जून में पड़ोस के विल्लुपुरम जिले के प्रशासन ने मेलपाथी गांव में श्री द्रौपदी अम्मन मंदिर को सील कर दिया था क्योंकि वन्नियारों द्वारा दलितों को मंदिर में प्रवेश से इनकार करने के बाद तनाव बढ़ गया था।

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