छत्तीसगढ़: दलित युवक की निर्ममता से पिटाई, बाल काटकर किया नंगा, परदे की साड़ी लपेटकर तन ढका, मामला दर्ज

पीड़ित राहुल अंचल अनुसूचित जाति सतनामी समुदाय से ताल्लुक रखता है। वह एक 16 वर्षीय लड़की से मिलने गया था, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से है, तभी उसे लड़की के परिवार वालों ने पकड़ लिया।
Marks on the body of a Dalit youth due to beating.
दलित युवक की पिटाई से शरीर पर बने निशान.
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सक्ति (छत्तीसगढ़): सक्ति जिले में एक 21 वर्षीय दलित युवक को कथित तौर पर एक किशोरी के परिवार वालों ने निर्वस्त्र कर बेरहमी से पीटा। मारपीट के दौरान युवक पानी के लिए तड़पता रहा, पीड़ित युवक लोगों से पानी मांगता रहा लेकिन किसी ने उसे पीने के लिए पानी तक नहीं दिया। घटना नौ अप्रैल की बताई जा रही है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद हरकत में आई पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।

पीड़ित की पहचान राहुल अंचल के रूप में हुई है, जो डभरा का निवासी है और अनुसूचित जाति सतनामी समुदाय से ताल्लुक रखता है। बताया जा रहा है कि राहुल एक 16 वर्षीय लड़की से मिलने गया था, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से है, तभी उसे लड़की के परिवार वालों ने पकड़ लिया।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, राहुल को निर्वस्त्र कर रस्सियों से बांधा गया और उसे चप्पलों, बिजली के तारों और प्लास्टिक पाइपों से बेरहमी से पीटा गया। अगले दिन, 9 अप्रैल को, उसे कथित तौर पर फिर से निर्वस्त्र कर गांव की सड़कों पर सार्वजनिक रूप से पीटा गया।

एक वायरल वीडियो में राहुल को एक पेड़ के नीचे बैठे देखा जा सकता है, जहां एक व्यक्ति उसे बार-बार थप्पड़ मारता और पीटता है। एक अन्य वीडियो में पीड़ित ने बताया कि उसे लड़की के माता-पिता ने एक कमरे में पकड़ा, फिर दूसरों को बुलाया और रात भर उसकी पिटाई की।

दलित युवक की निर्ममता से पिटाई के बाद अस्पताल में उपचार
दलित युवक की निर्ममता से पिटाई के बाद अस्पताल में उपचार

पुलिस ने पुष्टि की कि राहुल को इलाज के लिए पड़ोसी रायगढ़ जिले के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मानव अधिकार कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान ने द मूकनायक को बताया कि, युवक के साथ अमानवीयता की गई है. पहले तो पुलिस ने मामला दर्ज करने में आनाकानी की लेकिन समाज के बढ़ते आक्रोश और वायरल वीडियो के दबाव में मामला दर्ज कर लिया है.

यह मॉरल पुलिसिंग का मामला है. भीड़ द्वारा पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर सही और गलत का निर्धारण कर सजा देने का छत्तीसगढ़ मे यह भयंकर उदाहरण है. दलित अधिकार कार्यकर्ताओं के द्वारा शोसल मीडिया केम्पैन और घटना पर चौतरफा आक्रोश के पश्चात पुलिस ने तत्परता दिखाते हुये कानून के पक्ष मे संवेदनशील होने का साहस दिखाया.

डिग्री प्रसाद चौहान, मानव अधिकार कार्यकर्ता

सक्ति की पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने कहा, "शुरुआत में पीड़ित या उसके परिवार की ओर से कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। हालांकि, वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने स्वत: संज्ञान लिया। हमने समुदाय के नेताओं से परामर्श किया और बाद में एक FIR दर्ज की।"

मामला भारतीय न्याय संहिता की निम्नलिखित धाराओं के तहत दर्ज किया गया है. जिसमें, धारा 109(2): हत्या का प्रयास, धारा 296: अश्लील कृत्य, धारा 351(2): आपराधिक धमकी, धारा 115(2): स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, धारा 126(2): गलत तरीके से रोकना, धारा 191(2): दंगा करना शामिल है.

इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई हैं। अब तक पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है, और आगे की जांच जारी है।

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