
जयपुर। राजस्थान के पाली में उच्च जाति की लड़की से प्रेम करने पर एक दलित युवक की हत्या कर दी गई थी, वहीं बीकानेर में दो पुलिस कर्मियों ने अपने एक अन्य साथी के साथ मिलकर दलित छात्रा का बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी। दोनों मामले राजस्थान में बेलगाम हो रहे जातिवादी अपराधों का प्रमाण है जो विगत एक हफ्ते में घटित हुए हैं। पाली की घटना 16 जून की है जबकि बीकानेर में 20 जून को वारदात हुई। दलित छात्रा के गैंगरेप और हत्या के आरोपी पुलिस वालों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है जिससे समाज में गहरा आक्रोश है।
पाली में अजय सरगरा और बीकानेर में दलित छात्रा के साथ बलात्कार के बाद हत्या के मामले में परिजनों को हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के लिए शव नहीं लेकर धरने पर बैठना पड़ा। राजस्थान में दलित और आदिवासियों के मामलो में यह आम हो चला है।
प्रदर्शन के बीच बीती बुधवार रात दोनों घटनाओं में मांगो को लेकर पुलिस व परिजनों के बीच समझाइश के बाद सशर्त समझौते की खबरे आई, लेकिन गुरुवार सुबह सुबह फिर परिजन धरना देकर बैठ गए। दोनो जिलो में परिजनों ने पुलिस पर समझौते की शर्तों से मुकरने का आरोप लगाते हुए शव लेने से इनकार कर दिया।
हालांकि गुरुवार दोपहर पाली निवासी अजय सरगरा का जोधपुर के मथुरा दास माथुर अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया। बीकानेर में परिजन ग्रामीणों के साथ मोर्चरी के बाहर धरना देकर बैठे हैं।
जोधपुर भीम सेना से जुड़े राहुल बामनिया ने द मूकनायक को बताया कि राजस्थान में दलित, आदिवासी और मुसलमानों की हत्या मामलों में समझौते की शर्तों से मुकरने का यह पहला मामला नहीं है। कार्तिक भील और नासिर-जुनैद हत्या मामलों में ऐसा हो चुका है। इन दोनों घटनाओं में परिजन घटना के बाद से ही धरना दे रहे हैं। कहीं सुनवाई नहीं हो रही।
पाली के ट्रांसपोर्ट नगर थाना क्षेत्र की इंदिरा कॉलोनी निवासी अजय की मां के अनुसार 16 जून को रात्रि एक बजे मिकु पुत्र केसर सिंह, डूंगर सिंह पुत्र केसर सिंह के परिवार से अजय के मोबाइल पर फोन आया था। मिकू, डूंगर सिंह, सुखदीप सिंह, नारायण सिंह, जालम सिंह, भगत सिंह ने धोखे से बुला कर जान से मारने की नीयत से अजय के साथ बेरहमी से मारपीट की। सूचना पर मौके पर ट्रांसपोर्ट नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। घायल अजय को पहले पाली के अस्पताल में फिर जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान 17 जून को अजय की मौत हो गई। अजय की मां पिंकी सरगरा की रिपोर्ट पर पुलिस ने नामजद लोगों के खिलाफ हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर ली।
प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस शव का पोस्टमार्टम करने लगी तो मां ने पहले आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग कर दी। इसके बाद अजय की मां मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गई। इनकी मांगो के समर्थन में दलित शोषण मुक्ति मंच, भीम सेना, महाबली सेना सरगरा समाज सहित बहुजन संगठनों के लोग भी धरना देकर बैठ गए।
घटना के पांच दिन बाद भी पुलिस ने हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। पुलिस कार्यशैली से गुस्साई मां बेटे को न्याय दिलाने के लिए 21 जून को दोपहर में जोधपुर में ही एक बेटे के साथ पानी की टंकी पर चढ़ गई। सूचना पर स्थानीय पुलिस - प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन मां जिद पर अड़ी रही। बाद में अजय की हत्या की जांच कर रहे पाली के पुलिस उपाधीक्षक अनिल सारण भी जोधपुर पहुंचे। जहां उन्होंने कार्रवाई का भरोसा देकर देर शाम अजय की मां और भाई को पानी की टंकी से नीचे उतार लिया।
महाबली सेना सरगरा समाज के चीफ विष्णु सरगरा ने बताया कि इस दौरान सबसे पहले घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार करने, 161 में बयान लेने, पोस्टमार्टम के तत्काल बाद आरोपियों को गिरफ्तार करने पर सहमति बनी। इसी तरह प्रकरण को केस ऑफिसर स्कीम में लेने, मेडिकल बोर्ड से मय वीडियो ग्राफी पोस्टमार्टम करवाने, पीड़ित परिवार के एक सदस्य को संविदा नोकरी, नियमानुसार मुवावजा राशि दिलाने और आंदोलन के दौरान हुई गतिविधियों पर एफआईआर दर्ज नहीं करने पर लिखित समझौते के बाद परिजन पोस्टमार्टम को राजी हो गए।
गुरुवार सुबह परिजनों ने समझौते की पहली शर्त पूरी नहीं होने का आरोप लगाते हुए पोस्टमार्टम करने से मना कर दिया। इसके बाद पुलिस वापस पाली पहुंची। जहां घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया। तब कही जाकर अजय के परिजनों ने पोस्टमार्टम की अनुमति दी। तब जाकर दोपहर बाद पोस्टमार्टम के बाद ही परिजनों को सौंपा गया।
जांच अधिकारी एवं पुलिस उपाधीक्षक पाली अनिल सारण ने द मूकनायक को बताया कि अजय का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया है। नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।
राजस्थान के बीकानेर के खाजूवाला में दलित छात्रा के साथ बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। घटना को लेकर 20 जून को पिता ने दिनेश विश्नोई सहित भागीरथ व मनोज नाम के दो पुलिस कर्मियों को नामजद करते हुए थाने में रिपोर्ट दी। रिपोर्ट के बाद पुलिस ने गैंगरेप और हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर ली। एफआईआर दर्ज होने के बाद एसपी तेजश्वनी गौतम ने भागीरथ और मनोज पुलिस कर्मी को निलंबित कर दिया।
दलित छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या की खबर से इलाके में तनाव हो गया। सैकड़ों महिला पुरुषों की भीड़ के साथ परिजन धरने पर बैठ गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी तेजश्वनी गौतम भी खाजूवाला पहुंची। एसपी ने धरने पर बैठे परिजनों और आंदोलनकारियों से समझाइश की। इस पर बुधवार देर शाम परिजनों ने शर्तों के साथ छात्रा पोस्टमार्टम की अनुमति दे दी।
गुरुवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव लेने से परिजनों ने मना कर दिया। इससे पुलिस सकते में आ गई। शव लेने की बजाय परिजन वापस धरना देकर बैठ गए।
परिजनों का कहना है कि हमने केवल पोस्टमार्टम की सहमति दी थी। जब तक मुख्य आरोपी दिनेश और दोनो पुलिस कर्मी गिरफ्तार नहीं हो जाते शव नहीं लेंगे। इस बात को लेकर परिजनों का एक वीडियो भी सामने आया है। दलित छात्रा से बलात्कार के बाद हत्या मामले में परिजनों के साथ सामाजिक संगठनों के अलावा भाजपा और कांग्रेस के बाद अब आरएलपी भी धरना स्थल पर पहुंच गई है।
पुलिस की माने तो आईजी बीकानेर ने दलित छात्रा से बलात्कार एवं हत्या की जांच एसआईटी से कराने के निर्देश दिए हैं। गंगानगर के एक आईपीएस अधिकारी भी पुलिस कर्मियों पर सभी आरोपों की जांच करेंगे।
पुलिस के अनुसार मृतका के परिजनों को 25 लाख रुपए का मुआवजा देने, दोनों आरोपी (पुलिसकर्मी) मनोज व भागीरथ को पुलिस की निगरानी में रखने, पूरे मामले की जांच एसआईटी के माध्यम से करवाने पर सहमति बनी थी।
खाजूवाला इलाके के केजेडी सरपंच प्यारेलाल मेघवाल ने द मूकनायक को बताया कि यह सच है कि बुधवार को पुलिस प्रशासन ने परिजनों की मांगे मान ली थी। गुरुवार सुबह अचानक परिजन फिर धरने पर बैठ गए। इनकी मांग है कि पहले दिनेश विश्नोई व दोनों पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया जाए। इसके बाद शव लेंगे।
सरपंच ने कहा कि आज तीसरा दिन है, लेकिन परिणाम नहीं निकला है। मृतक के घर वाले परेशान है। पुलिस को मुख्य आरोपी दिनेश और घटना में शामिल पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार करना चाहिए ताकि खाजूवाला में तनाव खत्म हो सके।
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