बिहार: मंदिर में पानी पीने पर दलित महिलाओं की पिटाई, 17 दिन बाद दर्ज हुआ मुकदमा

महिलाओं की पिटाई से दलित समाज आक्रोशित. पहले भी हो चुकी हैं जातीय भेदभाव की घटनाएं.
बिहार: मंदिर में पानी पीने पर दलित महिलाओं की पिटाई, 17 दिन बाद दर्ज हुआ मुकदमा

बिहार। बेतिया जिले के गोपालपुर थाना क्षेत्र में दो दलित महिलाओं को मंदिर में पानी पीने पर प्रताड़ित किया गया। आरोप है कि मंदिर में पानी पीने पर दोनों महिलाओं की पिटाई की गई और जातिसूचक गाली दी गई। महिलाओं की पिटाई से दलित समाज आक्रोशित है। पहले मामले का निपटारा पंचायत में करने की बात कही गई। लेकिन धीरे-धीरे 17 दिन बीत गए और कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब दोनों पीड़िताओं ने इस मामले में एएसएसटी एक्ट थाने में शिकायत की। दोनों की शिकायत पर एससी एसटी एक्ट की धाराओं में पुलिस मुकदमा दर्ज कर जांच में जुट गई है। 

द मूकनायक को मिली जानकारी के मुताबिक घटना 2 जनवरी गोपालपुर थाना इलाके के दुखी छापर गांव की है। थाने को दिए आवेदन में एक पीड़िता किशनावती देवी ने बताया है कि दो जनवरी को दिन में 11 बजे वह अपनी रिश्तेदार सुगंधी देवी के साथ रिश्तेदार के घर जा रही थी। इस दौरान दोनों को प्यास लग गई। दोनों महिलाएं भसहवा के उत्तर स्थित मंदिर में जाकर चापाकल (मंदिर परिसर के हैण्ड पम्प) से पानी पीने लगीं। इस पर मंदिर में रह रहे करीमन यादव ने इस पर आपत्ति जताई।

आरोप है कि उसने जातिसूचक गाली देते हुए कहा कि, "तुम लोगों को होश नहीं है। इस चापाकल से हमलोग मंदिर में जल चढ़ाते हैं। इसके बाद और अधिक गलियां देने लगा।" सुगंधी देवी ने गाली देने से मना किया तो करीमन यादव ने मारपीट की। हल्ला-गुल्ला सुनकर आसपास के लोग भी वहां पहुंच गए। सभी ने मिलकर मामले को शांत कराया।

पिछले 17 दिनों से गाँव में कार्रवाई के नाम पर चली पंचायत

महिलाओं ने बताया कि बीते 17 दिन से गांव में ही पंचायत कर मामला सुलझाने की कोशिश की जा रही थी। महिलाओं का आरोप है पंचायत में भी आरोपी उन्हें अपना पक्ष सही से रखने नहीं दे रहे थे। पंचायत में समस्या हल न  होने के कारण दोनों ने एससीएसटी थाने में लिखित प्राथमिकी दर्ज कराई है। वहीं इस मामले में थानाध्यक्ष राणा प्रसाद ने द मूकनायक को बताया, "किशनावती देवी की शिकायत पर दुखी छापर निवासी करीमन यादव के खिलाफ मारपीट व दलित उत्पीड़न की धारा में एफआईआर दर्ज की गयी है। प्रशिक्षु दारोगा संध्या कुमारी मामले की जांच कर रही हैं। इस घटना में शामिल आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।"

राजस्थान, मध्य प्रदेश और यूपी से कई मामले आये हैं सामने 

बीते 8 सितंबर 2023 को राजस्थान के भरतपुर के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में मटके से पानी पीने पर एक बच्चे की पिटाई कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपी अध्यापक गंगाराम गुर्जर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की थी। वहीं इससे पहले राजस्थान के जालौर में भी दलित छात्र द्वारा मटकी से पानी पीने पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।

बीते नवंबर 2023 में उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के उसहैत थाना क्षेत्र में सार्वजनिक नल से पानी पीने पर दलित किशोर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। उसहैत थाना पुलिस को दी गई तहरीर में मृतक के पिता जगदीश ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे कमलेश (24) की सूरज राठौड़ और उसके साथियों ने नल से पानी पीने पर डंडे से पिटाई कर दी। उन्होंने शिकायत के हवाले से बताया कि कमलेश को अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। 

वहीं बीते दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश के दामोह जिले के पथरिया थाना क्षेत्र के सुजनीपुर गांव में एक दलित युवक द्वारा दुकान पर लोटे से पानी पीने पर पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया था। घायल युवक भरत अहिरवार का आरोप था कि वह गांव के शिवराज पटेल की दुकान में गुटखा खरीदने गया था। वहां उसे प्यास लगी, तो उसने डिब्बे में रखे हुए पानी को पीने के लिए लोटा उठाया और पानी पी लिया था। इस बात पर उसकी पिटाई कर दी गई थी। इस मामले में भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी।

मध्यप्रदेश के ही सागर जिले में नितिन अहिरवार नामक अट्ठारह वर्षीय युवक की ह्त्या इसलिए कर दी गई कि उसकी बहन ने हमलावरों के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले को वापस लेने से इंकार कर दिया था। युवक की हत्या करने के साथ उसकी माँ को भी गाँव में निर्वस्त्र करके घुमाया गया था। आरोपी यहाँ भी तथाकथित उच्च जाति के ही थे।

मध्य प्रदेश में ही 7 जुलाई को दो भाइयों को बंधक बनाकर पीटने का मामला सामने आया। यहाँ दो मजदूर भाई काम करके बाइक से वापस जा रहे थे उसी दौरान बारिश की वजह से उनकी बाइक गिर गई और इसको लेकर जयपाल सिंह बघेल और प्रेम सिंह परमार से विवाद ही गया और उन दोनों ने आठ घंटे से ज्यादा समय तक दोनों भाइयों को बंधक बनाकर पीटा।

मध्य प्रदेश के ही शिवपुरी जिले में 30 जून को लड़कियों को छेड़ने का आरोप लगाकर दो दलित युवकों के साथ मार-पीट की गई और उनको पूरे गाँव में मुंह काला करके घुमाया गया। इसके साथ ही दोनों युवकों को मैला खाने पर भी मजबूर किया गया.

पंजाब में 9 मार्च को अमृतसर के श्रीगुरुरामदास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च में काम करने वाली एक दलित एमबीबीएस इंटर्न को जातिगत भेदभाव से तंग आकर आत्महत्या करनी पड़ी। पश्चिम बंगाल की एक घटना में अंबेडकर जयंती के दिन यानी 14 अप्रैल को बालुरघाट में तीन आदिवासी महिलाओं को दंडवत परिक्रमा यानी रेंगकर परिक्रमा करने के लिए मजबूर किया गया।

हैदराबाद में 9 अप्रैल को ऑनर किलिंग का एक मामला सामने आया जहाँ एक दलित युवक को उसके रिशतेदारों द्वारा चाकू घोंप कर मार दिया गया। गुजरात में सैलरी मांगने पर एक दलित युवक को सिर्फ पीटा ही नहीं गया, बल्कि उसे मुंह से सैंडिल उठाने को भी मजबूर किया गया।

राजस्थान आज भी जातीय भेदभाव की सबसे ज्यादा सुलगती जमीन है। इस जमीन से अक्सर दलित उत्पीड़न की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। साल 2023 भी इससे अछूता नहीं रहा। 13 अप्रैल को बाड़मेर में दलित कोजाराम की हत्या हुई थी। छह साल पुराने जमीन विवाद मामले में कोजाराम की हत्या उनके गाँव असाड़ी में बहुत ही निर्मम तरीके से की गई थी। जबकि कोजाराम ने पूर्व में अपने उत्पीड़न के नौ मामले दर्ज कराए थे। इससे साफ पता चलता है कि दलित समाज के लिए प्रशासन कितना अगंभीर है। कोजाराम की दो बेटियों का अपहरण भी हमलावरों ने कर लिया था। राजस्थान के बाड़मेर में ही अप्रैल में एक दलित महिला का बलात्कार करने के बाद उसे जिंदा आग के हवाले करने का भी मामला सामने आया था।

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में महज 1200 रुपये की मजदूरी की मांग पर एक 18 वर्षीय दलित युवक की हत्या कर दी गई। मारे गए युवक के बड़े भाई ने इस घटना को लेकर कहा था कि ‘इस देश में दलित होने की कीमत चुकानी पड़ती है। उसकी गलती क्या थी? उन्होंने सिर्फ 1200 रुपये के लिए उसे मार डाला। हमारी जान कितनी सस्ती है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, दलित उत्पीड़न की घटनाओं में महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले उत्तर प्रदेश में बढ़े हैं। 29 अक्तूबर को बांदा जिले के पतौरा गाँव में घर से लगभग 100 मीटर दूर स्थित आटा चक्की पर काम करने गई महिला का ब्राह्मण समाज के लोगों द्वारा सिर्फ बलात्कार ही नहीं किया गया, बल्कि बहुत ही क्रूर तरीके से हत्या करने का मामला सामने आया। महिला की लाश तीन टुकड़ों में मिली थी। पुलिस ने इस मामले को फिलहाल दुर्घटना बताया था, जबकि दलित परिवार ने बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया था।

अमेठी के रामदाय पुर गाँव में एक दलित युवक के अंतरजातीय प्रेम विवाह करने पर लड़के के पिता पर धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी गई और उसकी दादी को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया।

  • उत्तर प्रदेश से जयपुर जा रही बस में एक 20 वर्षीय दलित लड़की के बलात्कार का मामला सामने आया। केबिन में बैठी लड़की के साथ बस चालक और परिचालक ने ही इस शर्मनाक कृत्य को अंजाम दिया था। देवरिया में सितंबर माह में एक दलित शिक्षक की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई कि उसने सड़क पर चारपाई डालने और अपने पैर पर थूकने का विरोध किया था।

  • सितंबर माह में ही संपत्ति विवाद को लेकर कौशांबी जिले में एक दलित परिवार के तीन सदस्यों की हत्या कर दी गई।

  • मेरठ में पैसा मांगने के विवाद में एक दलित व्यक्ति के पैर में गोली मारने के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई और बाद में उसके शव को पेड़ पर लटका दिया गया।

  • नवंबर माह में बदायूं जिले में सार्वजनिक नल से पानी पीने की वजह से 24 वर्षीय एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई।

  • जौनपुर जिले में लड़की छेड़ने के आरोप में एक दलित युवक को न सिर्फ मारा पीटा गया, बल्कि उसे पेशाब पीने पर भी मजबूर किया गया। आँख के भौ छिल कर उसका चेहरा ख़राब कर दिया गया।

  • इस वर्ष आम दलितों पर ही नहीं बल्कि दलित नेता चंद्रशेखर रावण पर भी जानलेवा हमला हुआ। गोली उनके पेट को छूते हुए निकल गई। इस घटना में वह बाल-बल बच गए।

क्या कहते हैं आकंड़े?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वार्षिक रिपोर्ट 2022 में दलितों के खिलाफ़ अपराध के 57,582 मामले और आदिवासियों के खिलाफ 10,064 मामले दर्ज किए गए। यह साल 2021 की तुलना में क्रमश: 13.1 प्रतिशत और 14.3 प्रतिशत अधिक है। अकेले उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ़ अपराध के 15,368 मामले दर्ज किए गए। इससे पहले बसपा सांसद गिरीश चंद्र के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने मार्च, 2023 में संसद में बताया था कि साल 2018-2022 के दरमियान दलितों के खिलाफ अपराध के 1,89,945 मामले दर्ज़ हुए हैं। इनमें से 49,613 मामले सिर्फ उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए।

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