
नई दिल्ली। दिल्ली में लगभग 5 साल पहले विरोध प्रदर्शन के दौरान संविधान की कॉपी जला दी गई थी। इस मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने जांच में लापरवाही बरती और जांच पूरी नहीं हो सकी। इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अफसर को कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। इस दौरान पुलिस अधिकारी हाथ पीछे बांधकर और सिर नीचे झुकाए कोर्ट की फटकार सुनते रहे। इस मामले में कोर्ट ने 60 दिनों में जांच पूरा करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई 8 जून तय की है।
दिल्ली में 9 अगस्त 2018 को सवर्ण सेना के कार्यकर्ताओं द्वारा एससी/एसटी ( SC-ST) एक्ट के विरोध के प्रदर्शन के दौरान भारतीय संविधान की किताब जलाने की घटना सामने आई थी। इस मामले का वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। जिसके बाद 10 अगस्त 2018 को अखिल भारतीय भीम सेना के नेशनल इंचार्ज अनिल तंवर की तहरीर पर पुलिस ने राष्ट्रीय गौरव के अपमान सहित IPC 153 (A) , 505, 120B , 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने मुख्य आरोपी दीपक गौड़ को गिरफ्तार कर लिया था। मामले की जांच के दौरान इस बात का खुलासा हुआ था कि 9 अगस्त को दो संगठन यूथ इक्वालिटी फाउंडेशन (आजाद सेना) और आरक्षण विरोधी पार्टी ने पार्लियामेंट स्ट्रीट पर एक साथ विरोध किया था। आरोपी दीपक, आरक्षण विरोधी पार्टी का मुखिया है, दूसरा संगठन के नेता का नाम अभिषेक शुक्ला है।
जानकारी के मुताबिक आरोपी अभिषेक और दीपक ने मिल कर संविधान जलाने की साजिश रची थी ताकि सरकार एससी/एसटी एक्ट के संशोधन के खिलाफ ध्यान दें। साजिश के तहत दोनों ने अपने समर्थकों के साथ मिल कर संविधान की किताब जला दी और SC/ST विरोधी नारे भी लगाए थे।
इस मामले में अदालत ने सुनवाई करते हुए पुलिस को फटकार लगाई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “कोर्ट ने बार- बार जांच अधिकारियों से अनुरोध किया कि एससी- एसटी एक्ट के तहत साल 2018 से लंबित जांच 60 दिनों के भीतर पूरी की जाए। लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हुई। ये निराशाजनक स्थिति है।"
उन्होंने कहा, "पिछले ऑर्डर की एक कॉपी एडिशनल कमिश्नर और स्पेशल कमिश्नर को भेजी गई थी। इस उम्मीद से कि इस मामले को सीनियर पुलिस अधिकारी के संज्ञान में लाने से कुछ परिणाम निकल सकता है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि सीनियर पुलिस अधिकारी भी सो रहे हैं।"
पुलिस ने पहले अदालत को बताया था कि एफआईआर रिपोर्ट में 10 आरोपियों के संबंध में अभियोजन स्वीकृति, सीडीआर की प्रमाणित कॉपी और फेसबुक से जवाब प्राप्त होना बाकी है। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि जांच एडिशनल डीसीपी-I/साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट को सौंपी गई, लेकिन समय की कमी के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका।
कोर्ट ने जांच अधिकारी एसीपी अजय गुप्ता को जांच की विस्तृत रिपोर्ट के साथ सुनवाई की अगली तारीख 8 जून 2023 को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही स्पेशल पुलिस कमिश्नर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जांच तेजी से पूरी की जाए और उठाए गए कदमों के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।
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