डॉ. दाभोलकर हत्याकांड: बरी किए गए तीन आरोपियों को अभी राहत नहीं, फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में होगी अपील

11 साल तक मुकदमा चलने के बाद महाराष्ट्र के पुणे की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला, पांच आरोपियों में दो को उम्रकैद की सजा, संदेह के लाभ में तीन बरी।
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर.
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर.

दिल्ली/पुणे। नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड मामले में करीब 11 साल बाद फैसले में शुक्रवार को पुणे की कोर्ट ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाकर तीन आरोपियों को संदेह के लाभ के चलते बरी कर दिया है। इस मामले में बरी किए गए तीनों आरोपियों के फैसले के खिलाफ दाभोलकर परिवार और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

डॉ. शैला दाभोलकर ने कहा- "हम वीरेंद्र तावड़े. संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को बरी करने के फैसले को मुंबईहाई कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि पानसरे, के कलबुर्गी, गौरी लंकेश हत्याकांड के साथ-साथ डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच में इसके पीछे की बड़ी साजिश और मास्टरमाइंड सामने आ जाएंगे।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के सदस्य प्रशांत पोतदार ने कहा- "डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के कारण एक परिवार के रूप में हमें और महाराष्ट्र के सामाजिक आंदोलन में उनके जैसे कार्यकर्ता-नेता की हत्या के कारण सामाजिक परिवर्तन आंदोलन को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। हालाँकि, हम जानते हैं कि समय आगे बढ़ता है और हमें उपलब्ध विकल्पों से खुद को सांत्वना देनी होगी।"

उन्होंने आगे कहा- "उनकी हत्या के बाद हमारे दिलों में कितना भी आक्रोश क्यों न हो, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के एक भी कार्यकर्ता ने हाथ में पत्थर नहीं उठाया, क्योंकि हम अंधश्रद्धा उन्मूलन आंदोलन के कार्यकर्ताओं और भारतीय नागरिकों ने एक विवेकपूर्ण निर्णय लिया। न्याय व्यवस्था में विश्वास के साथ जीवन जीना और आज भारतीय न्याय व्यवस्था में हमारा विश्वास ठीक साबित हुआ है।"

हामिद दाभोलकर ने कहा- "हम इस मामले में सीबीआई के वकील एडवोकेट सूर्यवंशी के बेहद आभारी हैं, जिन्होंने इस मामले की पूरी कार्यवाही को बड़ी क्षमता और दृढ़ संकल्प के साथ संभाला। हम सीबीआई के जांच अधिकारियों का भी आभार व्यक्त करते हैं।' सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा है कि यह हत्या आतंकी साजिश का हिस्सा थी। इस व्यापक साजिश के पीछे के मास्टरमाइंड अभी तक पकड़े नहीं जा सके हैं। हमें उम्मीद है कि भविष्य में सीबीआई के साथ-साथ देश की अन्य जांच एजेंसियां ​​भी इस दिशा में काम करेंगी।

सीबीआई की चार्जशीट में क्या?

सीबीआई ने दावा किया था कि दाभोलकर की हत्या की योजना बनाने में तावड़े की भूमिका थी। सीबीआई के मुताबिक़, हत्या के पीछे की वजह सनातन संस्था और महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के बीच टकराव था। इसके बाद हत्या की साजिश रचने के आरोप में तावड़े के ख़िलाफ़ 6 सितंबर 2016 को चार्जशीट दाखिल की गई थी।

इसी चार्जशीट में सीबीआई ने दावा किया कि सनातन संस्था के दो भगोड़े सदस्यों सारंग अकोलकर और विनय पवार ने दाभोलकर को गोली मारी थी। तावड़े की गिरफ़्तारी कोल्हापुर के एक हिंदू कार्यकर्ता संजय सदविलकर की गवाही के आधार पर की गई थी।

तावड़े और अकोलकर ने साल 2013 में सदविलकर से मुलाकात की थी। तावड़े ने सदविलकर से हथियार के लिए सहायता मांगी थी। अकोलकर ने देसी पिस्तौल और रिवॉल्वर का इंतजाम किया। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक़, वीरेंद्र तावड़े ने अकोलकर और पवार को दाभोलकर को मारने का निर्देश दिया था।

प्रशान्त पोतदार के मुताबिक सनातन संस्था और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के बीच वैचारिक टकराव थे। उनकी संस्था एक समाचार पत्र प्रकाशित करती है। जिसमें छपे लेखों पर सनातन संस्था द्वारा हत्याकांड के पूर्व से ही कोर्ट में याचिका दायर की थी।

क्या है पूरा मामला

अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ता डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में 11 साल तक मुकदमा चलने जे बाद महाराष्ट्र के पुणे की एक विशेष अदालत अपना फैसला सुना दिया है। इस साजिश के मास्टरमाइंड डॉ. वीरेंद्र तावड़े सहित दो अन्य आरोपी वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।

वहीं दाभोलकर को गोली मारने वाले शरद कालस्कर और सचिन एंडुरे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और प्रत्येक पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। अब कोर्ट से संदेह के लाभ में बरी किए जाने के मामले में दाभोलकर परिवार हाईकोर्ट में याचिका दायर करेगा।

बता दें, पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर सुबह की सैर पर निकले दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम से जुड़े मामलों की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.ए. जाधव ने यह फैसला सुनाया। इस घटना की प्राथमिक जांच पुणे पुलिस ने की थी, हालांकि बाद में यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने 2016 में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

दाभोलकर हत्याकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। शुरुआती जांच के दौरान पुलिस ने घटनास्थल के पास के 100 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाले, लेकिन तस्वीरें धुंधली होने की वजह से आरोपियों को ठीक से पहचाना नहीं जा सका। घटना को करीब से देखने वाले एक गवाह ने बताया था कि दाभोलकर के हमलावर 7756 नंबर वाली बाइक से वहां से भागे थे। इस हत्या की जांच के दौरान पुणे पुलिस ने नासिक, पुणे और ठाणे की जेलों में बंद करीब 200 अपराधियों और गैंगस्टरों समेत 1500 लोगों से पूछताछ की थी। जानकारी के मुताबिक करीब 16 जगहों से पुलिस ने 8 करोड़ फॉन कॉल का डेटा भी जुटाया। गवाह द्वारा बताए गए बाइक के नंबर की तरह दिखने वली सभी ब्लैक बाइकों की भी लिस्ट तैयार की गई थी। लेकिन तब भी पुलिस के हाथ कोई भी सुराग नहीं लग सका 

दाभोलकर की हत्या के तीन घंटे बाद पुलिस ने पहला आरोपी को गिरफ्तार किया था। उसके बाद दो हथियार डीलरों, मनीष नागोरी और विकास खंडेलवाल की गिरफ्तारी हुई। दोनों के पास से पुलिस ने देसी पिस्तौल, दो जिंदा गोलियां और 4 कारतूस बरामद किए थे। इन हाथियारों को जांच के लिए पुलिस ने फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को भेजा। इसकी जांच रिपोर्ट में सामने आया कि मौके से मिली गोलियां नागोरी और खंडेलवाल की 7.65 मिमी. पिस्तौल से ही चलाई गई थीं। ये भी पता गया कि गोलियों के जो निशान दाभोलकर के शरीर पर मिले, वह बी बरामद कारतूस से मिलते-जुलते हैं।

सीबीआई ने 6 सितंबर 2019 को दाभोलकर हत्याकांड में शरद कलस्कर, सचिन अंडूरे के खिलाफ पूरक चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। साल 2019 में सीबीआई ने विक्रम भावे नाम के शख्स को इस मर्डर केस का मास्टरमाइंड बताया। पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाते हुए शरद कलस्कर, सचिन अंडूरे को गिरफ्तार किया था। इन तीनों के अलावा जांच एजेंसी ने विक्रम भावे, संजीव पुनालेकर के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की। बता दें कि कालस्कर, तावड़े, अंडूरे फिलहाल जेल में बंद हैं, वहीं विक्रम भावे और पुनालेकर को जमानत दे दी गई थी।

क्या था हत्या का कारण?

सीबीआई का मानना है कि दाभोलकर की हत्या के पीछे की मुख्य वजह महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति और सनातन संस्था के बीच का टकराव रही। इस मामले में गिरफ्तार वीरेंद्र तावड़े सनातन संस्था से जुड़ा हुआ था। एक मीडिया रिपोर्ट में सीबीआई सूत्रों के मुताबिक बताया गया था की, आरोपी डॉ तावड़े 22 जनवरी 2013 को अपनी बाइक से पुणे गया था। इस बाइक का इस्तेमाल वह 2012 से ही कर रहा था। उसी बाइक पर बैठकर हत्यारों ने 22 अगस्त 2013 को डॉ नरेंद्र दाभोलकर पर गोलियां दागी थीं। घटना के बाद भी तावड़े बाइक का इस्तेमाल करता रहा। उसे पुणे के एक गैराज में ठीक भी करवाया गया था। बाद में इसी बाइक को लेकर वो कोल्हापुर भी गया, जहां 2015 में कॉमरेड पंसारे का मर्डर हुआ।

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