अब तक की खबरें: यौन उत्पीड़न कानून के लिए हर जिले में नियुक्त हो अधिकारी, सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्टफाइल फोटो

नई दिल्ली। द मूकनायक मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ में पढ़ें यौन उत्पीड़न कानून के लिए हर जिले में नियुक्त हो अधिकारी; सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश, सुप्रीम कोर्ट ने रेप और हत्या के आरोपी की मौत की सजा रद्द की, सात साल के बच्चे से कुकर्म, आरोपी गिरफ्तार, इसके अलावा ख़बरों में और भी बहुत कुछ।

यूपी: छापे में अल्ट्रासाउंड मशीन मिली पर नहीं मिले चिकित्सक

उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में बिना प्रशिक्षित चिकित्सकों के चल रहे अल्ट्रासाउंड सेंटरों की सच्चाई सामने आ रही है। शुक्रवार को सेमरियावां कस्बे में सीएमओ की टीम की छापेमारी में तीन अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर मशीन तो मिली पर उसे चलाने वाले चिकित्सक नहीं मिले। टीम ने डीएम को इस सेंटरों को सील करने के लिए मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट भेज दी है।

टीम ने दस्तावेजों की पड़ताल की तो पता चला कि यहां पर कोई चिकित्सक ही तैनात नहीं है। इसके बाद टीम ने लाइफ लाइन डायग्नोस्टिक सेंटर पर छापामारा। यहां पर मशीन ही मिली, इसको चलाने के लिए कोई नहीं था। नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि तीनों सेंटरों का पंजीकरण सीएमओ कार्यालय में है। पंजीकरण के समय इन तीनों सेंटरों ने प्रशिक्षित चिकित्सक से अल्ट्रासाउंड कराने का प्रमाणपत्र जमा किया है, पर मौके पर कोई चिकित्सक नहीं मिला। तीनों सेंटर गैरकानूनी तरीके से बिना प्रशिक्षित कर्मी से अल्ट्रासाउंड कराने में संलिप्त पाए गए हैं। इन तीनों सेंटरों को सील करने की रिपोर्ट डीएम को भेजी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने 3 माह की बच्ची से रेप-हत्या के आरोपी की मौत की सजा रद्द की

सुप्रीम कोर्ट ने रेप और हत्या के एक आरोपी की मौत की सजा रद्द कर दी. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आरोपी को जल्दबाजी में दोषी करार दिया गया था और उसे अपने बचाव का पर्याप्त मौका तक नहीं दिया गया था. अब मामले को दोबारा ट्रायल कोर्ट को भेज दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने ट्रायल कोर्ट की तीखी आलोचना भी की.

मामला साल 2018 का है. 3 महीने की बच्ची से रेप और हत्या के आरोपी को ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा था. जहां हाईकोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. इसके बाद इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने महज 15 दिनों के अंदर आरोपी को दोषी करार देते हुए सजा सुना दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने आरोपी को कुछ मेडिकल रिपोर्ट्स को चुनौती देने की इजाजत नहीं दी, जो कि गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को इस तरीके से ट्रीट किया जैसे उसके पास अपने बचाव के लिए कोई जादुई छड़ी हो और फौरन उसे पेश कर देगा. उसे पर्याप्त मौका नहीं दिया गया।

बिहार: सात साल के बच्चे से कुकर्म, आरोपी गिरफ्तार

बिहार के पिपरा बाजार, नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के एक गांव मे 15 वर्षीय किशोर ने सात साल के बच्चे को कब्रिस्तान में ले जाकर कुकर्म किया। सूचना पर पुलिस ने आरोपी किशोर पर केस दर्ज कर हिरासत में लेकर बाल सुधार गृह भेज दिया। पुलिस को मिली सूचना के अनुसार नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के एक गांव में गुरुवार को दोपहर में अपने दरवाजे पर खेल रहा एक सात वर्षीय बच्चे को 15 वर्षीय किशोर बहला फुसलाकर कर गांव के बाहर कब्रिस्तान में ले गया। वहां युवक ने बच्चे से कुकर्म किया। मासूम रोते बिलखते घर पहुंचा और परिजनों को बताया तो परिजन दंग रह गए। मासूम बच्चे की मां ने तहरीर सौंप आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुलिस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज कर आरोपी किशोर को हिरासत में लेकर शुक्रवार को बाल सुधार गृह भेज दिया।

यौन उत्पीड़न कानून के लिए हर जिले में अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने वर्कप्लेस पर यौन प्रताड़ना रोकने के लिए बने POSH एक्ट यानी प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फॉर्म सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट को देश भर में कारगर तरीके से लागू करने के लिए केंद्र राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश को निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकारें एक्ट के तहत जिला ऑफिसर की नियुक्ति करें। कानून के मुताबिक, संबंधित सरकारी डीएम आडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या डिप्टी कलेक्टर को जिला ऑफिसर के तौर पर नियुक्त करने के लिए नोटिफिकेशन जारी करें। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की अगुवाई वाली बेंच ने अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्देश जारी किए हैं।

याचिका में कहा गया है कि POSH कानून को कारगर तरीके से अमल कराया जाए। कानून के मुताबिक जो भी एंपलॉयर (कर्मी ) हैं, उनकी कानूनी बाध्यता होती है, कि वह एक इंटरनल कंप्लेंट कमेटी बनाएं। साथ ही हर जिले में एक लोकल कमेटी गठित करने की जिम्मेदारी जिला ऑफिसर की होगी। हर ब्लॉक और तालुका में जिला ऑफिसर को एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करने की जिम्मेदारी है।

सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश: सुरक्षित होने के बावजूद फसलों पर जैविक कीटनाशकों के उपयोग से क्यों दूर हैं किसान, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
सुप्रीम कोर्ट
झारखंड: पिता द्वारा बेटी को बैंड-बाजे के साथ ससुराल से घर लाने वाले वायरल वीडियो का क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट
डॉ अंबेडकर समलैंगिकता को मानते थे 'प्राकृतिक', 90 साल पहले कोर्ट में दिए ये तर्क

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com