ओडिशा के कालीपल्ली गांव में पुलिस का पहरा बरकरार, सप्ताह भर बाद कोर्ट से 15 ग्रामीणों के रिहाई के आदेश

टेक्निकल अमोनियम नाइट्रेट (टीएएन) कॉम्प्लेक्स का निर्माण जून 2022 में शुरू हुआ था, तभी से ग्रामीण इसका विरोध कर रहे थे। आंदोलन के दौरान हिंसक झड़प के बाद 8 महिलाओं सहित 15 लोग हुए थे गिरफ्तार
सरकार ने 1996 में एक स्टील प्लांट के लिए छह हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था, जो अभी तक स्थापित नहीं हुआ है।
सरकार ने 1996 में एक स्टील प्लांट के लिए छह हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था, जो अभी तक स्थापित नहीं हुआ है।

ओडिशा। प्रदेश में गंजिम जिले के छतरपुर ब्लॉक में कालीपल्ली बीते एक हफ्ते से तनाव कायम है। पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील है जहां अप्रत्याशित हिंसा की आशंका में चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा है। करीब सप्ताह भर पूर्व इस ग्राम में दीपक फर्टीलाइजर्स नामक कंपनी की स्थापना का विरोध कर रहे 15 आंदोलनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था जिसके बाद से ही क्षेत्र में तनाव है। ग्रामीण प्रशासनिक प्रतिबंध के बावजूद एक औद्योगिक पार्क क्षेत्र में जबरन घुस गए थे। प्रदर्शनकारियों के समूह जिसमें ज्यादातर महिलाएं थी, औद्योगिक पार्क क्षेत्र में घुसने में कामयाब रहीं जिन्होंने सशस्त्र पुलिस बलों की मौजूदगी के बावजूद विरोध प्रदर्शन किया। उनके जबरदस्ती प्रवेश के बाद, लगभग 25 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के साथ, आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। उनमें से 15 जन जिनमें आठ महिलाएं शामिल थीं, को गिरफ्तार किया गया और बाद में सभी को अदालत में पेश किया गया जो वर्तमान में जेल में हैं। बुधवार को स्थानीय कोर्ट द्वारा इनकी जमानत पर सुनवाई कर इन्हें ज़मानत पर रिहा करने के आदेश दिये।

ग्रामीण अपने इलाके में दीपक फर्टीलाइजर्स के निर्माण कार्य का विरोध कर रहे थे और इससे पहले भी स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़प हो चुकी है। जन जागरण अभियान के प्रदेश अध्यक्ष मधुसूदन ने द मूकनायक को बताया कि पुलिस ने आंदोलनकारियों को बेरहमी से पीटा, घसीटा और जबरदस्ती थाने ले गई और बच्चों को भी नहीं बख्शा। अन्य आरोपों में, सबसे चौंकाने वाला हिस्सा यह था कि हत्या के प्रयास का आरोप निर्दोष लोगों पर लगाया गया है, जो हाथापाई के समय पुलिस बल के सामने निहत्थे और असहाय थे।

प्रशासन की दोहरी नीति

कालीपल्ली ग्राम समिति के अध्यक्ष बी मोहन पात्रा ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने द मूकनायक को बताया कहा कि जब प्रशासन शांति वार्ता करने की कोशिश कर रहा था, तब पुलिस ने लोगों के साथ मारपीट की और उन्हें झूठे आरोपों में जेल में डाल दिया, जो अस्वीकार्य है। "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब यूनिट के निर्माण को लेकर विवाद जारी है, तब भी प्रशासन काम शुरू होने दे रहा है"। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण संवाद को तैयार हैं लेकिन प्रशासन को इसके लिए गिरफ्तार किए लोगों को रिहा करवाना होगा और सभी झूठे मुकदमे वापस लेने होंगे। उन्होंने टाटा द्वारा सभी ग्रामीणों को देय मुआवजा भी चुकाने की मांग की।

ग्रामीणों ने रखी 7 मांगे

कालीपल्ली ग्राम समिति की ओर से जिला प्रशासन को सात सूत्रीय मांग पत्र दिया गया है जिसमें प्रमुख मांग आंदोलन में गिरफ्तार किए गए लोगों के विरुद्ध दायर मुकदमे वापस लेने, टाटा द्वारा अधिग्रहित जमीन के मालिकों को 'लैंड लूसर कार्ड' देने, टाटा द्वारा गैर अधिसूचित की गई भूमि को शीघ्र संबधित भू-मालिकों को लौटाना आदि शामिल है। ग्राम समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि ग्रामीण दीपक फर्टीलाइजर्स की स्थापना में भी सहयोग करने को तैयार हैं यदि कंपनी ये स्पष्ट कर दे कि वे स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करेगी।

विवाद की पृष्ठभूमि

राज्य सरकार ने 1995-96 में टाटा के मेगा स्टील प्लांट की स्थापना के लिए लगभग 6,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। भूस्वामी अपनी कृषि योग्य भूमि देने के लिए तैयार हुए क्योंकि प्रस्तावित संयंत्र से न केवल रोजगार सृजित होने की उम्मीद थी बल्कि स्थानीय लोगों की वित्तीय स्थिति में सुधार की आशा थी। लेकिन 26 साल बीत जाने के बावजूद टाटा ने मेगा स्टील प्लांट का कार्य प्रारंभ नहीं किया और प्रस्तावित संयंत्र के लिए निर्माण कार्य चारदीवारी से आगे नहीं बढ़ पाया है। प्रस्तावित संयंत्र दूर की कौड़ी प्रतीत होने से जमींदारों और स्थानीय निवासियों के बीच पहले से ही काफी नाराजगी है।

इस बीच, सरकार द्वारा केवल 206 एकड़ जमीन उनके मालिकों को लौटाने की हालिया घोषणा ने आग में घी डालने का ही काम किया है। टाटा स्टील ने इस साल जनवरी में करीब 206 एकड़ जमीन को गैर-अधिसूचित किया था और घोषणा की थी कि इसे मालिकों को लौटा दिया जाएगा। नोटबंदी के बाद, अधिकारियों ने चारदीवारी बनाने का फैसला किया, जिसका काम पिछले हफ्ते सशस्त्र बलों की मौजूदगी के बीच शुरू हुआ।

सूत्रों ने बताया कि जून 2022 में जब टेक्निकल अमोनियम नाइट्रेट (टीएएन) कॉम्प्लेक्स का निर्माण शुरू हुआ तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और धरना दिया। उन्होंने कथित तौर पर पुलिस, प्रशासनिक और कंपनी के अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद जबरदस्ती साइट में घुसकर हंगामा किया। उनका कहना था कि प्लांट लगाने से पर्यावरण प्रदूषित होगा। दिसंबर 2022 में, कंपनी की अपील के बाद, अदालत ने ग्रामीणों को निर्देश जारी किया कि वे 500 मीटर के दायरे में कोई सभा न करें।

चूंकि विरोध प्रदर्शन जारी रहने से निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा था, इसलिए 1 फरवरी को चामाखंडी पुलिस ने श्रमिक संघ नेता शंकर दास सहित 53 लोगों को नोटिस जारी कर गांव में किसी भी तरह की कानून व्यवस्था की स्थिति में कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। लेकिन जब फैक्ट्री की चारदीवारी का निर्माण शुरू हुआ सैकड़ों ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन सशस्त्र पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया।

अधिकारियों का स्पष्टीकरण

दीपक फर्टिलाइजर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि ग्रामीणों को कुछ गलतफहमी हो गई थी। ग्रामीणों का मानना ​​है कि निर्माण कार्य कंपनी कर रही है जबकि दीपक फर्टिलाइजर्स ने सिर्फ औद्योगिक पार्क में जगह चुनकर वहां इकाई स्थापित की है। चाहर दीवारी का निर्माण टाटा द्वारा ही किया जा रहा है। उन्होंने कहा कंपनी का इरादा स्थानीय लोगों को रोजगार देना और क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान देना है।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पीके दलाई ने मीडिया को बताया कि कालीपल्ली के 400 निवासी कंपनी साइट में घुस गए और वहां निर्माण कार्य रोक दिया। मारपीट में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सहित चार जवान घायल हो गये। अधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों को पहले से ही सूचित किया गया था कि जमीन टाटा स्टील की है और उनके द्वारा चारदीवारी का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीणों ने सावधानी पर ध्यान नहीं दिया और कानून अपने हाथ में ले लिया।

सरकार ने 1996 में एक स्टील प्लांट के लिए छह हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था, जो अभी तक स्थापित नहीं हुआ है।
आखिर क्यों ओडिशा में 100 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर ग्रामीण जिला कलेक्टर की दफ्तर के बाहर धरना प्रदर्शन करने पहुंचे

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