मध्य प्रदेश: चित्र बोलते हैं, इन्हें समझने की जरूरत है- चित्रकार आत्माराम श्याम

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आत्माराम श्याम के चित्रों की लगी प्रदर्शनी, गोंड चित्रकारी के लिए मशहूर हैं आत्माराम।
मध्य प्रदेश: चित्र बोलते हैं, इन्हें समझने की जरूरत है- चित्रकार आत्माराम श्याम
चित्र साभार- आत्माराम श्याम

भोपाल। राजधानी भोपाल के लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा में जनजातीय चित्रकार आत्माराम श्याम के चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है।

जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी व बिक्री के लिए सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से शलाका नाम से प्रदर्शनी का आयोजन होता है। इसका उद्देश्य जनजातीय चित्रकारों के कला का प्रदर्शन और उन्हें इस माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना है।

संग्रहालय की प्रदर्शनी में गोंड समुदाय के चित्रकार आत्माराम श्याम के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई है। 33वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 28 फरवरी तक लगी रहेगी। प्रदर्शनी में आत्माराम श्याम के द्वारा बनाएँ गए चित्रों में प्रकृति से संबंधित खास तौर से वन्यजीवों का चित्रण किया गया हैं।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए कलाकार आत्माराम श्याम ने बताया कि वह मूलत: मध्यप्रदेश के गोंड बहुल क्षेत्र सुनपुरी जिला डिण्डोरी के निवासी हैं। पढ़ाई के सिलसिले में वह भोपाल आए थे। भोपाल में बड़ी बहन सुशीला के यहाँ रहकर पढ़ाई के साथ चित्रकारी भी करते हैं।

चित्रकार आत्माराम श्याम
चित्रकार आत्माराम श्याम

श्याम बताते हैं, उन्हें अपनी बड़ी बहन को चित्र बनाते हुए देखना इनको अच्छा लगता था। धीरे-धीरे इन्होंने भी कूची पकड़ना शुरू किया। उन्हीं के संरक्षण और प्रेरणा से चित्र बनाने की शुरुआत की। देखते-देखते कुछ वर्षों में ये एक मँझे हुए कलाकार की तरह चित्रकारी करने लगे। आत्माराम अपनी बहन को ही अपना प्रारम्भिक गुरु मानते हैं।

आत्माराम अपनी चित्रकला में आदिवासी समुदाय की संस्कृति, परम्परा और परिवेश को दिखाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने बताया चित्र बोलते हैं, बस उन्हें समझने की जरूरत है।

आत्माराम ने हमें बताया कि उनके ताऊ नर्मदा प्रसाद तेकाम जो स्वयं एक प्रतिष्ठित चित्रकार हैं, उनसे भी चित्रकारी के गुर उन्होंने सीखे। शुरुआती जीवन में इन्होंने घर-परिवार के कामों में भी सहायता की। खेती-बाड़ी आदि के कार्यों में सहयोग दिया। वर्ष 2018 में इनकी माता का निधन हो गया, जिसका इनके जीवन पर गहरा असर पड़ा। इस घटना ने इन्हें अन्तर्मुखी बना दिया। इनकी पहली एकल चित्र प्रदर्शनी फरीदाबाद में वर्ष 2018 में लगी। इसके बाद देश के अनेक कला संस्थानों द्वारा आयोजित शिविरों में आमंत्रित किया गया। इनके द्वारा बनाये गये चित्र अनेक संस्थाओं और व्यक्तियों के निजी संग्रह में हैं। वर्तमान में आत्माराम भोपाल में निवासरत हैं, और अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई के साथ वह चित्रकारी कर रहे हैं।

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