मध्यप्रदेश की पैडवुमेन माया विश्वकर्मा, अमेरिका में नौकरी छोड़ महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति कर रही हैं जागरुक

पैडवुमेन माया विश्वकर्मा लोगों को मासिक धर्म के प्रति जागरूक करती हुईं। फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक
पैडवुमेन माया विश्वकर्मा लोगों को मासिक धर्म के प्रति जागरूक करती हुईं। फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक

पैडवुमेन माया विश्वकर्मा को नरसिंहपुर जिले के साई खेड़ा से निर्विरोध सरपंच चुना गया है। उन्होंने अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़कर महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति जागरुक करने का काम शुरू किया है।

अमेरिका से वापस आई माया विश्वकर्मा किसी पहचान की मोहताज नहीं। वह भारत में पैड वुमेन या पैड जीजी के नाम से भी मशहूर हैं। बताया जा रहा है कि, ग्रामीणों के विकास और स्वास्थ्य के लिए उनके प्रयासों और कार्यों के चलते उन्हें निर्विरोध सरपंच चुना गया है। हाल ही में मध्यप्रदेश में सरपंच और पार्षद के चुनाव सम्पन्न हुए हैं। जिसमें नगर निगम का चुनाव दो चरणों में हुआ। जबकि पंचायत का चुनाव त्रिस्तरीय में कराया गया। नगर निगम के चुनाव की पहली मतगणना 18 जुलाई को हुई। वहीं दूसरी मतगणना 20 जुलाई को होगी। लेकिन इन चुनावों में सबसे दिलचस्प मामला इस बार निर्विरोध निर्वचित सरपंचों की है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 570 सरपंच निर्विरोध निर्वाचित हुए, जिसमें से सिर्फ 380 महिलाएं हैं। इन महिला सरपंचों में 21 साल की महिलाएं शामिल हैं तो वहीं 79 साल की बुजुर्ग महिला भी शामिल हैं। 79 वर्षीय बुजुर्ग रामरानी सबसे अधिक उम्र की महिला सरपंच हैं। इन सभी को निर्विरोध चुना गया है। इन सब में एक महिला सरपंच ऐसी भी हैं जो अमेरिका से पढ़ाई करके आईं हैं।

पैडवुमेन माया विश्वकर्मा, फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक
पैडवुमेन माया विश्वकर्मा, फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक

माया विश्वकर्मा ने अमेरिका से की पीएचडी

माया विश्वकर्मा को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर के साईं खेड़ा तहसील में निर्विरोध सरपंच चुना गया है। माया विश्वकर्मा के माता पिता खेतिहार मजदूर थे। लेकिन वह अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे। इसलिए माया को उन्होंने खूब पढ़ाया। माया विश्वकर्मा ने जबलपुर के एक विश्वविद्यालय से बॉयोटेक्नोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। साथ ही दिल्ली एम्स में रिसर्च भी किया और बाद में अमेरिका चली गई। जहां यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को में ब्लड कैंसर पर रिसर्च किया। साल 2008 में उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की। इसके बाद, माया विश्वकर्मा अमेरिका की एक अच्छी जिंदगी को छोड़कर अपने प्रदेश वापस आ गई। यहां आकर उन्होंने महिलाओं के लिए सामाजिक कार्य करना शुरु कर दिया।

माया विश्वकर्मा ने अमेरिकी नौकरी छोड़ राजनीति में रखा कदम

स्वदेश वापसी के बाद माया विश्वकर्मा ने गरीब लोगों के लिए काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने अमेरिका में अपनी नौकरी भी छोड़ दी। यहां आने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि उन्हें लगा कि राजनीति में आकर वह समाज के लिए कुछ अच्छा कर पाएंगी। जिसके लिए वह लगातार प्रयासरत थीं। राजनीति में कदम रखने के बाद साल 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव में उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट से नर्मदापुरम लोकसभा क्षेत्र (नरसिंहपुर-होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र) से चुनाव लड़ा था। लेकिन मोदी लहर के बीच माया विश्वकर्मा को यहां हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने राजनीति नहीं छोड़ी। इसी साल हुए मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव में वह निर्विरोध सरपंच चुनी गईं।

माया क्यों पैड वुमेन के नाम से मशहूर हैं?

माया विश्वकर्मा को 'पैड जीजी' व 'पैड वुमेन' के नाम से भी जाना जाता है। सुकर्मा फाउंडेशन के जरिए माया विश्वकर्मा समाजसेविका के तौर पर कार्य करती हैं। महिलाओं को मासिक धर्म, हाइजीन और स्वास्थ्य को लेकर जागरूक करने के लिए वह कार्य करती हैं। माया विश्वकर्मा गांव कस्बों की महिलाओं को लगातार मासिक धर्म (पीरियड्स) में होने वाली समस्याओं के बारे में जागरुक कर रही हैं। वह कई जगहों पर महिलाओं को पैड बांटती भी नजर आती हैं। इस तरह से वह लगातार महिलाओं में मासिक धर्म में पैड का इस्तेमाल न करने से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरुक कर एक सामाजिक कार्य कर रही हैं। साथ ही उन्होंने पैड बनाने का भी काम शुरु किया है।

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