पद्मिनी टैक्सी: अब नहीं दिखेंगी मुंबई की सड़कों पर, लेकिन दिल में रहेगी

चित्तौड़गढ़ की प्रसिद्ध राजस्थानी रानी पद्मिनी के नाम पर प्रतिष्ठित टैक्सियाँ, न केवल एक प्रीमियम वाहन के रूप में बल्कि आम आदमी की कार के रूप में भी लगभग 60 वर्षों से सड़कों की शोभा बढ़ा रही हैं।
चित्तौड़गढ़ की प्रसिद्ध राजस्थानी रानी पद्मिनी के नाम पर प्रतिष्ठित टैक्सियाँ, न केवल एक प्रीमियम वाहन के रूप में बल्कि आम आदमी की कार के रूप में भी लगभग 60 वर्षों से सड़कों की शोभा बढ़ा रही हैं।For representational purpose only

मुम्बई: बीते छह दशक से मुंबई की सड़कों की पहचान बनी पद्मिनी टैक्सी का यादगार सफर खत्म हो गया है। काली-पीली टैक्सी के नाम से मशहूर ट्रांसपोर्ट सर्विस गत रविवार से बंद हो गई। बॉलीवुड सिटी के लिए प्रीमियर पद्मिनी (Premier Padmini) टैक्सी आने-जाने के साधन से काफी बढ़कर थी। सपनों के शहर के हर कोने में इसकी याद छिपी हुई है। मुंबई में टैक्सी के नए मॉडल्स और ऐप-बेस्ड कैब सर्विस के लिए काली-पीली टैक्सी सड़कों पर अब नजर नहीं आएंगी। इससे पहले दुनिया भर में मशहूर प्रतिष्ठित डबल-डेकर बस सर्विस को बंद किया गया था।

29 अक्टूबर, 2023 को वह आखिरी दिन था जब प्रभादेवी के निवासी और मुंबई में आखिरी पंजीकृत प्रीमियर पद्मिनी(Premier Padmini) टैक्सी (पंजीकरण संख्या MH-01-JA-2556) के मालिक अब्दुल करीम कारसेकर ने पद्मिनी टेक्सी चलाई। यह टैक्सी कई दशकों से मुंबई की पहचान का अभिन्न हिस्सा रही है।

ऐसा रहा काली पीली टैक्सी का सफर

मुंबई का काली पीली टैक्सी का सफर काफी लंबा रहा है। इसकी शुरुआत 1964 में की गई थी। तब पद्मिनी कार का मॉडल का नाम फिएट-1100 डिलाइट था, जो 1200 सीसी की कार थी और इसमें स्टीयरिंग के साथ गियर दिया गया था। इसका इंजन काफी छोटा हुआ करता था। इसलिए इसकी रखरखाव में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आती थी। 70 के दशक में इस टैक्सी को प्रीमियर प्रेसिडेंट के नाम से जाना जाता था। यह मुंबईवालो के लिए भी पुरानी यादों का दिन है। क्योंकि उनकी प्रिय प्रीमियर पद्मिनी(Premier Padmini) टैक्सियां अब सड़कों पर नजर नहीं आएंगी। चित्तौड़गढ़ की प्रसिद्ध रानी पद्मिनी के नाम पर ये प्रतिष्ठित टैक्सियाँ लगभग 60 वर्षों से सड़कों की शोभा बढ़ा रही हैं, न केवल एक प्रीमियम वाहन के रूप में बल्कि आम आदमी की कार के रूप में भी। हालाँकि, आम आदमी के लिए इन टैक्सियों की यादें और भावनात्मक लगाव कभी ख़त्म नहीं होगा।

पद्मिनी टैक्सी (Premier Padmini) और बॉलीवुड फिल्में

प्रतिष्ठित प्रीमियर पद्मिनी(Premier Padmini) कैब न केवल दैनिक परिवहन के रूप में काम करती थी। बल्कि मुंबई में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक महत्व भी रखती थी। जिसे अक्सर बॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जाता था। इन्हें अक्सर पुरानी बॉलीवुड फिल्मों की शुरुआत में प्रदर्शित किया जाता था, जिसमें मुंबई शहर को पृष्ठभूमि के रूप में स्थापित किया जाता था। बॉलीवुड की जिस फिल्म में मुंबई का जिक्र हो, वहां काली-पीली रंग से रंगी हुई फीएट की कार प्रीमियर पद्मिनी न नजर आए। मुंबई के रेलवे स्टेशनों के पास खड़ी, सड़कों पर नजर आने वाली, 1960 से 2000 के दशक तक कई बॉलीवुड फिल्मों से सजी पद्मिनी टैक्सी ने सिनेमाई इतिहास में अपनी भव्यता दर्ज की है। "छैला बाबू" में मेगास्टार राजेश खन्ना से लेकर "खुद्दार" में अमिताभ बच्चन, "गमन" में फारूक शेख, "टैक्सी नंबर 9211" में नाना पाटेकर, या हाल ही में फन्ने खान (2018) में टैक्सी दिखाई गई।

क्या कहा महिंद्रा ने?

आनंद महिंद्रा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। वह लगभग हर मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हैं। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर उनके सैकड़ों फॉलोअर्स हैं। जैसे ही काली-पीली प्रीमियर पद्मिनी (Premier Padmini)टैक्सी की विदाई की खबर सामने आई, महिंद्रा ने उस पर एक ट्वीट कर डाला। उन्होंने लिखा - मुंबई की सड़कों से प्रीमियर पद्मिनी (Premier Padmini)की काली-पीली टैक्सी आज से हटाई जा चुकी है। यह टैक्सी आरामदायक, भरोसेमंद और कम आवाज में चलने वाली थी. इसमें बहुत ज्यादा सामान भी नहीं आता था, लेकिन हमारी उम्र के लोगों के लिए यह टैक्सी कई यादों को साथ लेकर विदा हो रही है।

कोलकता में एम्बेसडर तो मुंबई में 'पद्मिनी टैक्सी'

दिल्ली और कोलकाता में 60 के दशक में एम्बेसडर कार का वर्चस्व था। उस दौर एम्बेसडर कार रखना और इसकी सवारी करना ही अपने आप में एक बड़ी बात मानी जाती थी। लेकिन मुंबईवासियों ने 'एम्बेसडर' के बजाए 'पद्मिनी टैक्सी'(Premier Padmini) को तरजीह दी थी।

म्यूजियम में रखी जाए प्रीमियर पद्मिनी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुछ लोगों ने मांग की है कि कम से कम एक ‘प्रीमियर पद्मिनी’ (Premier Padmini) को सड़क पर या संग्रहालय में संरक्षित किया जाए. पुरानी टैक्सी कार के शौकीन डैनियल सिकेरा ने कहा कि ये मजबूत टैक्सी पांच दशकों से अधिक समय से शहर के परिदृश्य का हिस्सा रही हैं और पिछली कई पीढ़ियों से इनसे भावनात्मक जुड़ाव रहा है। इस लिए इसको म्यूजियम में रखा जाए।

चित्तौड़गढ़ की प्रसिद्ध राजस्थानी रानी पद्मिनी के नाम पर प्रतिष्ठित टैक्सियाँ, न केवल एक प्रीमियम वाहन के रूप में बल्कि आम आदमी की कार के रूप में भी लगभग 60 वर्षों से सड़कों की शोभा बढ़ा रही हैं।
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