नई दिल्ली। मराठी न्यूज़ चैनल 'लोकशाही' का मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा चैनल का लाइसेंस निलंबित करने और इसके प्रसारण पर 30 दिनों के लिए प्रतिबंध लगाने के बाद चैनल ने इस कार्रवाई के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। चैनल को केंद्र सरकार ने इस आधार पर निलंबित कर दिया था कि चैनल के संचालक वे लोग नहीं है जिनके नाम पर इसका लाइसेंस जारी किया गया था।
इस पर चैनल द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट से राहत की मांग करते हुए मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने चैनल के मालिकों से कहा कि वे सुधारात्मक कदम उठाएं और यह दिखाएं कि चैनल की गतिविधियां उनके नियंत्रण में हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीन याचिकाकर्ताओं, ज़ोरा ट्रेडर्स लिमिटेड, स्वराज मराठी ब्रॉडकास्टिंग एलएलपी और बाहुबली शांतिलाल शाह ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के 9 जनवरी के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने 9 जनवरी शाम 6 बजे से प्रभावी इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए दावा किया कि इस आदेश की वजह से चैनल को 30 दिनों के लिए पूरे भारत में सभी प्लेटफार्मों पर प्रसारण पर रोक लगा दी गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट में चैनल की ओर से अधिवक्ता जयंत मेहता ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 9 जनवरी को शाम 6 बजे चैनल के निलंबन का आदेश भेजा और तुरंत ही इसे बंद कर दिया गया। चैनल द्वारा मंत्रालय के कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के बाद यह आदेश बिना किसी कारण के पारित किया गया था और नीति निर्देशक तत्वों के उल्लंघन का हवाला देते हुए चैनल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया।
बता दें कि, पिछले पांच महीनों में मराठी न्यूज़ चैनल लोकशाही के खिलाफ इस तरह की यह दूसरी कार्रवाई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पिछले साल 22 सितंबर को चैनल पर 72 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया था, जब कथित तौर पर भाजपा नेता किरीट सोमैया का एक अंतरंग वीडियो चैनल पर प्रसारित किया था।
पिछले साल 17 जुलाई को भाजपा नेता किरीट सोमैया का वीडियो प्रसारित होने के बाद से मीडिया चैनल लोकशाही लगातार इसी तरह की परेशानी से जूझ रहा है। बता दें कि इस वायरल वीडियो ने महाराष्ट्र में काफी राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी।
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