पेरियार जयंती 2025: जब होटलों के बोर्ड से 'ब्राह्मण' शब्द मिटाने के आंदोलन ने हिला दी थी जाति व्यवस्था की जड़ें!

1958 में शुरू हुए इस सामाजिक युद्ध ने तमिलनाडु की सामाजिक संरचना को बदलकर रख दिया, पेरियार को जेल भी जाना पड़ा
1968 में पेरियार के सच्चे तर्कवादी शिष्य की भाँति अन्ना ने एक सर्कुलर जारी कर सभी सरकारी कार्यालयों से हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया।
पेरियार समर्थकों ने शहर-शहर, गली-गली जाकर सैकड़ों होटलों के बोर्ड से 'ब्राह्मण' शब्द हटा दिया। यह आंदोलन इतना प्रभावी रहा कि कुछ ही दिनों में पूरे तमिलनाडु राज्य में होटलों के नामपट्टों से यह शब्द गायब होने लगा। AI generated symbolic image
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चेन्नई-  सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष करने वाले महान तर्कवादी नेता ई.वी. रामासामी 'पेरियार' की 146 वी जयंती के अवसर पर आज हम आपको ले चलते हैं 1950 के उस दौर में जब उन्होने एक के बाद एक ऐसे अनेक प्रतीकात्मक कार्य किये जिसने बड़े सामाजिक बदलाव की नींव रखी। गणेश की मूर्तियों तोड़ने से लेकर , राम की तस्वीरें , रामायण की प्रतियां जलाने और जातिगत श्रेष्ठता दर्शाने वाली प्रथाओं का पेरियार ने पुरजोर विरोध किया।

मूर्ति-पूजा की निन्दा करने के लिए और दुनिया को यह दिखाने के लिए कि मूर्तियों में कोई अलौकिक शक्ति नहीं है: पेरियार ने 1953 में एक अभियान शुरू किया। उनके अनुयायियों तथा खुद पेरियार ने सार्वजनिक स्थानों पर पिल्लैयर (विनायक) की मूर्तियाँ तोड़नी शुरू कर दीं।

1958 का वह ऐतिहासिक क्षण आज भी पेरियार समर्थकों के लिए बड़ा दिन है जब उन्होंने जातिगत श्रेष्ठता के प्रतीकों को चुनौती देते हुए तमिलनाडु के होटलों से 'ब्राह्मण' शब्द हटवाने का बड़ा आंदोलन छेड़ा था। उस दौर में, ब्राह्मण समुदाय के लोग अपने होटलों के नामपट्ट (बोर्ड) पर 'ब्राह्मण होटल' लिखा करते थे। इसके पीछे उनका मकसद था लोगों के मन में यह संदेश बैठाना कि ब्राह्मण समुदाय श्रेष्ठ है और उनके होटलों का खाना 'शुद्ध' व 'उच्चस्तरीय' है। यह प्रथा जातिगत भेदभाव और ऊंच-नीच को बढ़ावा दे रही थी।


पेरियार ने इस प्रथा को जातिवाद का एक सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली हथियार माना। उन्होंने अपने अनुयायियों और द्रविड़ आंदोलन के कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे पूरे तमिलनाडु में ऐसे सभी होटलों के बोर्ड से 'ब्राह्मण' शब्द को शांतिपूर्वक मिटा दें। उनका यह आंदोलन जातिगत पहचान के व्यावसायिकरण के खिलाफ एक सीधी चुनौती थी।

1968 में पेरियार के सच्चे तर्कवादी शिष्य की भाँति अन्ना ने एक सर्कुलर जारी कर सभी सरकारी कार्यालयों से हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया।
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पेरियार के इस आह्वान को जबरदस्त जनसमर्थन मिला। कार्यकर्ताओं ने शहर-शहर, गली-गली जाकर सैकड़ों होटलों के बोर्ड से 'ब्राह्मण' शब्द हटा दिया। यह आंदोलन इतना प्रभावी रहा कि कुछ ही दिनों में पूरे राज्य में होटलों के नामपट्टों से यह शब्द गायब होने लगा। इससे घबराई तत्कालीन सरकार ने पेरियार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने करूर, कुलितलई और तिरुचिरापल्ली में दिए गए अपने भाषणों में लोगों को हिंसा के लिए उकसाया है। परिणामस्वरूप, पेरियार को गिरफ्तार कर लिया गया।

तिरुचिरापल्ली की जिला अदालत ने पेरियार को छह महीने की कैद की सजा सुनाई। यह सजा जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई में एक 'बैज ऑफ ऑनर' बन गई। पेरियार की इस सजा ने पूरे देश में एक बहस छेड़ दी कि क्या जातिगत श्रेष्ठता का दावा करना और उसे प्रचारित करना संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप है। यह आंदोलन न सिर्फ एक शब्द को मिटाने के बारे में था, बल्कि यह उस मानसिकता को मिटाने की शुरुआत थी जो एक समुदाय को दूसरे से श्रेष्ठ मानती है।

1968 में पेरियार के सच्चे तर्कवादी शिष्य की भाँति अन्ना ने एक सर्कुलर जारी कर सभी सरकारी कार्यालयों से हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया।
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सरकारी दफ्तरों से हटवाई थी देवी-देवताओं की तस्वीरें

1967 में सी.एन. अन्नादुरै तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन गए। उनकी पार्टी डीएमके को तमिलनाडु विधानसभा में सर्वाधिक सीटें मिलीं। वह तिरुचिरापल्ली गए और उन्होंने पेरियार की शुभकामनाएँ और मशविरा लिया। 1968 में पेरियार के सच्चे तर्कवादी शिष्य की भाँति अन्ना ने एक सर्कुलर जारी कर सभी सरकारी कार्यालयों से हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया। यह कदम एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के अनुरूप था।

1969 में पेरियार ने मन्दिरों में व्यवहार में लाए जा रहे जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए उनके गर्भगृह में सभी जातियों के योग्य व्यक्तियों का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए एक कार्यक्रम की घोषणा की। इससे पहले केवल ब्राह्मण ही पूजा-अर्चना करवा सकते थे; वह भी तमिल की बजाय संस्कृत में।

8 दिसम्बर, 1973 को पेरियार ने एक सामाजिक सम्मेलन का आयोजन कर सामाजिक अवनति और ब्राह्मणों द्वारा थोपी गई जाति-व्यवस्था को खत्म करने पर चर्चा आयोजित की। यह सम्मेलन 8 और 9 दिसम्बर, 1973 को थिडल, वेपेरी, मद्रास में आयोजित किया गया और दोनों ही दिन अपार जनसमूह वहाँ पहुँचा। पेरियार ने एक शानदार भाषण देकर तमाम द्रविड़ों का आह्वान किया कि वे आगे आएँ और जाति तथा सामाजिक अवनति के उन्मूलन के लिए काम करें। उस समय कई ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किए गए।

1968 में पेरियार के सच्चे तर्कवादी शिष्य की भाँति अन्ना ने एक सर्कुलर जारी कर सभी सरकारी कार्यालयों से हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया।
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1968 में पेरियार के सच्चे तर्कवादी शिष्य की भाँति अन्ना ने एक सर्कुलर जारी कर सभी सरकारी कार्यालयों से हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया।
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