ईरान में क्यों दिया जा रहा है लड़कियों को जहर!

ईरान में अब लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए चरमपंथी संगठन नए नए कवायद कर रहें हैं।
ईरान में क्यों दिया जा रहा है लड़कियों को जहर!
Photo : She The People

ईरान में हिजाब के खिलाफ जंग के बाद स्कूल जाने से लड़कियों को रोकने की कोशिश की जा रही है. एक ईरानी शहर कॉम में पिछले कुछ महीनों में सैकड़ों लड़कियों को जहर दिए जाने का मामला सामने आया है. यह शहर एक धार्मिक शहर माना जाता है, जहां लड़कियों को सिर दर्द, कफ, सांस लेने में दिक्कत, घबराहट और सुन्न होने जैसी शिकायतों के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. अब इस बात की पुष्टि हुई है कि उन्हें असल में जहर ही दिया जा रहा था.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईरान के कई स्कूलों में लड़कियों को जहर देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. पिछले तीन महीनों में ईरान के कई स्कूलों में सैकड़ों लड़कियां अपनी कक्षाओं में हानिकारक धुएं से प्रभावित हुईं और उनमें से कुछ की हालत इतनी गंभीर हो गई कि उन्हें अस्पताल जाना पड़ा. ईरान के अधिकारियों ने शुरुआत में इन घटनाओं को खारिज कर दिया, लेकिन अब उन्हें जानबूझकर अंजाम दिए गए हमलों के रूप में वर्णित किया गया है. स्थानीय मीडिया की खबरों में ऐसे करीब 30 स्कूलों की पहचान की गई, जहां जहर देने की ऐसी घटनाएं हुई हैं.

बीते साल नवंबर से कोम शहर में स्कूली छात्राओं के शरीर में जहर की पुष्टि हुई, जिनमें से कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. रविवार को ईरान के डिप्टी स्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही ने इस घटना की पुष्टि की है। ईरान के स्थानीय मीडिया के अनुसार. कोम के स्कूलों में कई छात्राओं को जहर दिया गया. कुछ लोग चाहते थे कि सभी स्कूल खासकर लड़कियों के स्कूल बंद हो जाएं. हालांकि ईरान के मंत्री पनाही ने इस मामले में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया है. फिलहाल ईरान सरकार मामले की जांच कर रही है.

अटकलें हैं कि इन घटनाओं का उद्देश्य आठ करोड़ से अधिक आबादी वाले इस देश में लड़कियों को स्कूल जाने से रोकना हो सकता है. ईरान में ये घटनाएं ऐसे वक्त सामने आई हैं जब पिछले साल मोरल पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद सितंबर में महसा अमिनी की मौत के साथ कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन जारी रहे. अधिकारियों ने संदिग्धों का नाम नहीं बताया है, लेकिन इस तरह के हमलों से आशंका जताई जा रही है कि लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने से रोकने के लिए जहर देने की घटनाएं हुई हैं. ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद 40 से अधिक वर्षों में लड़कियों की शिक्षा को कभी चुनौती नहीं मिली.

ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 125 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित कोम में नवंबर के अंत में इस तरह का पहला मामला सामने आया। शिया समुदाय के लिए पवित्र इस शहर में नवंबर में नूर याज्दानशहर कंजर्वेटरी के छात्र बीमार पड़ गए। वे दिसंबर में फिर से बीमार पड़ गए। बच्चों ने सिरदर्द, बेचैनी, सुस्ती महसूस करने या चलने-फिरने में असमर्थ होने की शिकायत की। कुछ छात्रों ने बताया कि नारंगी, क्लोरीन या साफ-सफाई में इस्तेमाल होने वाले रसायनों जैसी गंध आई थी। शुरुआत में प्रशासन ने मामलों में कोई संबंध नहीं देखा। यहां सर्दी के दौरान तापमान रात में जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है। कई स्कूल कमरों को गर्म रखने के लिए प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करते हैं जिससे ये भी कयास लगाए गए कि लड़कियां कार्बन मोनोऑक्साइड जहर से प्रभावित हुईं। शुरुआत में शिक्षा मंत्री ने खबरों को अफवाह बताकर खारिज कर दिया। लेकिन प्रभावित स्कूलों में केवल किशोरियों को ही पढ़ाया जाता है।

लड़कियों को जहर देने का मामला ऐसे समय सामने आया है, जब हाल ही में ईरान में हिजाब विरोधी हिंसक विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए थे और पूरी दुनिया में इन्हें समर्थन मिला था। 22 वर्षीय युवती महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद यह विरोध प्रदर्शन भड़के थे, जिन्होंने हिंसक रूप ले लिया था। इन विरोध प्रदर्शन में सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर 500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और चार प्रदर्शनकारियों को फांसी की सजा दी गई थी। हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया था। 

इस मामले में मूकनायक ने शोभना स्मृति से बात की. शोभना स्मृति "जी जी एस ई संस्थापक सदस्य, दलित महिला मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं. जो महिलाओं और पुरुष दोनों को एक समान मानता है और माना महिलाओं के सम्मान के लिए कार्य करता है! उन्होंने इस मामले में कहा कि यह तो बहुत ही निंदनीय है कि आप खाने या किसी और तरीके से बच्चों को जो कि पढ़ने लिखने वाले बच्चे हैं उनको जहर दे रहे हो उससे उनका आज तो खराब होगा ही लेकिन उनके आगे आने वाले भविष्य को भी यह प्रभावित करेगा उनका शरीर अंदर से कमजोर हो जाएगा. लड़कियों की हर अंग पर इसका असर होगा और वह खराब भी हो सकते हैं. वह आगे कहती हैं कि ऐसा कोई कैसे कर सकता है कि स्कूल जाने पर रोक लगाने के लिए लड़कियों को जहर दे दिया जाए यह पितृसत्ता कब खत्म होगी कब यह लोग जानेंगे कि औरत और आदमी दोनों ही बराबर है वैसे भारत और दूसरे देशों में थोड़ा थोड़ा व्यवहार में तो बदलाव आया है परंतु यह बदलाव पूरी तरह से कब होगा यह समझना अभी बाकी है.

आगे वह कहती हैं कि महिलाएं क्या करना चाहती हैं,कैसे रहना चाहती हैं, पढ़ना चाहती हैं लिखना चाहती हैं, यह सब महिलाओं पर ही निर्भर होना चाहिए ना कि उनके लिए फैसले कोई और ले. उन्होंने कहा महिलाएं समाज के हर वर्ग के लिए बहुत कुछ करती हैं. महिला उस समय भागीदार होती है परंतु उसको हर जगह पर रोका जाता है. क्योंकि वह महिला है. आज भी समाज में महिलाओं को लेकर ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो बहुत ही दुखी करने वाली है.

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