उत्तराखंड: 22 वर्षों से दूरस्थ क्षेत्र में कार्यरत विधवा शिक्षिका के तबादले पर हाईकोर्ट सख्त, एक सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश

22 साल से अल्मोड़ा के दूरस्थ क्षेत्र में सेवा दे रही विधवा शिक्षिका रीना शुक्ला ने बनबसा स्थानांतरण की लगाई थी गुहार, कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया एक सप्ताह में फैसला लेने का आदेश।
उत्तराखंड हाईकोर्ट
उत्तराखंड हाईकोर्ट
Published on

देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक और अपर निदेशक को एक विधवा शिक्षक के लंबे समय से लंबित तबादला प्रकरण पर एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष यह मामला रीना शुक्ला (50 वर्ष) की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जो पिछले 22 वर्षों से अल्मोड़ा जनपद के एक दूरस्थ क्षेत्र जैंती में तैनात हैं। शुक्ला ने अपने स्थानांतरण की मांग चंपावत जिले के बनबसा में की थी, जहां उनके दिवंगत पति ने एक मकान बनवाया था और जहां वर्तमान में उनकी दो बेटियां पढ़ाई कर रही हैं।

शुक्ला ने अदालत का रुख करते हुए आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग ने उनकी बार-बार की गई प्रार्थनाओं पर कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि बनबसा के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में एक पद पिछले एक वर्ष से खाली है।

उनके अधिवक्ता विनोद तिवारी ने बताया कि शुक्ला की पहली नियुक्ति 22 वर्ष पूर्व अल्मोड़ा के दूरस्थ क्षेत्र जैंती में हुई थी और तभी से वे वहीं कार्यरत हैं। पूर्व में एक मुकदमे के दौरान उनका तबादला इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि बनबसा में रिक्ति अधिसूचित नहीं की गई थी।

हालांकि, अदालत ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह पद पूर्ववर्ती शिक्षक के तबादले के बाद रिक्त हुआ है। न्यायाधीश ने कहा, “इसका मतलब है कि आज यह पद खाली है। यदि ऐसा है, और याचिकाकर्ता पात्र है, तो फिर उसका स्थानांतरण क्यों न किया जाए? विशेषकर जब वह 22 वर्षों से एक ही दूरस्थ स्थान पर कार्यरत है और विधवा भी है।”

सोमवार को राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि बनबसा का पद वास्तव में रिक्त है और रीना शुक्ला ने वहां स्थानांतरण के लिए सहमति दी है। सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि अनिवार्य स्थानांतरण नीति के तहत विधवा श्रेणी में शुक्ला शीर्ष वरीयता में हैं।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद तय करते हुए स्पष्ट निर्देश दिया है कि राज्य सरकार और माध्यमिक शिक्षा विभाग याचिकाकर्ता की मांग पर एक सप्ताह के भीतर निर्णय लें

उत्तराखंड हाईकोर्ट
तमिलनाडु: रात के अंधेरे में सांपों से जूझते छात्रों की सुरक्षा का सवाल, क्या कुरुवियाग्राम को मिलेगा बस सेवा?
उत्तराखंड हाईकोर्ट
विदेश सचिव विक्रम मिस्री की बेटी को ट्रोल करने पर महिला आयोग ने लिया संज्ञान, बताया- गैर-जिम्मेदाराना
उत्तराखंड हाईकोर्ट
देश में चरम पर था बौद्ध धर्म, तब यह गणित लगाकर बचाया गया था ब्राह्मणवाद, रोचक तथ्य उजागर करती है ये धर्मान्तरण किताब..

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com