गोरखपुर के PAC ट्रेनिंग सेंटर में महिला सिपाहियों का प्रदर्शन, बोलीं – 'खुले में नहाना पड़ रहा, बाथरूम में कैमरे लगे हैं!'

सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में महिला सिपाहियों ने ट्रेनिंग सेंटर की बदहाल सुविधाओं और अमानवीय व्यवहार के खिलाफ किया प्रदर्शन, लगाए निजता हनन और जबरन प्रेग्नेंसी टेस्ट के गंभीर आरोप।
Uproar by women constables at Gorakhpur PAC centre: Questions raised on bathing in the open, pregnancy test and CCTV
गोरखपुर PAC सेंटर में महिला सिपाहियों का हंगामा: खुले में नहाने, प्रेग्नेंसी टेस्ट और CCTV पर सवालफोटो साभार- X
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गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में स्थित पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र बल) ट्रेनिंग सेंटर इन दिनों विवादों के घेरे में है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई वीडियो में यूपी पुलिस की महिला रिक्रूट्स को बुनियादी सुविधाओं के अभाव और कथित अमानवीय व्यवहार के खिलाफ़ सड़कों पर प्रदर्शन करते देखा जा सकता है।

गोरखपुर के बिछिया स्थित पीएसी ट्रेनिंग कैंपस में महिला सिपाहियों की ट्रेनिंग 21 जुलाई, सोमवार से शुरू हुई थी। लेकिन मात्र दो दिन में ही ट्रेनिंग सेंटर की सुरक्षा, सुविधाओं और अमानवीय व्यवहार के खिलाफ़ 600 से ज़्यादा महिला रिक्रूट्स का रोते, चिल्लाते सड़क पर उतरने का वीडियो वायरल होने लगा।

एक वीडियो में एक महिला रिक्रूट भावुक होकर कहती हैं—"खुले में नहाने के लिए हमें मजबूर किया गया। औकात नहीं थी तो हमें क्यों बुलाया गया?"

जाहिर है कि, यह बयान न केवल ट्रेनिंग सेंटर की बदहाल स्थिति को उजागर करता है, बल्कि राज्य में महिला सशक्तिकरण के दावों पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।

क्या हैं आरोप?

प्रदर्शन कर रहीं महिला रिक्रूट्स का आरोप है कि:

  • ट्रेनिंग सेंटर में पीने के पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

  • एक परिसर जिसकी क्षमता महज 360 लोगों की है, उसमें 600 से अधिक महिलाओं को ठूंस-ठूंस कर रखा गया।

  • खुले में नहाने की मजबूरी ने उनकी निजता और गरिमा को ठेस पहुंचाई।

  • बाथरूम और गैलरी जैसे संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, जिससे उनकी निजता का हनन हुआ।

  • अविवाहित रिक्रूट्स को जबरन प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए बाध्य किया गया, जो न केवल अनैतिक है बल्कि संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।

चंद्रशेखर आज़ाद का तीखा हमला

भीम आर्मी प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा:

"यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की नैतिक और राजनीतिक जिम्मेदारी का भी सवाल है। यह घटना महिला सिपाहियों की गरिमा पर संगठित हमला है। अगर वर्दी में रहने वाली महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी कैसे दी जा सकती है?"

चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि ट्रेनिंग शुरू होने के महज दो दिन में ही 600 से ज्यादा महिला रिक्रूट्स को रोते-बिलखते सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।

सवालों के घेरे में सरकार के दावे

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "मिशन शक्ति" जैसी योजनाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं। लेकिन गोरखपुर जैसे वीआईपी जिले में स्थित एक सरकारी ट्रेनिंग सेंटर की ऐसी हालत सामने आने से इन दावों की सच्चाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

प्रशासन की चुप्पी

इस पूरे मामले पर अब तक स्थानीय प्रशासन या पुलिस विभाग की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं और मांग की जा रही है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

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