महिलाओं पर अत्याचार को लेकर सिस्टम से सवाल करने पैदल दिल्ली जा रहीं देश की तीन बेटियां

महिलाओं पर अत्याचार को लेकर सिस्टम से सवाल करने पैदल दिल्ली जा रहीं देश की तीन बेटियां

'महिलाओं, गरीब, शोषित-पीडित-वंचित वर्ग की सुरक्षा पर सवाल यात्रा' के तहत जयपुर से 30 जुलाई को पैदल निकली राजस्थान और मध्य प्रदेश की तीन बेटियां हाथ में तिरंगा लिए कदम ताल करते हुए अकेले ही आगे बढ़ रही है।

जयपुर। देश में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार पर सवालों के साथ सडक़ों पर निकली तीन बेटियां पैदल दिल्ली की तरफ बढ़ रही है। यह बेटी सवाल करती हैं कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले चुप क्यों है? देश के सर्वोच्च पद पर बैठी नारी शक्ति बेटियों के बलात्कार पर चुप क्यों है? नारी सशक्तिकरण का नारा देने वाले पुरुष मौन क्यों है? यह बेटियां ९ अगस्त विश्व मूलनिवासी दिवस पर  दिल्ली जंतरमंतर पर जाकर देश के सिस्टम से यही सवाल पूछना चाहती है। आखिर कब तक हर हिंसा में नारी को टारगेट किया जाएगा ? इस पर अंकुश कौन लगाएगा? 

"भारतीय महिलाओं, गरीब, शोषित-पीड़ित-वंचित, दबे-कुचले एससी, एसटी की सुरक्षा पर सवाल यात्रा" का बैनर लेकर निकली भीम आर्मी पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सोनिया जोया, मध्य प्रदेश जयस की नारी शक्ति विंग की प्रदेशाध्यक्ष साधना विकी और प्रतापगढ़ से आदिवासी समाजिक कार्यकर्ता भगवती भील रविवार ३० जुलाई को जयपुर अम्बेडकर सर्किल से दिल्ली के लिए पैदल निकली। बुधवार को चौथे दिन दौसा जिले से आगे बढ़ गई। इस दौरान दौसा में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इन बेटियों का सम्मान कर हौंसला बढ़़ाया। कुछ देर लोग इनके साथ पैदल भी चले, लेकिन अंतिम छोर तक साथ चलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। 

नारी शक्ति जिंदाबाद के नारे के साथ यह बेटियां हाथों में तिरंग लिए लोगों में जागरूकता की बीज बोते हुए आगे बढ़ रही हैं। नौ अगस्त को जंतर मंतर पर पहुंचेंगी। यह महिला और पुरुष संगठनों से अपेक्षा करती हैं कि रास्ते में कोई साथ चले या ना चले, लेकिन 9 अगस्त को दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंच कर सिस्टम से सवाल करते समय हमारा साथ जरुर दें। जब देश भर में मूलनिवासी दिवस पर लोग जश्न मना रहे होंगे। उस वक्त देश की बेटियां मूलनिवासियों के हक और अधिकारों तथा महिला सुरक्षा को लेकर सिस्टम से सवाल कर रही होंगी। 

दौसा से निकलते हुए नारी शक्ति की सवाल यात्रा में शामिल इन युवा महिलाओं से द मूकनायक ने बात की तो महिलाओं का दर्द निकल कर जुबा पर आया। यात्रा में शामिल भीम आर्मी की पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सोनिया जोया ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि जिस तरह राजस्थान में दलित, शोषित, वंचित और पीड़ित समाज के लोगों पर अन्याय और अत्याचार हो रहे हैं, उसी तरह गुजरात, मध्प्रदेश, दिल्ली और मणिपुर में भी इन समुदायों को कुचला जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मणिपुर में महिलाओं की इज्जत को तार तार किया गया। देश के सर्वोच्च पद पर बैठीं राष्ट्रपति महोदया जो कि आदिवासी और महिला हैं, वह जब चाहे राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है। सीएम बदल सकती है। राज्य की व्यवस्था को कुछ घंटों में सुधार सकती है। फिर वो सकारात्मक फैसला क्यों नहीं ले पा रहीं है। आखिर इसकी वजह क्या है? महिला होकर महिलाओं के दर्द को नहीं समझ पा रही है?

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ' बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा तो देते हैं, लेकिन बेटियों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर पाते हैं। सरकार में बलात्कारी बैठे हैं। जोया कहती हैं कि बीते दिनों प्रधानमंत्री राजस्थान के सीकर आए थे। यहां उन्होंने कहा कि राजस्थान में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं। महिलाओं के बलात्कार हो रहे हैं। अब राजस्थान की बहन बेटियां बलात्कार नहीं सहेंगी। उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि मणिपुर में किस की सरकार है? मणिपुर पर कौन जवाब देगा। मध्य प्रदेश में किसकी सरकार है? यहां के लिए प्रधानमंत्री क्यों नहीं बोल रहे हैं।

हम में से किसी को फूलन बनना पड़ेगा

सोनिया जोया कहती हैं कि हर जगह महिलाओं को ही टारगेट किया जाता है। साम्प्रदायिक दंगों में देखे तो महिलाओं के बलात्कार और उनके साथ अत्याचार होते हैं। हमारा सवाल यही है कि आखिर सभी केवल महिलाओं को क्यों टारगेट करते हैं? यह एक विचारणीय विषय है। मणिपुर की घटना के बाद हमने सोच लिया कि यह अत्याचार रुकने वाला नहीं है। हम में से किसी को फूलन बनना पड़ेगा। सावित्री बाई फूले बनना होगा। तब जाकर कोई बड़ा बदलाव कर सकते हैं। इस लिए हम तीनों लड़कियां अपने रिस्क पर अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर यह पैदल न्याय यात्रा कर रहे हैं। 

मध्य प्रदेश से आई जयस संंगठन की नारी शक्ति विंग की प्रदेशाध्यक्ष साधना विकी कहती हैं कि लोग कहते हैं हमारे भारत देश में नारी को पूजा जाता है। मणिपुर की सबसे बड़ी घटना जिसमें महिलाओं को नंगा करके घुमाया जाता है। हमारे देश कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, महिला आयोग और जो तमाम प्रकार के एनजीओ बने हुए हैं। यह सब कहां गए? सबने चुप्पी साध ली है? इस लिए हम इन्हीं से सवाल करने के लिए दिल्ली जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। ऐसे में मां-बाप घर से बेटियों को बाहर क्यों निकलने देंगे? हम तो लड़-झगड़ कर इस लिए आए हैं, ताकि हमारी बाकी बहनें बाहर निकले। सुरक्षित चल पाएं। शिक्षा ग्रहण कर पाएं। सम्मान पूर्वक जीवन जी पाए। उन्होंने कहा कि महिला सम्मान के लिए हमारी पढ़ाई लिखाई करने की इस उम्र में हम सड़क पर निकले हैं।

साधना कहती हैं कि देश में ऐसा माहौल बनाया गया है कि दिन में भी छोटी-छोटी बच्चियां सुरक्षित नहीं निकल सकती है। इतना डर बनाया गया है देश में। हम केवल तीन लड़कियां हैं।  हमें प्रोटक्शन नहीं दिया गया है। यहां हम से पूछ सकते थे कि कहां जा रहे हो, लेकिन नहीं महिलाओं के बारे में किसी को फिक्र ही नहीं है। 

आदिवासी समाजिक कार्यकर्ता भगवती भील इस पैदल यात्रा में प्रतापगढ़ से हैं। इस यात्रा में पैदल चल रही है। कहती हैं हम यह सोचने पर मजबूर हैं कि संविधान के अनुसार क्या वास्तव में आदिवासियों को उनके अधिकार दिए गए हैं। जिस तरह संविधान में है उसी तरीके से धरातल पर लागू हैं? इसी सवाल को पूछने के लिए हम दिल्ली जा रहे हैं।

भगवती ने कहा कि दिल्ली में हम राष्ट्रपति महोदया से पूछेंगे कि उनके होते हुए देश में महिलाओं को नंगा किया जा रहा है? नंगा कर देना यह वहां का एक अलग विषय हो सकता है, लेकिन इस मुद्दे पर जिस तरीके से राष्ट्रपति महोदया बिल्कुल चुप रही, कोई वक्तव्य जारी नहीं किया। इस चुप्पी के पीछे क्या कारण है-यही पूछने के लिए हम दिल्ली जा रहे हैं। 

द मूकनायक ने पूछा कि आप केवल तीन लड़कियां है। आपके साथ कोई नहीं है? सवाल करने पर भगवती भील कहती हैं कि यह आंदोलन हमने बहुत सारे लोगों को सार्वजनिक रूप से बताकर शुरु नहीं किया है। हमने यह यात्रा अपने स्तर पर अकेले शुरू की है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे कई आंदोलनों में शामिल हुए हैं जिनका नेतृत्व पुरुषों ने किया है।

देश में महिलाओं, आदिवासी और दलितों पर हो रहे निरंतर अत्याचारों को लेकर सवाल करने के लिए पहली बार हम महिला होकर पैदल दिल्ली जा रहे हैं। हम देखना चाहते हैं कि देश का पुरुष समाज कितना महिलाओं के सम्मान के लिए साथ आता है। 

भगवती भील आगे कहती हैं कि अभी तक रास्ते में हमारी यात्रा को कई पुरुषों ने सपोर्ट किया है। इस यात्रा के माध्यम से हम जागरूक लोगों से जुड़ना चाह रहे हैं। अगर हम पहले से प्रचार प्रसार करते तो हो सकता है भीड़ बहुत ज्यादा होती, लेकिन भीड़ और एक जागरूक व्यक्ति में अंतर होता है। हम हमारे साथ जागरूक लोगों को चाहते हैं। इस लिए हमने बिना किसी प्रचार के यात्रा को शुरू किया।

हम कैसे सुरक्षित?

देश में बढ़ती बलात्कार की घटना पर भगवती भील ने कहा कि सूरत में रात को मां-बाप के पास सोती हुए चार साल की आदिवासी बच्ची को उठाकर ले जाते हैं। उसके साथ रेप किया जाता है। यह झाबुआ का परिवार था। सूरत में मजदूरी करते थे। चार साल की बच्ची को भी जिस देश में सुरक्षा नहीं मिल सकती, उस देश में हमारे जैसी 25 से 26 साल की लड़कियां तो बिल्कुल असुरक्षित है। हम उन सभी महिलाओं के लिए रोड पर निकले हैं जो अपनी सुरक्षा चाहती हैं।

बलात्कार तो कांग्रेस शासित राज्यों में भी हो रही हैं। इस सवाल पर भगवती भील ने कहा कि हमने कहीं पर भी केवल बीजेपी शासित राज्य का नाम नहीं लिया है। मणिपुर का नाम इस लिए आगे आ रहा है कि वहां हाल ही में जो घटना हुई वो बहुत क्रूर हुई है। हम राजस्थान में हुए बलात्कारों के विरोध में है। कर्नाटक में बलात्कार होगा तो उनके भी विरोध में है। झारखण्ड में होगा तो हम उसका भी विरोध करेंगे। उन्होंने कहा बलात्कार ना जात देखता है ना ही धर्म देखता है। ना देश की सीमा बलात्कारी के लिए मायने रखती है। हम केवल महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ हैं, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म से हो। हम उनके न्याय के लिए भी लड़ेंगे।

अकेले दिल्ली पैदल कूच पर डर के सवाल पर भगवती ने कहा कि हमें डर लगता है, लेकिन हमारे आत्मविश्वास के बल पर हम सड़कों पर इसलिए निकले हैं कि दूसरी महिलाओं को डर नहीं लगे। इसीलिए हम पैदल जाना चाहते हैं। हर महिला इतनी मजबूत तो नहीं हो सकती कि वो इस तरह रोड पर निकल जाए। बिना बाप-भाई और पति के निकल जाए। डर लगता है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि हमारे साथ भी रास्ते में कुछ हो जाए। हम चाहते हैं कि हर महिला निडर होकर निकल जाए ऐसा भारत का कानूनी सिस्टम होना चाहिए।

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