स्त्रीकाल पत्रकारिता सम्मान से द मूकनायक की संस्थापक मीना कोटवाल सम्मानित

स्त्रीकाल पत्रकारिता सम्मान से द मूकनायक की संस्थापक मीना कोटवाल सम्मानित
स्त्रीकाल पत्रकारिता सम्मान से द मूकनायक की संस्थापक मीना कोटवाल सम्मानित

कांस्टीट्यूशन क्लब में संविधान व लोकतंत्र के नाम एक स्त्रीवादी शाम सजी

नई दिल्ली। स्त्रीकाल पत्रिका व एएफआईडब्ल्यू के संयुक्त तत्वावधान में गत बुधवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। इस दौरान आजादी के बाद महिलाओं को मिले मताधिकार, वकालत के अधिकार, अखिल भारतीय दलित महिला कांफ्रेंस व भारत की आजादी के 75 सालों की उपलब्धियों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में वैकल्पिक मीडिया समूह द मूकनायक की संस्थापक मीना कोटवाल को स्त्रीकाल पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया।

संगोष्ठी में 'संसदीय लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी', 'लोकतंत्र में अदालत, अदालत का लोकतंत्र' व 'महिला प्रतिनिधित्व की ऐतिहासिक पहल और आकांक्षाएं' विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए।

स्त्रीकाल सम्मान पत्र
स्त्रीकाल सम्मान पत्र

स्त्रीकाल पत्रिका के संपादक संजीव कुमार चंदन ने बताया कि वक्ताओं ने विचारोत्तेजक बातें कहीं और भागीदारों ने धैर्य के साथ सुना, और कार्यक्रम में भागीदारी की। पूरा सभागार भरा था, काफी लोगों को जगह नहीं मिली। दिल्ली के फुले-अम्बेडकरी समूह ने इस कार्यक्रम को अपना माना, यह स्त्रीकाल के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता की एक खास कसौटी की तरह है।

इस अवसर पर स्त्रीकाल पत्रकारिता सम्मान से द मूकनायक की संस्थापक मीना कोटवाल को सम्मानित किया गया। मीना को सम्मानित करने के निर्णय को काफी लोगों की सराहना मिली।

चंदन ने बताया कि, वक्ताओं में प्लानिंग कमीशन की पूर्व सदस्य, सईदा हमीद, सीपीआई महासचिव डी. राजा, पूर्व अध्यक्ष हिंदी अकादमी दिल्ली मैत्रेय पुष्पा, दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री राजेंद्रपाल गौतम, पूर्व जस्टिस बॉम्बे हाई कोर्ट बी. जी. कोलसे पाटिल, फौजिया खान, राज्य सभा सांसद (एनसीपी), रजनी पाटिल, वंदना चह्वाण राज्यसभा सांसद (कांग्रेस), एनी राजा, महासचिव (एनएफआईडब्ल्यू ), अध्यक्ष दलित लेखक संघ छाया खोरबड़गे, इतिहासकार रत्नलाल शामिल थे।

वक्ताओं ने स्त्रियों के वर्चस्व पर बात रखी। घर से लेकर संसद तक महिलाओं की भागीदारी पर चर्चा हुई। किसी ने कहा कि संसद में 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए सीट आरक्षित होनी चाहिए तो किसी ने इसे 50 प्रतिशत होना सही बताया। जबकि प्रो. रत्न लाल ने कहा कि महिलाओं यानि आधी आबादी की अपनी एक अलग ही पार्टी क्यों नहीं हो सकती। सभी का वक्तव्य महत्वपूर्ण रहा और एक सवाल जहन में छोड़कर गया।

इस अवसर पर रजनी अनुरागी, पूनम तुसामड, अरुन कुमार ने कविताएं पढ़ीं। ईश्वर सुनाया के निर्देशन में कृशन चंदर की कहानी दास्तान ए कालू भंगी का मंचन हुआ। संगोष्ठी में दिल्ली व कई राज्यों से आए लोगों ने शिरकत की। कार्यक्रम में अधिकतम स्त्रियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन मेधा द्वारा किया गया।

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