सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका, दोषियों की रिहाई को दी थी चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका, दोषियों की रिहाई को दी थी चुनौती

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। इसमें उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से मांग की थी कि वह अपने मई 2022 के आदेश की समीक्षा करें, जिसमें कहा गया था कि गुजरात सरकार दोषियों में से एक की क्षमा के लिए प्रार्थना करने के लिए उपयुक्त सरकार थी और यह कि मामले में राज्य की 1992 की छूट नीति लागू होगी। 16 दिसंबर को एक पत्र के माध्यम से उनके वकील को निर्णय के बारे में सूचित किया गया। औपचारिक आदेश अभी तक अपलोड नहीं किया गया है। इधर, इस फैसले के बाद सोशल एक्टिविस्ट व लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति सेवानिवृत्त प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा ने कहा कि गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिमिशन पॉलिसी के तहत 11 आरोपियों को रिहा करने के लिए संवाद शुरू करने के लिए जो याचिका दाखिल की थी। उसको निरस्त करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया है जो की बिलकिस बानो द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका का महज एक हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी पुनर्विचार याचिका को खारिज नहीं किया है।

सुप्रीम कोर्ट से गैंगरेप पीड़िता बिलकिस बानो को बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने शनिवार को बिलकिस बानो द्वारा दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। बानो ने इस याचिका में मई में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजरात सरकार को 1992 के जेल नियमों के तहत 11 दोषियों की रिहाई के लिए अनुमति दी थी।

बिलकिस बानो ने अपनी याचिका में साल 2002 में उसके साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की जल्द रिहाई को चुनौती दी थी। दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका के अलावा सामूहिक बलात्कार पीड़िता ने एक अलग याचिका भी दायर की थी। इसमें एक दोषी की याचिका पर शीर्ष अदालत के 13 मई, 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से नौ जुलाई, 1992 की अपनी नीति के तहत दोषियों की समय से पहले रिहाई की याचिका पर विचार करने को कहा था।

राज्य सरकार पर लगाया ये आरोप

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ में बानो के वकील ने आग्रह किया था कि उनकी दो अलग-अलग दलीलें, जिनमें से एक में छूट को चुनौती दी गई है और दूसरी शीर्ष अदालत के आदेश की समीक्षा की मांग की है। बानो ने 15 अगस्त को दोषियों की रिहाई के लिए दी गई छूट के खिलाफ अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून की आवश्यकता को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए एक यांत्रिक आदेश पारित किया। याचिका में कहा गया कि बिलकिस बानो के बहुचर्चित मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।

क्या था मामला?

आपको बता दें कि साल 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई थी। हाल ही में गुजरात सरकार ने दोषियों को 15 साल जेल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया। इस पर सरकार ने कहा कि उसने अपनी सजा माफी नीति के अनुरूप 11 दोषियों को छूट दी है।

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