स्कूली छात्राओं को मिलेंगे फ्री सैनिटरी नैपकिन, जानिए कहां मिलेगी सुविधा

केंद्र सरकार ने तैयार किया मसौदा, सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी।
स्कूली छात्राओं को मिलेंगे फ्री सैनिटरी नैपकिन, जानिए कहां मिलेगी सुविधा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देशभर में स्कूली छात्राओं को निशुल्क सैनिटरी नैपकिन वितरण के लिए राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार कर लिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। साथ ही बताया कि इसे संबंधित भागीदारों को भेजा गया है, उनकी टिप्पणियां मंगवाई जा रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश

इसी वर्ष अप्रैल महीने में इस मामले को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक समान नीति तैयार कर पेश करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के पालन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते का वक्त भी दिया था। हालांकि अब केंद्र सरकार द्वारा 7 महीने बाद एक समान नीति का मसौदा तैयार किया गया है।

जनहित याचिका में लड़कियों को मुफ्त पैड देने की मांग

सोशल वर्कर जया ठाकुर (Jaya Thakur) ने सुप्रीम कोर्ट में PIL दायर कर लड़कियों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की थी। याचिका (PIL) में कहा गया था कि पीरियड्स के दौरान होने वाली दिक्कतों के कारण कई लड़कियां स्कूल जाना बंद कर देती हैं, क्योंकि उनके परिवार के पास सेनेटरी पैड पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं होते हैं। और उन दिनों में कपड़ा पहनकर स्कूल जाने से परेशानी होती है। स्कूलों में लड़कियों के लिए मुफ्त पैड की सुविधा नहीं है। इसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है। इतना ही नहीं, स्कूलों में इस्तेमाल किए गए पैड के निपटान की कोई सुविधा नहीं है, इस वजह से भी लड़कियां पीरियड्स के दौरान स्कूल नहीं जा पाती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन के खर्च का ब्योरा

10 अप्रैल् की सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और JB Pardiwala की बेंच ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्कूलों में लड़कियों के टॉयलेट की उपलब्धता और सैनिटरी पैड की सप्लाई को लेकर जानकारी भी मांगी थी। साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सैनिटरी पैड और सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन के लिए किए गए खर्च का ब्योरा देने को भी कहा था।

इसके बाद 24 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन राज्यों को चेतावनी दी, जिन्होंने तब तक फ्री सैनिटरी नैपकिन (Free Sanitary Napkins) देने के लिए एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने पर केंद्र को अपना जवाब नहीं सौंपा था। कोर्ट ने कहा था कि अगर वे 31 अगस्त तक जवाब नहीं देते हैं सख्ती की जाएगी।

छात्राओं की संख्या के अनुरूप शौचालय के लिए तैयार करें राष्ट्रीय मॉडल

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में छात्राओं की संख्या के अनुरूप स्कूलों में शौचालय उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार को कहा है। इसके लिए उसे एक राष्ट्रीय मॉडल बनाने को कहा गया है। यह शौचालय सरकारी अनुदानित और रिहायशी स्कूलों में बनाए जाने हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर ने याचिका दायर कर बताया था कि गरीब परिवारों से आने वालीं 11 से 18 साल की स्कूली छात्राओं को शिक्षा पाने में गंभीर बाधाएं आ रही हैं। याचिका में कहा गया था, अक्सर उन्हें अपने माता-पिता से माहवारी स्वच्छता व पीरियड्स के बारे में सही जानकारियां नहीं मिल पाती। उनकी सेहत को इससे नुकसान होता है, पढ़ाई जारी रखना भी मुश्किल हो जाता है।

द मूकनायक ने फ्री सेनेटरी नैपकिन (Free Sanitary Napkins)पर डॉक्टर सुरभि से बात की। डॉ. सुरभि एक स्त्री रोग विशेषज्ञ (एमबीबीएस और एमएस) हैं। दिल्ली स्थित सच्ची सहेली नामक गैर-लाभकारी संगठन की संस्थापक भी हैं। डॉक्टर बताती है कि "सेनेटरी नैपकिन बहुत ही जरूरी है। इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए सिर्फ सेनेटरी नैपकिन देना ही जागरूकता नहीं होता है। इसके बारे में जानकारी भी आपको ही देनी होगी। देखिए, शहर की छोटी लड़कियों या महिलाओं को पीरियड और पीरियड से जुड़ी जानकारी होती है। लेकिन कुछ ऐसे गांव भी हैं जहां पीरियड होते क्या है? यह भी मालूम नहीं है। यह भी नहीं पता होता कि नैपकिन कैसे उपयोग किया जाता है। नैपकिन से संबंधी स्वच्छता क्या होती है। उपयोग करने के बाद इसको कैसे फेंकना होता है। पैड फेंकने से पर्यावरण को कितना नुकसान होता है। यह सब जानना जरूरी है। स्वास्थ्य संबंधी जानकारी जैसे - ज्यादा देर तक पैड उपयोग नहीं करनी चाहिए। दिन में तीन से चार बार नैपकिन बदलना चाहिए। शुरू के तौर पर बच्चों को पता ही नहीं होता कि कितने दिन पीरियड आएंगे। उनको यह भी पता होना चाहिए। किसी भी चीज के नियम, संतुलन और अधिकार क्या होते हैं। यह सब जानकारी होनी चाहिए।

आगे डॉक्टर बताती है कि, "अध्यापकों को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए। क्योंकि ज्यादातर गांव के स्कूलों के अध्यापक वहीं के होते हैं तो उनको भी यह जानकारी होनी चाहिए। अगर सेनेटरी नैपकिन बांटने के साथ-साथ एक क्लास भी दी जाए, जिसमें बच्चों और अध्यापक दोनों को पीरियड, सेनेटरी नैपकिन के बारे में खुलकर बताया जाए तो यह बहुत आसानी से समझी जा सकती है।"

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