MP: दूसरी शादी की सज़ा! सामाजिक बहिष्कार ने महिला को मौत के मुहाने तक पहुँचाया

पति प्रवीण का आरोप है कि पंचायत के फरमान के बाद गांव और समाज के लोगों का व्यवहार और ज्यादा कठोर हो गया। महिला को बार-बार उसकी दूसरी शादी को लेकर अपमानित किया जा रहा था।
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भोपाल। “मेरी पत्नी का कसूर सिर्फ इतना है कि उसने अपनी ज़िंदगी अपने फैसले से जीना चाहा,” रोष से भरी आवाज़ में पति ने कहा- “समाज की पंचायत ने हमें तानों, भारी जुर्माने और बहिष्कार से इस कदर तोड़ दिया कि वह जीने की हिम्मत ही हार बैठी। आज वह अस्पताल के बिस्तर पर ज़िंदगी से जूझ रही है और मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि दोषियों को सख्त सज़ा मिले, ताकि किसी और बेटी-बहू को ऐसे अमानवीय फरमानों की कीमत अपनी जान देकर न चुकानी पड़े।” यह कहना है उस पति का, जिसकी शादी के बाद उसकी पत्नी सामाजिक प्रताड़ना का शिकार हुई।

मध्यप्रदेश के नीमच जिले से एक बेहद चौंकाने और चिंताजनक मामला सामने आया है, जहां समाज की पंचायत के तानों, आर्थिक दंड और बहिष्कार के दबाव से टूटकर 25 वर्षीय एक महिला ने जहर खा लिया। मामला जावद थाना क्षेत्र के नई बावल गांव का है। फिलहाल महिला का जिला अस्पताल नीमच में इलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

दूसरी शादी बनी समाज की नाराज़गी की वजह

परिजनों और पति की मानें तो महिला की जिंदगी बीते कुछ महीनों से लगातार तनाव में थी। महिला की पहली शादी करीब सात साल पहले रामपुरा क्षेत्र में हुई थी, लेकिन वैवाहिक जीवन सफल नहीं रहा। राखी के मौके पर जब वह मायके आई तो माता-पिता ने उसे साथ रखने से साफ मना कर दिया। इसके बाद करीब तीन महीने पहले महिला ने प्रवीण नाम के युवक से दूसरी शादी कर ली।

दूसरी शादी से समाज के कुछ लोगों में नाराजगी फैल गई। पति प्रवीण का आरोप है कि इसी बात को लेकर समाज के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने महिला और उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

9.50 लाख का जुर्माना और 14 साल का बहिष्कार

प्रवीण के मुताबिक, 6 दिसंबर को समाज की एक पंचायत बुलाई गई, जिसमें समाज के अध्यक्ष कारूलाल रैगर, उपाध्यक्ष मोहनलाल रैगर सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। पंचायत में करीब 500 लोग शामिल हुए। यहां पति-पत्नी पर 9 लाख 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया और 14 साल के लिए समाज से बाहर करने का ऐलान कर दिया गया।

पति का कहना है कि पंचायत में न तो महिला की बात सुनी गई और न ही कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई। पंचायत के इस फैसले के बाद से महिला को लगातार ताने दिए जा रहे थे और उसे सामाजिक रूप से अलग-थलग कर दिया गया था।

लगातार मानसिक प्रताड़ना, टूट गई महिला

पति प्रवीण का आरोप है कि पंचायत के फरमान के बाद गांव और समाज के लोगों का व्यवहार और ज्यादा कठोर हो गया। महिला को बार-बार उसकी दूसरी शादी को लेकर अपमानित किया जा रहा था। सामाजिक बहिष्कार और भारी जुर्माने का डर उसके मन में बैठ गया था। इसी मानसिक दबाव में आकर शनिवार को महिला ने घर पर ही सल्फास खा लिया।

जहर खाने के बाद जब उसकी हालत बिगड़ी तो प्रवीण तुरंत उसे जिला अस्पताल नीमच लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों की निगरानी में उसका इलाज जारी है।

प्रशासन से कार्रवाई की मांग

घटना के बाद पति प्रवीण ने प्रशासन से समाज के जिम्मेदार पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि 9.50 लाख रुपए का जुर्माना भरना उनके लिए असंभव है। सामाजिक दबाव के चलते उनकी आर्थिक और मानसिक स्थिति पूरी तरह बिगड़ चुकी है।

प्रवीण ने आरोप लगाया कि ऐसी सामाजिक कुप्रथाएं वर्षों से चली आ रही हैं, जिनके चलते कई परिवार बर्बाद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते इन पर रोक नहीं लगी, तो ऐसे मामले और बढ़ेंगे।

महिला के बयान दर्ज

नीमच के तहसीलदार संजय मालवीय ने बताया कि जिला अस्पताल में भर्ती महिला के बयान ले लिए गए हैं। महिला ने अपने बयान में कहा है कि 6 दिसंबर को हुई पंचायत में उसकी कोई बात नहीं सुनी गई और सीधे 9.50 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया गया। इसके साथ ही 14 साल के लिए समाज से बहिष्कृत करने का फैसला सुनाया गया। महिला ने बताया कि इसी कारण वह लगातार मानसिक तनाव में थी।

तहसीलदार के अनुसार, महिला नई बावल गांव की रहने वाली है और उसने घर पर ही सल्फास का सेवन किया था। मामले की रिपोर्ट संबंधित थाने को भेज दी गई है।

क्या कहता है कानून

कानून के जानकार अधिवक्ता मयंक सिंह ने द मूकनायक से बातचीत में कहा- "किसी भी सामाजिक पंचायत को किसी नागरिक पर जुर्माना लगाने, बहिष्कार करने या दंड देने का कोई अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सामाजिक पंचायतों के ऐसे फरमान गैरकानूनी हैं।"

ऐसे मामलों में आत्महत्या के लिए उकसाने, धमकी और मानसिक प्रताड़ना जैसी धाराएं लग सकती हैं। परिस्थितियों के अनुसार IPC की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 503, 506, 34 और जरूरत पड़ने पर SC/ST एक्ट के प्रावधान भी लागू हो सकते हैं।

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