मध्य प्रदेश: गवाहों ने बयान बदले, डीएनए रिपोर्ट बनी महिला उत्पीड़न के मामलों में सजा का आधार

पॉक्सो एक्ट के तहत दो मामलों में एक में 20 तो दूसरे में 10 साल की सजा सुनाई गई।
डीएनए रिपोर्ट बनी महिला उत्पीड़न के मामलों में सजा का आधार
डीएनए रिपोर्ट बनी महिला उत्पीड़न के मामलों में सजा का आधारGraphic- The Mooknayak

भोपाल। मध्य प्रदेश में नाबालिग लड़कियों से रेप मामलों में पॉक्सो कोर्ट ने दोषियों को जेल की सजा सुनाई है। दोनों ही प्रकरणों में डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट सजा का आधार बनी है। पहले मामले में बीना कोर्ट ने एक आरोपी को दस वर्ष के सश्रम कारावास और अर्थदंड से दंडित किया है। वहीं दूसरे मामले में भोपाल न्यायालय ने आरोपी को 20 वर्ष की सजा सुनाई है।

विशेष लोक अभियोजक श्यामसुंदर गुप्ता के मुताबिक भानगढ़ थाने में अक्टूबर 2019 में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिसमें फरियादी ने बताया था उसकी बहनें एक किसान के यहां फसल काटने गई थीं। एक बहन 18 अक्टूबर की सुबह किसान के यहां से दुकान सामान लेने गई थी, जो वापस नहीं लौटी।

उसने नाबालिग लड़की की तलाश उमरिया, शहडोल, ललितपुर आदि जगहों पर की थी। इसके बाद पता चला कि जिस गांव से उसकी बहन लापता हुई है, वहां ललितपुर निवासी एक व्यक्ति फसल काटने आया था, जो 18 अक्टूबर 2019 को नाबालिग को बहला, फुसलाकर भगाकर ले गया है। रिपोर्ट पर भानगढ़ पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धारा 363 के तहत मामला दर्ज कर नाबालिग तक पहुंची थी। पूछताछ में उसने बताया था कि शादी का झांसा देकर आरोपी उसे ललितपुर के एक गांव लेकर गया था, जहां उसके साथ बलात्कार किया।

पुलिस ने नाबालिग का मेडिकल परीक्षण और डीएनए टेस्ट कराकर न्यायालय में पेश किया था। न्यायालय में करीब पांच साल तक मामला चला, जहां नाबालिग के माता-पिता ने मामले की पैरवी नहीं की। विशेष लोक अभियोजक द्वारा नाबालिग की जन्मतिथि के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसमें नाबालिग होना पाया गया और डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी पाते हुए विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट निर्मल मंडोरिया की न्यायालय ने 10 साल के सश्रम कारावास और दो हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। पीड़िता को क्षतिपूर्ति के रूप में एक लाख रुपए प्रतिकर के रूप में दिए जाने का आदेश भी दिया।

वहीं भोपाल में चार साल पुराने नाबालिग से बलात्कार के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है, जिसमें आरोपी को 20 साल का सश्रम कारावास और 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। यह मामला चार साल पुराना है, जिसमें आरोपी ने नाबालिग लड़की के साथ दोस्ती कर उसके साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया था।

भोपाल न्यायालय के संभागीय जनसंपर्क अधिकारी मनोज त्रिपाठी ने बताया कि 01 सितंबर 2019 को फरियादी और उसकी मां ने छोला मंदिर थाना भोपाल में शिकायत की थी। आरोपी विक्की उर्फ विकास चौहान ने उसके साथ बलात्कार किया था। पीड़िता ने बताया कि आरोपी उसके मौसी के घर के पास रहता है। मौसी के घर आना-जाना होने के कारण उससे जान पहचान हो गई और फिर दोस्ती हो गई। दोस्ती होने के बाद आरोपी ने 22 अगस्त 2019 को सुबह करीब साढ़े 10 बजे पीड़िता के स्कूल के पास मिला और उसे घुमाने ले जाने के बहाने जबरन अपनी बाइक पर बिठाकर मंडी लेकर गया।

जहां आरोपी ने होटल में एक कमरा लिया और नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला। नाबालिग के मना करने पर आरोपी ने उसे बहलाने फुसलाने की कोशिश की और जब वह नहीं मानी तो उसके साथ जबरन बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया। जिसके बाद आरोपी नाबालिग को उसके घर के पास गली में छोड़कर चला गया। पीड़ित के भाई के दोस्तों को इस वारदात की खबर लगते ही उन्होंने उसके भाई और मां को बताया, जिसके बाद नाबालिग ने पूरी घटना के बारे में अपनी मां को जानकारी दी।

इस वारदात की सूचना के आधार पर छोला मंदिर पुलिस ने अपराध दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस की जांच के बाद जांच रिपोर्ट अदालत को सौंपी गई। न्यायालय में सुनवाई के दौरान गवाह मुकर गए। डीएनए रिपोर्ट और अन्य सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषी पाया गया, जिसके बाद अदालत ने आरोपी विक्की उर्फ विकास चौहान को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (3) और पॉक्सो एक्ट 3/4 के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास और 10 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए अधिवक्ता मयंक सिंह ने बताया कि पॉक्सो के मामले कोर्ट में गंभीरता से लिए जाते हैं। गवाह या पीड़िता बयानों से क्यों न पलट जाए पर डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव पाया जाना अपराध की पुष्टि करता है। डॉक्टर की एमएलसी रिपोर्ट और डीएनए की जांच सजा का मुख्य आधार है। इस कारण से पूर्व के मुताबिक पॉक्सो के मामले में ज्यादा देरी नहीं होती।

अपराधों में एमपी तीसरे स्थान पर

हाल ही में जारी हुए वर्ष 2022 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश बच्चों के यौन अपराधों में तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, बाल यौन उत्पीड़न और पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के मामले बड़ी संख्या में सामने आए हैं। इस मामले में मध्य प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में पिछले साल पॉक्सो संबंधित धाराओं के तहत कुल 5951 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 3,653 मामले बलात्कार के 2,233 मामले यौन उत्पीड़न के और 42 मामले उत्पीड़न से संबंधित थे।

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