मध्य प्रदेश: छह महिला जजों की बर्खास्तगी पर सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के पीछे क्या है वजह!

2022 के लिए साल की गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) दी गई थी, इसमें प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश और पोर्टफोलियो न्यायाधीश द्वारा 'ग्रेड बी' दिया गया। वहीं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य जज ने 'ग्रेड डी' दिया। आरोप है कि यह ग्रेडिंग उनकी सेवा खत्म होने के एक महीने बाद जारी की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

भोपाल। मध्य प्रदेश शासन द्वारा छह महिला सिविल जजों की सेवाओं को उनके असंतोषजनक कार्य प्रदर्शन के आधार पर समाप्त करने के मामले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना व न्यायमूर्ति संजय करोल की युगलपीठ ने इन छह में से तीन पूर्व क्लास-टू सिविल जजों (जूनियर डिवीजन) द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लिखे गए प्रार्थना-पत्र पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई याचिका बतौर किए जाने की व्यवस्था दे दी है।

दरअसल बर्खास्त किए गए जजों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2022 के लिए साल की गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) दी गई थी। इसमें उन्हें प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश और पोर्टफोलियो न्यायाधीश द्वारा 'ग्रेड बी' दिया गया। वहीं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य जज ने 'ग्रेड डी' दिया। उन्होंने दावा किया कि यह ग्रेडिंग उनकी सेवा खत्म होने के एक महीने बाद जारी की गई थी।

प्रार्थना-पत्र में इन पूर्व जजों ने कहा है कि उन्हें इस तथ्य के बावजूद बर्खास्त कर दिया गया कि कोविड महामारी के कारण उनके कार्य का मात्रात्मक मूल्यांकन नहीं किया जा सका। बता दें कि एक प्रशासनिक समिति और फुल कोर्ट मीटिंग में प्रोबेशन अवधि के दौरान उनका प्रदर्शन असंतोषजनक पाए जाने के बाद प्रदेश के न्याय विभाग ने जून, 2023 में उनकी बर्खास्तगी के आदेश जारी किए थे।

सुप्रीम कोर्ट बार एंड बेंच की सूचना के हिसाब से, इन जजों में से 1 ने बर्खास्तगी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिकूल टिप्पणी नहीं होने और 4 साल तक बेदाग सेवा रिकॉर्ड की दलील दी थी।

साथ ही कहा था, कि उन्हें कानून की किसी भी उचित प्रक्रिया के बिना ही अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया गया। जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस मामले में अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को इस प्रकरण में कोर्ट मित्र भी नियुक्त कर दिया है।

एसीआर में दर्शाया गया अच्छा परफॉर्मेंस

संबंधित जज ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इस तथ्य को संज्ञान में लेने का आग्रह किया था कि अक्टूबर 2023 के पहले वीक में उन्हें वर्ष 2022 के लिए साल की गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) दी गई थी। इसमें उन्हें प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश और पोर्टफोलियो न्यायाधीश द्वारा 'ग्रेड बी' दिया गया। वहीं मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य जज ने 'ग्रेड डी' दिया। उन्होंने दावा किया कि यह ग्रेडिंग उनकी सेवा खत्म होने के एक महीने बाद जारी की गई थी।

बता दें कि, संबंधित जज ने याचिका में इस बात पर भी गौर करने का आग्रह किया था, कि नवंबर 2020 में उनकी परिवीक्षा सीमा समाप्त होने के बाद भी उनकी बर्खास्तगी का आदेश पारित किया गया। जिसके हिसाब से यदि मात्रात्मक काम के मूल्यांकन में उनके मातृत्व के साथ बाल देखभाल अवकाश की सीमा को ध्यान में रखा जाता है, तो यह उनके साथ गंभीर अन्याय होगा।

ये हैं सभी बर्खास्त जज

जिन छह जजों पर बर्खास्तगी की गाज गिराई गई थी, उनमें डा. आंबेडकर नगर इंदौर में पदस्थ प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड प्रिया शर्मा, मुरैना में पदस्थ पंचम अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड सोनाक्षी जोशी, टीकमगढ़ में पदस्थ पंचम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड अदिति कुमार शर्मा, टिमरनी हरदा में पदस्थ व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंडित ज्योति बरखड़े, उमरिया में पदस्थ न्यायिक सेवा सदस्य द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश सरिता चौधरी व रीवा में पदस्थ न्यायिक सेवा सदस्य द्वितीय दरबार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड रचना अतुलकर जोशी शामिल थीं।

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