नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महिला सिविल जजों की सेवाएं समाप्त करने और उन्हें बहाल करने से इनकार करने पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को फटकार लगाई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर पुरुषों को मासिक धर्म होता तो वे समझ पाते। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि जब न्यायाधीश मानसिक और शारीरिक रूप से पीड़ित हों तो मामलों के निपटान की दर कोई पैमाना नहीं हो सकती।
बार एंड बेंच की खबर के अनुसार, मध्य प्रदेश में महिला सिविल जजों की सेवाएं समाप्त करने और उनमें से कुछ को बहाल करने से इनकार करने के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए पीठ हाई कोर्ट के रवैये से नाराज थी। अपनी नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा, ” बर्खास्तगी-बर्खास्तगी कहना और घर चले जाना बहुत आसान है। हम भी इस मामले की विस्तार से सुनवाई कर रहे हैं; क्या वकील कह सकते हैं कि हम धीमे हैं? खास तौर पर महिलाओं के लिए, अगर वे शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं, तो यह मत कहिए कि वे धीमी हैं और उन्हें घर भेज दीजिए।”
पीठ ने आगे कहा, “पुरुष न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए भी यही मानदंड होने चाहिए, हम तब देखेंगे और हम जानते हैं कि क्या होता है। आप जिला न्यायपालिका के लिए मामले के निपटान को मानदंड कैसे बना सकते हैं?” जस्टिस नागरत्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा, “काश पुरुषों को भी मासिक धर्म होता तब वो समझ पाते।”
सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जून 2023 में 6 जजों की बर्खास्तगी पर स्वत: संज्ञान लिया था। इन 6 महिला न्यायिक अधिकारियों की सेवाएं हाई कोर्ट की सलाह पर मध्य प्रदेश सरकार ने समाप्त कर दी थीं। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उन महिला अधिकारियों में से एक के मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की, “जब न्यायाधीश मानसिक और शारीरिक रूप से पीड़ित हों तो मामले का निपटारा दर कोई पैमाना नहीं हो सकता।”
23 जुलाई 2024 को पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को प्रभावित न्यायाधीश के अभ्यावेदन पर न्यायिक अधिकारियों की सेवाएं समाप्त करने के अपने फैसले पर एक महीने के भीतर पुनर्विचार करने को कहा था। मध्य प्रदेश सरकार के राज्य विधि विभाग ने छह महिला न्यायाधीशों को बर्खास्त करने का आदेश पारित किया था क्योंकि इसकी एक प्रशासनिक समिति और पूर्ण न्यायालय की बैठक में प्रोबेशन पीरियड के दौरान उनके प्रदर्शन को असंतोषजनक पाया गया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
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