19 जुलाई की सुबह दिल्ली के एक अस्पताल में वहां के कर्मचारियों की उदासीनता के चलते प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को अस्पताल के सामने खुले में बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा। पीड़िता के परिजनों ने कहा, देश की राजधानी के अस्पताल का ये हाल है!
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मंगलवार को इंसानियत को शर्मशार को करने वाली घटना सामने आई। यूपी के दादरी से आई महिला ने अस्पताल परिसर में लेबर रूम के बाहर ही पीड़ा में कराहते हुए बच्चे को जन्म दिया है। सुबह लगभग 9.30 बजे अस्पताल परिसर के बाहर सड़क किनारे खुले में एक महिला को प्रसव के लिए मजबूर होना पड़ा। महिला की प्रसव पीड़ा देख लोगों का तांता लग गया, इसे देख कुछ महिलाएं आगे आईं, और दुपट्टे व साड़ीयों से घेर कर पर्दा लगाया और प्रसव कराने में मदद की। भीड़ और चीख को सुनकर अंदर अस्पताल से एक नर्स बाहर आई, लेकिन तब तक प्रसव हो चुका था। वह बच्चे को लेकर जल्दी से अन्दर चली गई।
लेबर रूम के बाहर खुले में जहां महिला प्रसव के लिए मजबूर हुई वहां डस्टबिन रखी हुई थी। इस दौरान सड़क किनारे बने फर्श पर खून फैल गया।
क्या था पूरा मामला?
सोमवार को 4 बजे 30 वर्षीय पूनम व उसके परिजन दादरी से सफदरजंग अस्पताल आए। पूनम की सास जसोदा ने बताया, "कल जब आई तो इमर्जेंसी में दिखाया। थोड़ी देर उसे (महिला) वहीं रखा फिर बाहर निकाल दिया गया। अस्पताल कर्मचारियों ने पर्ची बनाकर दिया और कहा कि अल्ट्रासाउंड करवा कर लाओ। जब अल्ट्रासाउंड कराने गए तो वहां बोला गया कि अल्ट्रासाउंड रात में होगा। लेकिन 10 बजे तक नही हुआ। फिर कहा गया कि मशीन खराब हो गई है अब नही होगा।"
सास ने आगे कहा, "पूनम का ये पहला बच्चा था। ऐसी स्थिति में उन्होंने सारी रात गुजारी। सुबह 9.30 बजे खुले में पूनम ने एक बिटिया को जन्म दिया। देश की राजधानी के अस्पताल का ये हाल है, पहले बच्चे को लेकर न जाने कितने सपने होते हैं लेकिन पूनम के लिए यह एक भयावह सपना बन गया।
पूनम के लिए अस्पताल प्रबंधन से भिड़ गई अधिवक्ता राबिया
अधिवक्ता राबिया सड़क किनारे किसी हुई महिला को इमरजेंसी में लेकर गई थीं। महिला को भर्ती करवा कर वह बाहर निकल रही थीं तभी खुले में प्रसव होता देख हैरान रह गई। राबिया ने बताया कि, वह इस मामले को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से मिलन चाहती थी लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें घेर लिया। काफी हो हल्ला के बाद अधिकारियों से मिल पाईं और सारी घटना से अवगत करवाया। कुछ अधिकारी उनके साथ घटना स्थल पर भी गए। राबिया का कहना है कि, वह लोग काफी गरीब थे। उन्हें डराया-धमकाया गया। जिससे उन्होंने अपना मोबाइल बंद कर लिया।
मामले में सफदरजंग अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मां और बच्चा दोनो स्वास्थ्य हैं।
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