छत्तीसगढ़ की बेटी को विदेश में पढ़ाई के लिए मिला डेढ़ करोड़ का स्कॉलरशिप

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में ग्रामीण परिवेश, शाक-सब्जियों व फलों के प्रति लगाव के चलते चुना एग्रीकल्चर विषय। जाह्नवी अब यूएस के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ़ हार्टिकल्चर एण्ड क्रॉप साइंस में रिसर्च कर पूरा करेगी सपना।
जाह्नवी ने एग्रीकल्चर विषय के चयन पर कहा कि कोई भी विषय या क्षेत्र कमतर नहीं होता, बस उसमें 100 प्रतिशत देना पड़ता है।
जाह्नवी ने एग्रीकल्चर विषय के चयन पर कहा कि कोई भी विषय या क्षेत्र कमतर नहीं होता, बस उसमें 100 प्रतिशत देना पड़ता है।फोटो- राजन चौधरी

भिलाई। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के करीब दुर्ग जिले के हाउसिंग बोर्ड इंडस्ट्रियल एरिया में बसे जाह्नवी मौर्या (23) के परिवार के लिए यह बेहद गौरव का क्षण था जब उन्हें पता चला कि बेटी अपनी आगे की परास्नातक की पढ़ाई अमेरिका स्थित ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में पूरी करेगी। जाह्नवी को इसी मार्च माह में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन प्रोग्राम में डिपार्टमेंट ऑफ़ हार्टिकल्चर एण्ड क्रॉप साइंस में रिसर्च के लिए यूनिवर्सिटी ने 1.5 करोड़ रुपए का स्कॉलरशिप देने की घोषण की गई है।

इस हॉर्टिकल्चर (Horticulture) एण्ड क्रॉप साइंस प्रोग्राम के अंतर्गत फल, सब्जी, पेड़, मसाले आदि के पौधे व फूल उगाना और अध्ययन करना शामिल है। इसके अलावा उनके संरक्षण, ऑर्गेनिक उत्पादन, कंपोस्ट उर्वरक का निर्माण, कीटनाशक दवाओं, मृदा परीक्षण आदि पर विस्तृत अध्ययन इस रिसर्च के भाग होंगे है।

जाह्नवी की प्रारम्भिक पढ़ाई आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के स्कूल में हुई। उसने इंटर की पढ़ाई डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, ए.सी.सी. जमूल और स्नातक की पढ़ाई संत कबीर कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन कवर्धा (इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़) से पूरी की।

वह द मूकनायक को बताती है कि उसके कॉलेज में अधिकांश बच्चे आदिवासी समुदाय से हैं जो उसके साथ वहां पढ़ने आते थे, यहां तक कि कॉलेज के अध्यापक भी उसी समुदाय से आते हैं। वह ऐसी पहली छात्रा होगी जिसे विदेश में पढ़ने जाने का मौका मिल रहा है। “मैंने अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों और उनके दैनिक दिनचर्या को काफी करीब से देखा है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली बच्चियों की शादी कम ही उम्र में कर दी जाती है, और हम जैसे पिछड़े समाज के लोगों के अविभावक बच्चियों को ज्यादा पढ़ा पाने में असमर्थ भी होते हैं। लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं था। पढ़ाई के मामले में मुझे मेरे परिवार का पूरा सहयोग मिला, ”जाह्नवी ने द मूकनायक को बताया।

जहां आज लड़कियों को अपने विषय चुनने की आजादी नहीं मिलती वहीं जाह्नवी को अपने परिवार से भरपूर सहयोग मिला।
जहां आज लड़कियों को अपने विषय चुनने की आजादी नहीं मिलती वहीं जाह्नवी को अपने परिवार से भरपूर सहयोग मिला।

जाह्नवी का परिवार, संयुक्त परिवार है। जाह्नवी के पिता कमलेश कुमार मौर्या भिलाई स्टील प्लांट में काम करते हैं और मां गृहणी हैं। स्कॉलरशिप के बारे में जाह्नवी द मूकनायक को बताती हैं कि “स्नातक के अंतिम वर्ष में परीक्षा की तैयारी के लिए तमाम रिसर्च पेपर्स पढ़ने पड़ते थे, जिसमें मुझे विदेशों में एग्रीकल्चर पर तमाम उन्नतशील खोजों, फलों-सब्जियों की अच्छी किस्मों, सब्जियों की ऑर्गेनिक खेती आदि के बारे में पता चला तभी मैंने निश्चय किया कि मुझे इसपर काम करना है. मैंने लिंक्डइन पर ओहियो यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर से ईमेल के माध्यम से संपर्क किया और इक्षा व्यक्त की कि मुझे इस पर काम करना है. मैंने कुछ फॉर्म भी भरे, और मुझे यह मौका मिला।”

जहां एक ओर जाह्नवी को खेती-बाड़ी और फलों-सब्जियों पर काम करना पसंद हैं वहीं दूसरी ओर उसने अपना आइडियल मशहूर पुर्तगाली प्रोफेशनल फुटबाल खिलाडी क्रिस्टियानो रोनाल्डो को बताया। वह कहती है कि “रोनाल्डो को देखकर मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है. खेल के प्रति उनकी मेहनत मुझे प्रेरित करती है कि मैं भी उतनी मेहनत करूँ, ”जाह्नवी ने कहा.

पढ़ाई के दौरान चुनौतियों के बारे में बात करते हुए वह बताती है कि कॉलेज में सिर्फ 10 प्रोफेसर्स थे जो बच्चों की संख्या के अनुपात में बहुत कम थे. ऐसे में सभी पाठ्यक्रमों पर समय से ध्यान देना चुनौतीपूर्ण रहा है. “हमारे कॉलेज में आने जाने वाले रास्ते की हालत बहुत ही खराब है. मेरे कॉलेज में 90 प्रतिशत बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से आते थे. उन्हें बहुत समस्या होती थी, ”हाल के वर्षों में कॉलेज के दिनों को याद करते हुए जाह्नवी ने बताया। उसने 2022 में अपनी बैचलर की डिग्री पूरी की.

जाह्नवी अपने विद्यालय के एक कार्यक्रम में
जाह्नवी अपने विद्यालय के एक कार्यक्रम में

जाह्नवी को बचपन से ही शाक-सब्जियों को उगाने, फलों के पौधों की रोपाई करने और अच्छे सुन्दर बगीचे को तैयार करने का शौक था. जिसके कारण उसने स्नातक में एग्रीकल्चर विषय का ही चुनाव किया। “मेरे तमाम परिचित और जानने वाले लोगों ने मुझे हमेशा यह सलाह दी कि तुम कुछ और तैयारी करो लेकिन मुझे यह सब बहुत पसंद था. मैंने अपने घर के सामने बहुत अच्छा सब्जियों का होम-गार्डन तैयार किया है. मुझे पौधे लगाने, उनकी देखभाल करने का बहुत शौक है, इसीलिए मैंने पढ़ाई में भी इसी विषय को चुना, और आज मुझे एक अच्छा मौका मिला है, ”जाह्नवी ने कहा कि, “जब इस स्कॉलरशिप के बारे में मेरे कॉलेज के शिक्षकों को पता चला तो उन्होंने मुझे सलाह दी कि यहीं रहकर पढ़ाई करो, बाहर मत जाओं, लेकिन मुझे इस क्षेत्र में रिसर्च करके बहुत कुछ सीखना है. और मैं वहां जाउंगी। मुझे मेरे परिवार का पूरा सहयोग है.”

सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद जाह्नवी ने ग्रामीण बच्चों के बीच गांवों के दैनिक दिनचर्या को काफी करीबी से देखा है. उसने बताया कि कैसे गांवों में लड़कियों की शिक्षा को लेकर तमाम चुनौतियाँ आती हैं. उनसे इतने घरेलू कार्य लिए जाते हैं कि पढ़ाई के लिए समुचित समय नहीं मिलता। उन्हें अपने पसंद के पाठ्यक्रम, पढ़ाई की तैयारियां या पढ़ाई के लिए बाहर निकलने के लिए भी स्वीकृति नहीं दी जाती है. जाह्नवी इस बात की पक्षधर हैं कि बेटियों को अपने पसंद के विषयों को चुनने की पूरी आज़ादी मिलनी चाहिए। “कोई भी विषय या क्षेत्र कमतर या महत्वहीन नहीं होता। बस आपको (लड़कियों) उसमें अपना 100 प्रतिशत देना होता है. आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। हर लड़की अपने मन की सुने और जो क्षेत्र बेहतर लगे उसमें पूरी मेहनत से जुट जाएं, ”जाह्नवी ने कहा।

जाह्नवी ने एग्रीकल्चर विषय के चयन पर कहा कि कोई भी विषय या क्षेत्र कमतर नहीं होता, बस उसमें 100 प्रतिशत देना पड़ता है।
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