कलकत्ता: जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने के पीछे की क्या है पूरी कहानी?

कलकत्ता की जेल में महिला कैदी की सुरक्षा पर उठे सवाल, महिला कैदियों के गर्भवती होने का किया गया दावा.
कलकत्ता: जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने के पीछे की क्या है पूरी कहानी?

नई दिल्ली: कलकत्ता से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जो महिलाओं कैदी से जुड़ा है जो उनकी सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के सामने राज्य की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने की आश्चर्यजनक ख़बरें सामने आ रहीं हैं।

मामले पर अदालत ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। इसका मतलब यह है कि जेलों में अधिकांश महिला कैदियों के साथ यौन संबंध बनाया जाता है। सवाल यह है कि, यह कौन लोग होते हैं जो रात के अंधेरे में महिला बैरक में जाते हैं, क्या जेल प्रशासन के अधिकारी, या जेल प्रशासन के कर्मचारी, या फिर जेलों के पुरुष कैदी? मामला अत्यंत गंभीर और संवेदनशील भी है। अतः इसकी जांच होनी ही चाहिए।

राज्य की जेलों में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्थिति यह है कि जेलों में कैदियों की संख्या जेल की क्षमता से भी अत्यधिक हो चली है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल की जेलों में उनकी क्षमता से 1.3 गुना अधिक कैदी हैं। भारत में जेल सांख्यिकी 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की जेलों में 19556 पुरुष और 1920 महिलाएं कैदी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। राज्य की जेलों में कैदियों की बढ़ती तादाद को देखते हुए 2018 में कोलकाता हाई कोर्ट ने इस मामले पर कार्रवाई करते हुए एक न्याय मित्र एडवोकेट तापस कुमार भांजा को मामले की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

जेल में पैदा हो चुके हैं 196 बच्चे

रिपोर्ट में यह बताया गया है कि, जेलों के अंदर अब तक 196 बच्चे पैदा हो चुके हैं, जो सीधे तौर पर मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी दिखा रहा है। साथ ही रिपोर्ट में जेल के महिला बंदियों वाले हिस्से में पुरुष स्टाफ की एंट्री पर बैन लगाने की सिफारिश की गई है। चीफ जस्टिस टीएस शिवागणम और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की बेंच के फैसले के मुताबिक, अब इस मामले में अगले सोमवार को एक डिवीजन बेंच सुनवाई करेगी।

सभी महिला बंदियों का हो प्रेग्नेंसी टेस्ट

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट से यह सिफारिश की गई है कि सभी महिला बंदियों को जेल में एंट्री देने से पहले उनका चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट की निगरानी में प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने के निर्देश जारी किए जाएं। अपनी रिपोर्ट में भांजा ने कहा कि उन्हें अलीपुर के महिला सुधारगृह में 15 बच्चे मिले, जिनमें 10 लड़के और 5 लड़कियां हैं। बंदियों से बातचीत में सामने आया कि कुछ महिला बंदियों ने सुधारगृह के अंदर ही बिना किसी डॉक्टरी मदद के खुद बच्चों को जन्म दिया है। इससे महिला सुधारगृहों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी साफ दिख रही है।

जेल में पुरुषों की एंट्री पर लगे रोक

एमिकस क्यूरी ने इस मुद्दे को हल करने के लिए एक सुझाव दिया, जिसमें पुरुष कर्मचारियों को महिला कैदियों वाले बाड़ों में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया गया। यह सिफ़ारिश महिला कैदियों के बीच कथित गर्भधारण और उसके बाद जेल के भीतर कई बच्चों के जन्म के बाद पेश की गई थी। इसके अलावा, एमिकस क्यूरी ने 25 जनवरी के एक नोट में एक और सुझाव दिया जिसका उद्देश्य स्थितियों में सुधार करना और सुधार सुविधाओं में कैदियों के कल्याण को सुनिश्चित करना था।

जेलों में 10 फीसदी महिला कैदी

पश्चिम बंगाल की 60 जेलों में एक जनवरी, 2024 तक करीब 26,000 कैदी रह रहे थे। इनमें से करीब 10 फीसदी महिलाएं हैं। जनवरी तक राज्य की जेलों में कम से कम 1,265 विचाराधीन महिला कैदी और 448 दोषी बंद थीं। करीब 174 महिला कैदी उम्रकैद की सजा काट रही हैं।

कोलकाता में महिला कैदियों के साथ ऐसा होने पर द मूकनायक टीम ने सेंट्रल जेल के जेल अधिकारी से करने की कोशिश बात की। लेकिन उन्होंने मामले में ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कही। उन्होंने बताया कि, "हम सुन रहे हैं कि मीडिया में ऐसी खबरें आ रही हैं कि कितनी जेलों में महिलाएं गर्भवती हो गई हैं। लेकिन हमारी जेल में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। बाकी इस तरह के मामलों के लिए जांच करवाई जाएगी।"

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