
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नेहरू नगर स्थित बालिका गृह की 11 लड़कियां शनिवार देर रात अचानक बेहोश हो गईं। आनन-फानन में उन्हें जय प्रकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका इलाज जारी है। इनमें एक बच्ची की हालत नाजुक बताई जा रही है। मौके पर पहुंचीं राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य ने घटना पर संदेह जताते हुए सवाल खड़े किए हैं।
टीटी नगर एसीपी सीएस पांडेय के मुताबिक कमला नगर थाना क्षेत्र के नेहरू नगर स्थित बालिका गृह में 11 किशोरियों की पानी पीने से अचानक तबियत खराब हो गई थी। कई लड़कियां बेहोश हुईं, जबकि कई लड़कियों को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत हुई। इसके बाद सबको जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां सबका इलाज जारी है। फिलहाल लड़कियों हालत में सुधार है।
मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा सूचना मिलते ही रात में जेपी अस्पताल पहुंचीं। बालिका गृह की लड़कियों से बाल आयोग की सदस्य निवेदिता ने घटना की जानकारी ली। वहीं बालिका गृह में रात को परोसे गए भोजन और वॉटर कूलर के पानी के सेंपल भी लिए गए है।
प्रारंभिक जांच के आधार पर यह बताया गया है कि बालिका गृह के वॉटर कूलर का पानी पीने की वजह से 11 किशोरियों की तबीयत खराब हुईं और वे बेहोश हो गईं। बाल आयोग की सदस्य और प्रशासन ने लड़कियों से की गई पूछताछ में यह बात सामने आई है कि रात को पानी पीने के कारण इन लड़कियों की तबीयत बिगड़ी थी। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्टस में इस बात की भी आशंका जताई गई है कि बालिकाओं ने आत्महत्या करने की कोशिश की थी। उन्होंने रात में खाना खाने के बाद जहर खाया है। हालांकि, इससे जुड़ा कोई तथ्य सामने नहीं आया है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।
अचानक ही बालिक गृह की 11 बच्चियों की तबीयत बिगड़ने से कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। लोगों के जहन में सवाल हैं कि क्या बालिका गृह में बच्चियों को प्रताड़ित किया जाता था, जिससे तंग आकर उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की या फिर बालिका गृह प्रशासन की लापरवाही की वजह से खराब पानी पीने से उनकी तबीयत बिगड़ी। द मूकनायक ने इस मामले में बालिका गृह की अधीक्षक योगिता मुकाती से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने इस घटना पर कई तरह सवाल खड़े किए है। उन्होंने कहा यह घटना सामान्य नहीं हो सकती। द मूकनायक से बातचीत में डॉ. निवेदिता ने बताया कि यदि लड़कियों को फूड पॉइजनिंग हुआ है तो सिर्फ 11 लड़कियां ही क्यों इससे पीड़ित है। जबकि बालिका गृह में 28 लड़कियां रहती है। उन्होंने बताया कि बालिका गृह में कोई भी खाने-पीने की सामग्री बाहर से अंदर नहीं पहुँच सकती है। ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि कौन सा जहरीला पदार्थ बालिका गृह में पहुँचा? इसके साथ ही भोजन रात को आठ बजे तक ही सभी को परोसा जाता है। और घटना रात करीब 10:30 के बाद की है। उन्होंने कहा इस मामले प्रबंधन की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है।
द मूकनायक से बातचीत में डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि बालिका गृह की ये वो बच्चियां हैं, जिनका कोई नहीं है, उन्हें देखरेख के लिए बालिका गृह में रखा गया है। या फिर ऐसी बच्चियां हैं, जो अपने घर से भागी हुई हैं। कुछ पॉक्सो विक्टिम भी हैं, जिन्हें परिवार ने छोड़ दिया। उन्होंने बताया निर्भया आश्रम के बन्द होने के बाद इस बालिका गृह में दो बच्चियों को शिफ्ट किया गया है। डॉ. निवेदिता ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही मैं जेपी अस्पताल पहुँची थी। यहां लड़कियों से बात करने के बाद सामने आया कि पानी पीने के बाद से उनकी तबीयत बिगड़ी थी। मामला संवेदनशील है जांच के निर्देश दिए गए है।
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