कलपेट्टा/केरल: वेन्गप्पल्ली पंचायत के वार्ड संख्या 6 में आदिवासी परिवारों ने आरोप लगाया है कि उनकी पुश्तैनी ज़मीन पर अवैध तरीके से कब्ज़ा कर खनन कार्य किया जा रहा है। इस मामले में ज़िला प्रशासन और पंचायत अधिकारियों की मिलीभगत के भी आरोप सामने आए हैं।
करींबालन समुदाय के लोग, जो लंबे समय से इस भूमि पर रह रहे हैं, कहते हैं कि खनन माफियाओं ने उनकी ज़मीन हड़प ली है। इस संबंध में उन्होंने वायनाड ज़िला कलेक्टर डी. आर. मेघाश्री को औपचारिक शिकायत सौंपी है। करींबालन प्रोटेक्शन काउंसिल के ज़िला अध्यक्ष ए. सी. शिवशंकरण और भूमिका चैरिटेबल सोसायटी की अध्यक्ष एम. संथाकुमारी ने आरोप लगाया है कि तीन खदान मालिक आपस में मिलीभगत कर आदिवासियों की ज़मीन पर कब्ज़ा कर अपने व्यवसाय को बढ़ावा दे रहे हैं।
यह खदान उस बस्ती के बेहद नज़दीक है, जहाँ करीब 20 आदिवासी परिवार रहते हैं। ये लोग आजीविका के लिए कृषि और पशुपालन पर निर्भर हैं, लेकिन खनन गतिविधियों ने उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। समुदाय के सदस्यों का कहना है कि खदान मालिकों ने उन्हें धोखे से कुछ दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करवाए। उन्हें झांसा दिया गया कि इससे कृषि कार्य और मवेशियों की ख़रीद में मदद मिलेगी। कुछ मामलों में उन्हें वैकल्पिक ज़मीन देने का वादा भी किया गया।
परिवारों का यह भी आरोप है कि खदान मालिकों ने ज़िला कलेक्टर से मंज़ूरी मिलने का झूठा दावा किया। इतना ही नहीं, वेन्गप्पल्ली पंचायत की सत्तारूढ़ परिषद पर भी आरोप है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन होते देख कर भी चुप्पी साध ली और खनन को बढ़ावा दिया।
अब आदिवासी समुदाय इस मुद्दे को और आगे ले जाने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा है कि वे अपनी शिकायत मुख्यमंत्री, अनुसूचित जनजाति आयोग और मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाएंगे। समुदाय ने इस ज़मीन कब्ज़े में शामिल सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
दर्ज याचिका में यह भी कहा गया है कि ज़िला कलेक्टर हस्तक्षेप कर आदिवासी परिवारों को हुए नुकसान का मुआवज़ा दिलवाएं। साथ ही वेन्गप्पल्ली पंचायत क्षेत्र में चल रही सभी खनन गतिविधियों की विस्तृत जांच की जाए ताकि सच सामने आ सके।
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