राजस्थान: आदिवासी किसान नहीं कर पा रहा अपने ही खेत की तारबंदी!

जालौर जिले का मामला, एसडीएम के आदेशों की तीन महीने से नहीं हो रही पालना।
राजस्थान: आदिवासी किसान नहीं कर पा रहा अपने ही खेत की तारबंदी!
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जयपुर। राजस्थान के जालौर जिले के रानीवाड़ा थाना क्षेत्र के दूधवट गांव में एक भील परिवार अपनी खातेदारी जमीन की तारबंदी कराने के लिए लम्बे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। पुलिस सुरक्षा में खातेदारी खेत की तारबंदी का सरकारी आदेश भी धूल फांक रहा है। रानीवाड़ा उपखण्ड अधिकारी के आदेश की पालना के लिए पीड़ित रामूदेवी और अजुराम भील राजस्व विभाग तो कभी पुलिस दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई इनकी पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है।

यह है एसडीएम का आदेश

किसान अजूराम पुत्र ताराजी भील निवासी दूधवट ने रानीवाड़ा उपखण्ड अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि कि प्रार्थी का रानीवाड़ा खुर्द में खसरा नम्बर 3066/2974 में खातेदारी खेत है। इसी खेत के पास खसरा नम्बर 48 गैर मुमकिन नाला है। नाले के पास खसरा नम्बर 49 में आरोपी फतह सिंह वगैराह का खेत है। 28 नवम्बर 2022 को रानीवाड़ा तहसीलदार ने टीम गठित कर उक्त खसरा नम्बरों की भूमि का सीमाज्ञान करवा कर निशान करवाये थे। प्रार्थी मवेशियों से फसल की सुरक्षा के लिए अपने खेत व सरकारी भूमि के मध्य माठ (मेर) पर तारबंदी करवाना चाहता है। पूर्व में सीमाज्ञान के बावजूद पुलिस व राजस्वकर्मियों की मौजूदगी में दबंगों ने आरोपियों ने विवाद उत्पन्न कर तारबंदी का काम रोक दिया था। प्रार्थी पुनः अपने खेत की तारबंदी करवाना चाहता है।

किसान के प्रार्थना पत्र को स्वीकारते हुए उपखण्ड अधिकारी कुसुम लता ने रानीवाड़ा थानाधिकारी को पत्र लिख कर 27 फरवरी 2023 को तारबंदी करवाने के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक अमल नहीं हुआ। पीड़ित अजुराम कहता है कि आरोपियों ने उसके खेत में जाने वाले रास्ते को भी बंद कर दिया है। जबकि यह सरकारी नाला है। यहां से 30 फिट की दूरी पर सार्वजनिक सड़क है। इसके बावजूद खेत में नहीं जाने देते हैं। हमेशा झगड़ा फसाद करने पर आमादा रहते हैं। पूर्व में भी तारबंदी करने व जुताई के लिए सरकारी नाले से निकलने पर मारपीट कर चुके हैं। पुलिस प्रशासन के लोग भी उनकी नहीं सुन रहे हैं।

पूर्व में दर्ज करा चुके हैं मुकदमा

रामू देवी पत्नी अजुराम भील ने 30 अक्टूबर 2022 को रानीवाड़ा पुलिस थाने में रिपोर्ट देकर बताया था कि प्रार्थी के पति अजुराम भील की खातेदारी भूमि रानीवाड़ा खुर्द गांव में है। तत्सम उक्त भूमि में अरंडी व ग्वार की फसल की बुवाई कर रखी थी। 30 अक्टूबर सुबह 11 बजे पति के साथ खेत की लोर (मेर) पर थोबली (सीमेंट के पिलर) खड़ी करने गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार दम्पति लोर के भीतर खातेदारी खेत मे थोबली रोप रहे थे। इस दौरान आरोपी वीरबहादुर सिंह पुत्र फतह सिंह व फतेह सिंह पुत्र शेर सिंह राजपूत निवासी रानीवाड़ा खुर्द वाहनों से आए। दोनों ने वाहनों से हमारे खातेदारी खेत में अनाधिकृत प्रवेश किया। अपशब्दों का प्रयोग किया। प्रार्थिया ने अपशब्द बोलने से मना किया तो आरोपी पिता-पुत्र नाराज हो गए। जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। कहने लगे कि तुम हमारी इजाजत के बिना अपने खेत में थोबली कैसे गाड़ सकते हो। यह कह कर आरोपी पिता पुत्र ने अपनी-अपनी गाड़ी से हमारे खेत में लगे पिलरों को तोड़ दिया।

प्रार्थी ने रिपोर्ट में आगे बताया कि उसने पिता पुत्र के हाथ जोड़ कर कहा कि आप हमारे दाता हो। ऐसा मत करो। इसके बावजूद उन्होंने पति के साथ भी मारपीट थी।

अजुराम बताता है कि, पूर्व में भी पुलिस व प्रशासन के लोगों ने आरोपियों को बचाने के लिए उनके व गवाहों के खिलाफ झूठे मुकदमें दर्ज कर राजीनामा का दबाव बनाया था। वह कहते हैं कि हमारे साथ मारपीट करने वाले आरोपियों को पकड़ने की बजाय पुलिस ने पीड़ित के साथ ही उसकी तरफ से दर्ज मुकदमे में गवाह को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर भी राजीनामे का दबाव बनाया था।

अजुराम आगे बताते हैं कि लगातार दबाव के बावजूद जब वह राजीनामे के लिए राजी नहीं हुआ तो घटना के सवा महीने बाद 12 दिसम्बर को पुलिस ने आरोपी से एक झूठी रिपोर्ट लेकर पीड़ित के साथ गवाहों पर ही आर्म्स एक्ट का झूठा मुकदमा तक दर्ज कर लिया था।

'राजीनामा कर लो सामने वकील है'

अजुराम आरोप लगाते हैं कि, पुलिसकर्मियों ने उनसे कहा कि राजीनामा कर लो फायदे में रहोगे। सामने वकील है। उसने राजीनामा करने से मना किया तो अगले दिन 1 नवम्बर 2022 को आरोपी वीरबहादुर सिंह पुत्र फतह सिंह ने पुलिस थाने में रिपोर्ट देकर बताया कि दूधवट सरहद पर उसके पिता व परिवार के अन्य लोगों की शामिलात की जमीन है। नानजीराम (रामूदेवी भील के मुकदमे में गवाह) पर आरोप लगाया कि वह जबरदस्ती हमारे खेत में ट्रैक्टर से पोल खड़े कर रहा था। मना किया तो मारपीट की। इस पर पुलिस ने नानजीराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।

पीड़ित व गवाहों को किया गिरफ्तार

अजुराम भील कहते हैं कि, आरोपी की तरफदारी में पुलिस यहीं नहीं रुकी। जांच के नाम पर पुलिस थाने बुलाकर अजुराम भील व नानजीराम को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर राजीनामे का दबाव बनाया गया।

फिर आर्म्स एक्ट में मामला दर्ज

अजुराम कहते हैं कि जब वह किसी भी तरह राजीनामा को तैयार नहीं हुआ तो 12 दिसम्बर को आरोपी फतह सिंह राजपूत ने उसके साथ मुकदमे में गवाहों को नामजद करते हुए हथियार लहराने का मनगढ़ंत आरोप लगा कर उनके खिलाफ रानीवाड़ा में मुकदमा दर्ज करवाया। पुलिस ने भी बिना जांच किए उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया था।

आम आदमी की आवाज संघ के राष्ट्रीय महासचिव भंवर लाल आदिवासी ने बताया कि प्रशासन एक सप्ताह में भील परिवार की भूमि की तारबंदी नहीं करवाता है तो आदिवासी समाज रानीवाड़ा में उपखण्ड अधिकारी कार्यालय के बाहर धरना देगा।

पूरे घटनाक्रम को लेकर द मूकनायक ने उपखण्ड अधिकारी रानीवाडा व थानाधिकारी रानीवाड़ा से बार-बार सम्पर्क का प्रयास किया, लेकिन दोनों से सम्पर्क नहीं हो सका।

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