राजस्थान के वंचित तबके के विद्यार्थियों को मिलेगा मनपसंद कला सीखने का मौका

चितौड़गढ़ के सामरी सरकारी स्कूल के छह विद्यार्थी नागपुर इंटरनेशनल कन्वेंशन में भाग लेंगे
राजस्थान के वंचित तबके के विद्यार्थियों को मिलेगा  मनपसंद कला सीखने का मौका

राजस्थान। उच्च शिक्षण संस्थाओं में पिछड़े तबके के विद्यार्थियों के साथ भेदभाव, पक्षपात जैसी बढ़ती घटनाओं के बीच राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के सामरी ग्राम से एक छोटी सी खबर बहुत सुकूनदायक प्रतीत होती है।

यहां के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य अय्यूब खान ने बताया कि स्पिक मैके का इंटरनेशनल कन्वेंशन इस बार विश्वेश्वरय्या नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी नागपुर की मेजबानी में आगामी 29 मई से 4 जून तक आयोजित हो रहा है। इस दौरान विश्वभर से आने वाले लगभग 1000 छात्र-छात्राएं और संस्कृतिप्रेमी आश्रम जैसे वातावरण में एक सप्ताह व्यतीत करेंगे। 

महोत्सव में उन्हें अपनी जीती-जागती संस्कृति से साक्षात्कार का एक अविस्मरणीय अनुभव मिलेगा। गौरतलब है इस आयोजन में सामरी विद्यालय के छह विद्यार्थी चयनित हुए हैं जो व्याख्याता डॉ. माणिक के सानिध्य में अधिवेशन में प्रतिभागिता निभाएंगे। प्रतिभागियों में कक्षा बारह के मनोहर जटिया, चीनू बैरागी, सिट्टू कँवर, आरती मेघवाल सहित कक्षा दस के रौनक बैरागी और कुलदीप प्रजापति शामिल हैं। ग्रामीण इलाके के विद्यार्थियों के लिए यह पहला अवसर होगा जब वे किसी बड़े महोत्सव में हिस्सा लेंगे। 

नामचीन कलाकार करेंगे शिरकत

भारत की समृद्ध सांगीतिक विरासत से परिचित होने का यह दुर्लभ मौका है। आयोजन में दर्जनों सिद्धहस्त कलाकार शिरकत करेंगे। कलाकारों में बेगम परवीन सुल्ताना, प्रभा अत्रे, पंडित साजन मिश्रा, पंडित उल्हास केशालकर, ध्रुपद गायक उस्ताद वासिफुद्दीन डागर, गायिका बोम्बे जयश्री,फिल्मकार श्याम बेनेगल, अभिनेता रजित कपूर, सरोद वादक उस्ताद अमज़द अली खान, कठपुतली निर्देशक दादी पदमजी, पंडवानी गायिका तीजन बाई, प्रसिद्द शास्त्रीय गायिका अश्विनी भिड़े देशपांडे, कबीर गायक प्रहलाद सिंह तिपानिया, भरतनाट्यम नृत्यांगना अलारमेल वल्ली, गायक उस्ताद राशिद खान, वायलिन वादक डॉ एन. राजम, सूफी कव्वाल वारसी ब्रदर्स, गुरुबानी गायक अलंकार सिंह, नर्तक मार्गी मधु उनमें से कुछ नाम हैं।

सामरी विद्यालय के हिंदी साहित्य के व्याख्याता डॉ. माणिक ने द मूकनायक को बताया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी अधिकतर निर्धन परिवारों से आते हैं जिनमें भरपूर प्रतिभा होने के बावजूद संसाधनों के अभाव में वे अपने इच्छित कला में प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पाते हैं। स्पिक मैके आंदोलन जो 45 वर्षों से चल रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए श्रेष्ठ अवसर है जहां वे लगभग 40 कलाओं या विधाओं में से अपनी पसंद और रुचि के विषय में योग्य व दक्ष प्रशिक्षकों के द्वारा शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और अपनी प्रतिभा को पहचान संवार सकते हैं। यह इत्तेफाक है कि चयनित छह विद्यार्थियों में 5 पिछड़े और वंचित समुदाय से हैं। चयनित प्रतिभागियों हेतु भोजन और आवास की समस्त व्यवस्थाएं निशुल्क रूप से की जा रही है।

क्या है स्पिक मैके आंदोलन?

युवा वर्ग में साहित्य, संगीत, कला और अपनी संस्कृति के प्रति समझ और संवेदनशीलता लाने के उद्देश्य से 1977 में डॉ. किरण सेठ द्वारा स्थापित स्पिक मैके सांस्कृतिक आन्दोलन यानी सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ़ इंडियन क्लासिकल म्यूज़िक एंड कल्चर अमंग्स्ट यूथ नाम से एक आन्दोलन है जो आज के युवा वर्ग को भारतीय पारम्परिक संस्कृति के मूल रूप से परिचित कराने को प्रतिबद्ध है। विगत 45 वर्षों से स्पिक मैके के द्वारा शास्त्रीय संगीत और नृत्य एवं लोक कला के कार्यक्रमों तथा कार्यशालाओं का आयोजन देश के विभिन्न स्कूल तथा कॉलेजों में होता आ रहा है। गौरतलब है पहली बार सामरी में नवगठित हेरिटेज क्लब ऑफ़ सामरी के छह विद्यार्थी भी हिस्सेदारी करेंगे।

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