जिस बच्ची ने गांव में चुपचाप देखा था राज्यपाल को, आज बनी राष्ट्रपति की मेहमान — जानिए रश्मि बिरहोर की दिलचस्प कहानी

राष्ट्रपति मुर्मू से विशेष आमंत्रण पर मिली रामगढ़ की रश्मि बिरहोर, जो PVTG समुदाय से स्नातक बनने वाली पहली छात्रा बनीं — टाटा स्टील फाउंडेशन की 'आकांक्षा परियोजना' से मिली उड़ान.
From a Village Dream to Presidential Recognition Tribal Girl Rashmi Birhor Becomes First Graduate from Her Community.
गांव की बेटी से राष्ट्रपति भवन तक: रश्मि बिरहोर बनी रामगढ़ की पहली स्नातक, राष्ट्रपति मुर्मू से हुई ऐतिहासिक मुलाकात
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रांची: साल 2016 में झारखंड के रामगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में जब तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का दौरा हुआ, तो एक आदिवासी लड़की रश्मि बिरहोर चुपचाप भीड़ में खड़ी थी। दोनों के बीच बातचीत भले ही छोटी रही, लेकिन उस मुलाकात ने रश्मि के भीतर एक ऐसा सपना जगा दिया, जिसने उसकी ज़िंदगी बदल दी।

अब, 2025 में, वह सपना हकीकत बन गया है।

रश्मि बिरहोर अब रामगढ़ की पहली मैट्रिक पास और स्नातक बनी हैं, जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) से आती हैं। जब यह खबर देश की राष्ट्रपति बनी द्रौपदी मुर्मू तक पहुंची, तो रश्मि को राष्ट्रपति भवन की ओर से विशेष आमंत्रण मिला। राष्ट्रपति मुर्मू का दो दिवसीय झारखंड दौरा 1 अगस्त को संपन्न हुआ।

यह मुलाकात केवल औपचारिक नहीं थी — यह एक भावनात्मक और प्रेरणादायक क्षण था, न सिर्फ रश्मि और उनके परिवार के लिए, बल्कि उस समुदाय और संस्थाओं के लिए भी जिन्होंने इस सफर में उनका साथ दिया।

रश्मि ने टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा जारी एक बयान में कहा, “फिर से उनसे मिलना — इस बार देश की राष्ट्रपति के रूप में — किसी सपने जैसा लगा।”

रश्मि के साथ थे दीपक कुमार श्रीवास्तव, सहायक प्रबंधक, सामुदायिक विकास, टाटा स्टील फाउंडेशन, पश्चिम बोकारो। उनकी टीम ने 'आकांक्षा प्रोजेक्ट' के माध्यम से रश्मि की शिक्षा यात्रा में अहम भूमिका निभाई — यह फाउंडेशन की प्रमुख पहल है, जो PVTG समुदायों के पहले पीढ़ी के शिक्षार्थियों को समर्थन देती है।

राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान रश्मि ने दिल से आभार प्रकट किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने संथाली भाषा में बात कर रश्मि को सहज और सम्मानित महसूस कराया।

संघर्ष से सफलता तक की यात्रा

रश्मि की शैक्षणिक यात्रा 2017 में आकांक्षा प्रोजेक्ट से जुड़ने के साथ शुरू हुई। उन्हें आवासीय शिक्षा, वित्तीय सहायता और निरंतर मार्गदर्शन मिला। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट रॉबर्ट्स गर्ल्स स्कूल, हज़ारीबाग से पूरी की और बाद में जीएम इवनिंग कॉलेज, हज़ारीबाग से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

टाटा स्टील फाउंडेशन ने रश्मि की सफलता को समावेशी शिक्षा की शक्ति का प्रतीक बताया।

फाउंडेशन की ओर से कहा गया, “रश्मि की उपलब्धि आकांक्षा प्रोजेक्ट के दीर्घकालिक प्रभाव को दर्शाती है। यह दिखाता है कि समावेशी शिक्षा किस तरह वंचित समुदायों को सशक्त बना सकती है। उनकी राष्ट्रपति से मुलाकात न सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि यह PVTG युवाओं की बढ़ती आकांक्षाओं का भी प्रतीक है।”

अनुराग दीक्षित, महाप्रबंधक, पश्चिम बोकारो डिवीजन, टाटा स्टील, ने इस क्षण को "ऐतिहासिक" करार दिया।

उन्होंने कहा, “यह टाटा स्टील और पूरे PVTG समुदाय के लिए गर्व का क्षण है। रश्मि की यात्रा आकांक्षा प्रोजेक्ट के मूल उद्देश्य को साकार करती है — प्रणालीगत बाधाओं को तोड़कर शिक्षा के माध्यम से परिवर्तन लाना।”

आकांक्षा प्रोजेक्ट: बदलती तकदीरें

वित्तीय वर्ष 2013 में शुरू हुआ आकांक्षा प्रोजेक्ट, PVTG समुदायों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए काम करता है। यह उन्हें आवासीय/गैर-आवासीय स्कूलिंग, वित्तीय सहायता, और संपूर्ण शैक्षणिक सहयोग प्रदान करता है। अब तक 80 से अधिक बिरहोर छात्र इस परियोजना से लाभान्वित हो चुके हैं।

आशा की प्रतीक बनी रश्मि

रश्मि के पिता सुधांशु बिरहोर, माता सवा देवी, और छोटे भाई मनीष कुमार उनकी सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं।

आज उनके गांव में रश्मि सिर्फ एक शिक्षित लड़की नहीं, बल्कि आशा की किरण बन चुकी हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा भाग्य को बदल सकती है। राष्ट्रपति मुर्मू से उनकी मुलाकात — वही महिला जिनसे एक बार छोटी बच्ची के रूप में प्रेरणा ली थी — अब सैकड़ों आदिवासी बच्चों के लिए उम्मीद की मिसाल बन चुकी है, जो अब जान चुके हैं कि सपने, चाहे जितने भी बड़े हों, उन्हें सच किया जा सकता है।

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