भोपाल। मध्य प्रदेश के सीधी पेशाब कांड के पीड़ित आदिवासी दशमत रावत और उनका परिवार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहा है। दशमत ने कहा, "पुलिस पहरे के कारण पिछले तीन महीनों से मजदूरी पर नहीं जा सका जो पैसा राहत के तौर पर सरकार ने दिया था। वह भी मकान निर्माण में खर्च हो चुका है। मकान का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है।" दशमत ने आगे कहा, अब उनका परिवार उधार पैसों की व्यवस्था कर अपना घर खर्च चला रहे हैं। उनके पास अब खाने तक को पैसे नहीं हैं.
दरअसल जुलाई 2023 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ था। वीडियो में सीधी जिले कुबरी गाँव का भाजपा पदाधिकारी प्रवेश शुक्ला नशे में धुत्त होकर आदिवासी दशमत रावत के चेहरे पर पेशाब करता दिख रहा है। वीडियो के वायरल होते ही सीएम शिवराज सिंह ने कलेक्टर, एसपी को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
सरकार के निर्देश के बाद प्रशासन ने तुरन्त एनएसए और एट्रोसिटी का मामला प्रवेश शुक्ला के खिलाफ दर्ज कर जेल भेज दिया था। इधर, आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर बुलडोजर चला कर मकान के अवैध हिस्सों को गिरा दिया गया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन रातों-रात दशमत को सीधी से 600 किलोमीटर दूर राजधानी भोपाल लेकर पहुँचे थे।
6 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आदिवासी दशमत के पैर धोए, और माफी मांगते हुए सम्मान किया था। इसके बाद सीएम ने दशमत के साथ नाश्ता किया। इसी दौरान बात करते हुए दशमत से कहा, "मैं घटना से आहत हूँ। तुम मेरे लिए सुदामा हो, गरीब ही भगवान का रूप होता है। सीएम ने दशमत से कहा-,"मकान बनवाने की व्यवस्था करते हैं। अब अपन दोस्त बन गए, मिलता रहूंगा संपर्क में रहेंगे।"
घटना के तीन महीने बाद द मूकनायक की टीम ने सीएम के द्वारा दशमत से किए गए वादों की पड़ताल की है। हम यह देखना चाहते थे आखिर सरकार के द्वारा आदिवासी दशमत रावत को दिए गए राहत से वह कितना संतुष्ट हैं। क्या उनसे किए गए वादे पूरे हो पाए? इन्हीं सवालों के जवाब ढूढ़ने हमारी टीम सीधी के कुबरी गाँव पहुँची।
हमारी टीम यहाँ आदिवासी बस्ती में पहुँची जहां दशमत रहते हैं। दशमत घर के बाहर ही बैठे हुए थे। मकान का काम अधूरा पड़ा था। हमने पूछा मकान कब तक बनेगा। दशमत का जवाब था पैसा खत्म हो गया है। ऑफ कैमरा दशमत के आँखों में आँसू थे, वह कह रहे थे कि मुख्यमंत्री फोन नहीं उठाते। पुलिस घर से बाहर मजदूरी करने नहीं जाने देती।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए आदिवासी दशमत रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जब मुझे भोपाल बुलाया था। तब कहा था पहले मकान बनवाऊंगा फिर नौकरी दे दूंगा। अब न मकान पूरा बना है न ही नौकरी मिली है। अब सीएम को फोन करता हूँ तो उठाते नहीं हैं। दशमत ने कहा भोपाल से लौटने के एक सप्ताह सीएम और उनके पीए से एक-एक बार बात हुई। उसके बाद मेरा फोन उठाना बंद कर दिया। दशमत ने कहा सीएम को अब मेरी कोई फिक्र नहीं कि दशमत जिंदा है या मर गया!
सीधी पेशाब कांड के पीड़ित आदिवासी दशमत रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री उन्हें भूल चुके हैं। उन्होंने जब भोपाल सीएम हाउस बुलाया था तब कहा था तुम मेरे सुदामा हो, हम दोस्त बन गए हैं। अब अपने दोस्त का फोन क्यों नहीं उठाते शिवराज सिंह। दशमत ने कहा कि नौकरी का वादा किया था। मकान का वादा किया था। न ही नौकरी दी है और मकान अधूरा पड़ा है।
दशमत ने कहा कि सीएम ने 5 लाख मकान बनाने और डेढ़ लाख रुपये आर्थिक मदद दी थी, लेकिन यह सब पैसा खत्म हो गया है। पूरा पैसा मकान में लग चुका है। जब मदद के लिए सीएम से बात करने की कोशिश की तो अब कोई फोन नहीं उठा रहा। द मूकनायक की टीम के सामने सीएम द्वारा दशमत को दिए गए फोन नम्बर पर दो बार फोन लगाया गया, लेकिन रिंग जाने के बाद फोन कट कर दिया गया।
दशमत रावत का आरोप है कि पुलिस उन्हें मजदूरी करने से रोक रही है। वह पिछले तीन महीनों से घर पर बैठे है। पैसा खत्म हो जाने के बाद वह एक दिन मजदूरी करने दुकान पर गए थे। पल्लेदारी का काम करने वाले दशमत ने जैसे ही काम शुरू किया। वहां पुलिस की जीप पहुँच गई। पुलिस ने दशमत को जीप में बैठाया और घर छोड़ दिया। दशमत ने बताया कि पुलिस ने उनसे कहा कि काम पर नहीं जाना है घर पर ही रहना है यह हमारे बड़े अधिकारियों का आदेश है।
दशमत ने बताया कि वह 24 घंटे पुलिस सुरक्षा में रहते हैं। उन्हें अब पुलिस सुरक्षा की नहीं काम की जरूरत है, लेकिन न ही सरकार वादे के मुताबिक नौकरी दे रही और न ही मुझे मजदूरी करने दे रही। दशमत ने कहा वह सीधी में पुलिस अधीक्षक के पास गए थे। उन्होंने वहां पुलिस सुरक्षा हटाने को कहा। लेकिन उन्हें बताया गया कि 18 नवंबर को सुरक्षा हटा ली जाएगी।
वर्तमान में दशमत के साथ दिन के समय एक कॉन्स्टेबल तैनात रहता है। वहीं रात में घर के बाहर तीन कॉन्स्टेबल की तैनाती की जाती है।
आदिवासी दशमत रावत की पत्नी आशा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "अब हमें कोई देखने नहीं आता। शुरुआत में बहुत लोग आए। अब बात पुरानी हो गई है। मुख्यमंत्री भी हमारी कोई खबर नहीं ले रहे है। सरकार ने जो पैसा दिया था वह खत्म हो गया है। हमारे तीन बच्चे हैं, पांच लोगों का परिवार है।" आशा ने बताया पुलिस सुरक्षा के कारण मेरे पति दशमत मजदूरी पर नहीं जा पा रहे हैं। जब पैसा नहीं आएगा तो खाएंगे क्या?
सीएम पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे दशमत ने कहा मुख्यमंत्री ने कहा था दशमत तुम चिंता मत करना। मैं तुम्हारे साथ हूँ। लेकिन अब सीएम फोन नहीं उठाते। दशमत ने कहा कि आदिवासियों के साथ धोखा हो रहा है। सरकार हमसे वादे करती है। मगर वह पूरे नहीं हो रहे है। मैंने गाँव तक सड़क बनने की मांग की थी वह भी पूरी नहीं हुई है। अपने साथ हुईं घटना को लेकर दशमत ने कहा प्रवेश शुक्ला ने सिर्फ उनके चेहरे पर पेशाब नहीं किया पूरी आदिवासी समाज पर किया है। उसे सजा मिलनी चाहिए।
इधर, आरोपी प्रवेश शुक्ला के जब हम घर पहुँचे तब उनका मकान पूरी तरह बन कर तैयार हो चुका था। दरअसल यह मकान के अवैध हिस्सों को घटना के बाद स्थानीय प्रशासन से बुलडोजर चलाकर तोड़ दिया था। प्रवेश के पिता रमाकांत शुक्ला ने बताया कि उनके मकान की मरम्मत के लिए अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा एवं अन्य समाजजनों ने करीब 6 लाख रुपए की आर्थिक मदद की थी। जिसके बाद वह अपने घर की मरम्मत करा पाए। रमाकांत शुक्ला ने बताया कि सभी आरोपों में हाईकोर्ट से प्रवेश को जमानत मिल गई है।
दशमत रावत ने अब चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी का हाथ थाम लिया है। दशमत ने कहा, "सीएम ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया। मुझसे और मेरे परिवार से सीएम ने जो वादे किए वह पूरे नहीं हुए। अब मैं आजाद समाज पार्टी में काम करूंगा।" दशमत का आरोप है की पुलिस उन्हें काम पर जाने से रोक रही है। हमने दशमत के आरोपों को लेकर सीधी के पुलिस अधीक्षक डॉ. रविन्द्र वर्मा को फोन लगाया लेकिन हमारा सवाल सुनने के बाद उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
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