भोपाल। मध्य प्रदेश के मंडला जिले में पुलिस पर एक निर्दोष आदिवासी युवक हिरन बैगा की फर्जी एनकाउंटर में हत्या का आरोप लगा है। पुलिस ने उसे नक्सली बताया, लेकिन स्थानीय लोग और विपक्षी दल इसे फर्जी मुठभेड़ करार दे रहे हैं। इस घटना को लेकर प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है। मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
उमंग सिंघार ने सवाल उठाया है कि मध्य प्रदेश पुलिस का खुफिया तंत्र इतना कमजोर है कि वह नक्सलियों और भोले-भाले आदिवासियों में फर्क नहीं कर पा रही है? उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के शासन में पुलिस लगातार आदिवासी समाज पर जुल्म कर रही है।
उन्होंने कहा,- "निर्दोष आदिवासी की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि यह पूरे आदिवासी समाज पर हमला है।"
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि बेगा जनजाति को विशेष पिछड़ी जनजातियों में शामिल किया गया है, लेकिन सरकार की नीतियां और पुलिसिया अत्याचार इस समुदाय के अस्तित्व के लिए खतरा बन रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस बिना किसी ठोस सबूत के निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर मार रही है।
उमंग सिंघार ने कहा कि यह घटना तब हुई है जब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वयं एक आदिवासी समाज से आती हैं। ऐसे में पुलिस का यह रवैया संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने राज्य सरकार से फर्जी एनकाउंटर की न्यायिक जांच कराने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
कांग्रेस समेत कई आदिवासी संगठनों ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। उमंग सिंघार ने कहा कि यदि सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं कराती, तो विपक्ष सड़क पर उतरकर आदिवासियों के हक के लिए संघर्ष करेगा।
घटना के बाद, आदिवासी संगठनों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम ने इसे ‘पुलिस की सुनियोजित साजिश’ बताते हुए कहा कि वे इस मामले को सड़क से लेकर उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे।
आदिवासी एक्टिविस्ट और वकील सुनील आदिवासी ने 'द मूकनायक' से बातचीत में कहा, "जब पूरा देश होली मना रहा था, तब मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने एक निर्दोष आदिवासी हिरन बैगा को नक्सली बताकर गोली मार दी। यह पहली बार नहीं हो रहा। पुलिस लगातार आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ों में मार रही है।"
उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, "आप देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं, लेकिन जब पुलिस आदिवासियों की फर्जी मुठभेड़ कर रही है, तब आपकी चुप्पी क्यों?"
विशेष पिछड़ी जनजातियों (पीवीटीजी) में शामिल बैगा, भरिया और सहरिया समुदायों के लोगों को लगातार पुलिस की कठोर कार्रवाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस बिना ठोस सबूतों के आदिवासियों को नक्सली करार देकर मार रही है।
इससे पहले भी मध्यप्रदेश में कई आदिवासी मुठभेड़ों पर सवाल उठ चुके हैं। पुलिस द्वारा मारे गए लोगों को नक्सली बताया जाता है, लेकिन कई मामलों में यह दावा संदिग्ध साबित हुआ है।
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