MP के इंदौर जिला कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: गर्भस्थ शिशु को भी माना आश्रित, सड़क दुर्घटना में मृतकों के परिवारों को मिला मुआवजा

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166 के तहत सड़क दुर्घटना में घायल या मृतक के आश्रित परिवार कोर्ट में मुआवजे के लिए दावा कर सकते हैं। यदि वाहन बीमित है, तो बीमा कंपनी को मुआवजा देना होगा।
MP के इंदौर जिला कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: गर्भस्थ शिशु को भी माना आश्रित, सड़क दुर्घटना में मृतकों के परिवारों को मिला मुआवजा
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भोपाल। सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों के परिवारों को न्याय दिलाने के मामले में इंदौर जिला कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। वर्ष 2020 में हुए एक सड़क हादसे में मारे गए दो बाइक सवारों के परिवारों को कोर्ट ने क्रमशः 25 लाख और 16 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इस मामले की खास बात यह रही कि कोर्ट ने मृतक की गर्भवती पत्नी के गर्भस्थ शिशु को भी जीवित मानते हुए उसे आश्रित माना और मुआवजे में शामिल किया।

यह दुर्घटना 17 मार्च 2020 को इंदौर-खंडवा रोड स्थित दत्त मंदिर के पास हुई थी। महू निवासी निर्मल उर्फ गुड्डा (21), धार निवासी राज सोलंकी, खरगोन निवासी रोहित सोलंकी और राहुल सोलंकी दो बाइकों पर सवार होकर काम पर जा रहे थे। तभी तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी।

इस हादसे में गंभीर रूप से घायल निर्मल और राज को अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई। वहीं, रोहित और राहुल कुछ दिनों में स्वस्थ हो गए और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। ये चारों दोस्त ठेके पर मजदूरी का काम करते थे।

कोरोना महामारी के चलते देरी से दर्ज हुआ क्लेम केस

इस दुर्घटना के एक साल बाद, 2 फरवरी 2021 को घायलों के परिवारों ने एडवोकेट एलएन यादव के माध्यम से जिला कोर्ट में मुआवजे के लिए दावा दायर किया। क्लेम केस में आजाद नगर निवासी ट्रक मालिक नरदेवसिंह गुर्जर, हरियाणा के मेवात निवासी ट्रक चालक जमशेद खुर्शीद और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

चार साल तक चली सुनवाई के बाद 28 फरवरी 2025 को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, जिसमें मृतकों के परिवारों को कुल 51 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया गया।

कोर्ट ने गर्भस्थ शिशु को भी माना आश्रित

इस केस की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि सुनवाई के दौरान मृतक निर्मल की पत्नी मैना ने कोर्ट को बताया कि दुर्घटना के समय वह गर्भवती थी और उनके पति की कमाई से ही पूरा परिवार चलता था। परिवार में ससुर मदनसिंह, सास मूलीबाई भी आश्रित थे।

गर्भस्थ शिशु को आश्रित माने जाने के लिए एडवोकेट ने आवेदन दिया, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि गर्भ में पल रहा शिशु भी जीवित माना जाएगा और उसे मृतक का आश्रित मानते हुए मुआवजे की राशि में शामिल किया जाएगा।

51 लाख रुपये का मुआवजा मंजूर

  • 28 फरवरी 2025 को इंदौर जिला कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ट्रक के बीमा कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, को आदेश दिया कि वह पीड़ित परिवारों को मुआवजा प्रदान करे।

  • मृतक निर्मल के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया। इसमें 20.12 लाख रुपये क्लेम राशि के रूप में और शेष 6% वार्षिक ब्याज जोड़कर भुगतान करने को कहा गया।

  • मृतक राज सोलंकी के परिवार को 16 लाख रुपये मुआवजा दिया गया।

  • दुर्घटना में घायल रोहित और राहुल के लिए 10 लाख रुपये की राशि मंजूर की गई।

न्याय की मिसाल बना कोर्ट का फैसला

इंदौर जिला कोर्ट का यह फैसला सड़क दुर्घटनाओं में मुआवजे को लेकर एक मिसाल बन सकता है। खासकर, गर्भस्थ शिशु को भी आश्रित मानने का निर्णय एक संवेदनशील और न्यायसंगत पहलू को उजागर करता है। इस फैसले से उन परिवारों को राहत मिली है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को एक दर्दनाक दुर्घटना में खो दिया था।

क्या है मुआवजा संबंधित कानूनी प्रावधान?

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 166 के तहत सड़क दुर्घटना में घायल या मृतक के आश्रित परिवार कोर्ट में मुआवजे के लिए दावा कर सकते हैं। यदि वाहन बीमित है, तो बीमा कंपनी को मुआवजा देना होगा। मुआवजा राशि का निर्धारण मृतक की आय, पारिवारिक आश्रितों और उम्र को ध्यान में रखकर किया जाता है। कोर्ट द्वारा दिया गया यह निर्णय भविष्य में अन्य मामलों के लिए एक उदाहरण साबित हो सकता है।

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