महू: पुलिस फायरिंग में गई आदिवासी युवक की जान, इलाके में धारा 144 लागू होने के बाद तनावपूर्ण शांति

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू में आदिवासी युवती की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद आक्रोशित लोगों पर पुलिस ने की फायरिंग
महू: पुलिस फायरिंग में गई आदिवासी युवक की जान, इलाके में धारा 144 लागू होने के बाद तनावपूर्ण शांति

भोपाल। इंदौर के महू में आदिवासी युवती की मौत के बाद हुए उग्र प्रदर्शन में एक आदिवासी युवक की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई। पुलिस और आदिवासी समाज के लोगों के बीच हुए टकराव के बाद प्रशासन ने महू में धारा 144 लगा दी है। यहाँ चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है। इधर, आदिवासी युवक की मौत का मामला विधानसभा में भी उठाया गया।

क्या है पूरा मामला?

इंदौर जिले में महू के बड़गोंदा थाना क्षेत्र में गत बुधवार को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही 23 वर्षीय आदिवासी युवती किराए के कमरे में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई। परिवारजनों ने मृतिका के साथ रेप व हत्या करने का आरोप लगाया। मामले में कार्यवाही की मांग को लेकर आदिवासियों ने शव को सड़क पर रख कर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प होने के बाद प्रदर्शन हिंसक रूप लेने लगा। पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया, आंसू गैस के गोले भी दागे। इसके बाद भीड़ आक्रोशित हो गई और पुलिस टीम पर पथराव कर दिया। इस बीच कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी जिस कारण एक आदिवासी युवक भैरूसिंह के पेट मे गोली लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

कलक्टर ने दिया आश्वासन

इंदौर कलक्टर इलैया टी राजा मृतक के घर पहुंचे और परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने परिवार को 10 लाख की सहायता राशि का चेक भी दिया। वहीं कहा कि अभी हमने उनकी आर्थिक मदद की है और आगे भी उनके परिवार का सभी बातों का ध्यान रखा जाएगा। उनके दूसरे बेटे की पढ़ाई का खर्च भी शासन उठाएगा। अभी इलाके में शांति है। कलक्टर ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए परिवार को मदद का आश्वासन दिया।

विधानसभा में हंगामा

मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में गुरुवार को दिन की कार्यवाही शुरू होते ही इंदौर महू में आदिवासी युवती की मौत का मुद्दा उठाया गया। इस मामले में सदन में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा, पुलिस को कमर के नीचे गोली चलाने के निर्देश होते हैं, उसके सीने पर गोली मारी गई। पूर्व मंत्री और महेश्वर से विधायक विजयलक्ष्मी साधो बोलीं- एफआईआर में 3 घंटे का गैप है। लाठीचार्ज कर सकते थे, सीधे गोली मार दी।

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विधानसभा में विधायक अशोक मर्सकोले ने कहा, आदिवासियों का मामला आता है तो ऐसे दबाया क्यों जाता है। इस पूरे मामले को ढंकने की कोशिश की गई है।

विधायक हीरालाल अलावा ने कहा- गोली चलाने का आदेश किसने दिया, चाहे गृहमंत्री ही क्यों न हों, उन पर कार्रवाई होना चाहिए। यह आदिवासी बर्बरता का सबसे बड़ा उदाहरण है, इसे हम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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