मध्य प्रदेश: करीला मेले में आईं आदिवासी नृत्यांगनाओं का एचआइवी टेस्ट!

स्वास्थ्य विभाग ने धार्मिक आयोजन से पहले कराया टेस्ट, महिला आयोग ने की आपत्ति, स्थानीय लोग भी कर रहे विरोध, सीएमएचओ को हटाया
मध्य प्रदेश: करीला मेले में आईं आदिवासी नृत्यांगनाओं का एचआइवी टेस्ट!

भोपाल। मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में भरने वाले करीला मेले में नृत्य करने वाली आदिवासी महिलाओं के एचआईवी टेस्ट के मामले ने तूल पकड़ लिया है। राज्य सरकार ने किरकिरी होते देख अशोकनगर जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. नीरज कुमार छारी को हटाकर संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल में पदस्थ करने के आदेश जारी किए हैं। नृत्य करने वाली महिलाओं का एचआईवी टेस्ट कराया गया था, जिसकी खबर प्रसारित होने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने कलेक्टर को पत्र लिखकर जवाब मांगा था।

क्या है पूरा मामला?

अशोकनगर के करीला में रंगपंचमी पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है। मान्यता है कि माँ जानकी मन्दिर में मन्नत के फलस्वरूप संतान प्राप्ति के बाद यहाँ पर इसी मौके पर पास के गांव के आदिवासी बेड़िया समाज की महिलाएं बधाई नृत्य प्रस्तुत करती हैं। यह सिलसिला वर्षों से मान्यता के रूप में चला आ रहा है, लेकिन इस बार मेले के पहले प्रशासन की तैयारियों के बीच नृत्यांगनाओं का एचआईवी टेस्ट कराया गया है। जिसकी खबरें स्थानीय स्तर पर प्रकाशित हुईं हैं।

इस मामले की जानकारी जब राष्ट्रीय महिला आयोग को मिली तब आयोग ने संज्ञान लेते हुए कलक्टर को पत्र भेजकर जवाब मांग लिया। आयोग ने नृत्यांगनाओं को सम्मान के साथ जीने के अधिकार का घोर उल्लंघन बताया है। हालांकि मामला तूल पकड़ने के बाद अशोक नगर का स्वास्थ्य महकमा एचआईवी टेस्ट से मुकर गया। स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ ने दावा किया था कि बाहर से आई टीम ने नृत्यांगनाओं की जांच की है। मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है और अशोक नगर के सीएमचओ को हटा दिया है।

यह है मान्यता

मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित करीला धाम है। यहां माता सीता का मंदिर है। कहा जाता है कि जब भगवान राम ने माता सीता को त्याग दिया था तो वनवास के दिनों में माता सीता ने यहीं पर लव और कुश को जन्म दिया था और उस समय स्वर्ग से अप्सराओं ने यहां आकर बधाई नृत्य किया था। इसी मान्यता के आधार पर इस मंदिर पर हर साल रंगपंचमी पर मेला लगता है। जिन लोगों की यहाँ मन्नत पूरी होती है। संतान की प्राप्ति होती है, वह श्रद्धालु बेड़िया समाज और अन्य नृत्य करने वाली महिलाओं का नृत्य करवाते हैं, जिसके लिए महिलाओं को पैसे दिए जाते हैं।

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