कोरबंग आदिवासी विलुप्ति के कगार पर!

कोरबंग आदिवासी विलुप्ति के कगार पर!

अक्टूबर, 2021 में ट्राइब एक्सपर्ट त्रिपुरा की आदिवासी जनजातियों पर एक रिपोर्ट पेश हुई थी। इस रिपोर्ट में एक चौंकाने वाली बात जो सामने आई थी वो यह थी कि त्रिपुरा में हेलम कम्युनिटी की एक उप जनजाति कोरबंग विलुप्त होने वाली है। उस समय उस जनजाति में ढाई सौ लोग जीवित थे। रिपोर्ट जारी होने के एक साल बाद भी इस उपजाति के सरंक्षण को लेकर सरकार द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। अब स्थिति और भी बदतर बताई जाती है क्योंकि इस जनजाति में केवल 124 लोग बचे हैं।

जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट के खुलासे के बाद बहुत हंगामा हुआ था जिसके बाद 18 अक्टूबर 2021 में त्रिपुरा हाई कोर्ट ने इस संबध में एक मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस समुदाय पर सर्वे कर 9 नवंबर 2021 को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। इस रिसर्च रिपोर्ट को तैयार करने में 3 महीने लग गए लेकिन फील्ड पर काम शुरू होने में पूरा साल लग गया। जनवरी 2023 में कोरबंग जनजाति के लोगों के पूर्वजों का पता लगाने के लिए ब्लड सैंपल लिए गए परंतु महीना बीत जाने के बाद भी अब तक इनकी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।

कोरबंग आदिवासी विलुप्ति के कगार पर!
दलित-आदिवासी साहित्यकारों को मिले प्रतिनिधित्व

क्यों विलुप्त हो रही है कोरबंग उपजाति?

चीफ जस्टिस इंद्रजीत मेहंती और जस्टिस शुभाशीष तालापात्रा की खंडपीठ ने कोरबंग आदिवासियों के विलुप्त होने के कारणों का पता लगाने वाली टीम के लिए सीनियर वकील हरकिशन भूमि को न्याय मित्र बनाया था। इस टीम का उन इलाकों का दौरा करना भी है जहां कारबंग लोग रहते हैं। इसके साथ उनकी जरूरतें और उनके विलुप्त होने के कारणों का भी पता लगाना है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वहां के लोगों की आबादी घटने की वजह लड़कियों की ज्यादा संख्या होना और उनका अन्य कबीले में विवाह होना बताया जाता है। इनके बच्चों की संख्या भी एक और दो तक सीमित हो गई है जिससे इनकी आबादी घट रही है। विलुप्ति के ठोस कारण जानने के लिए इनके ओरिजिन यानी पूर्वजों के बारे में जानना आवश्यक माना जा रहा है और इसके लिए ब्लड सैंपल लिए गए हैं। ज्यादातर इस जनजाति की बसाहट साउथ त्रिपुरा, ढलाई, खवाई में हैं।

इस मामले में एक्सपर्ट राय जानने के लिए द मूकनायक ने जाने माने मानव विज्ञान शास्त्री प्रोफेसर विजोय शंकर सहाय से बात की। प्रोफेसर सहाय अंडमान निकोबार की विभिन्न आदिवासी जनजातियों पर रिसर्च कर चुके हैं। कोरबंग आदिवासी जनजाति के विलुप्त होने के सवाल पर उन्होंने बताया कि आदिवासी जनजातियों का आंकड़ा घटता-बढ़ता रहता है, और यह बात सत्य है कि कोरबंग जनजाति विलुप्त हो रही हैं। कई ऐसे कारण हो सकते हैं जिससे जनजाति खत्म हो रही है परंतु इसका एक कारण एक ही गोत्र में शादी नहीं करना हो सकता, यह भी हो सकता है कि इनकी संख्या इसलिए इतनी कम है क्योंकि ज्यादातर सभी आदिवासी जनजातियां एक ही गोत्र में शादी नहीं करते हैं। सहाय बताते हैं कि एक ही गोत्र के लोग भाई बहन कहलाए जाते हैं। यह कारण भी हो सकता है और पूर्वजों का ब्लड सैंपल लेने पर ही इसकी पुख्ता जानकारी मिल सकेगी कि यह जनजाति क्यों खत्म होने के कगार पर है।

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