दलित-आदिवासी साहित्यकारों को मिले प्रतिनिधित्व

साहित्यकारों के प्रतिनिधिमण्डल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे से मुलाकात की, वहीं दलित महिला आयोग गठन की मांग की।
दलित-आदिवासी साहित्यकारों को मिले प्रतिनिधित्व

नई दिल्ली। अम्बेडकरवादी लेखक मंच, आल इंडिया दलित लेखिका मंच, संबुद्ध महिला संगठन, स्त्रीकाल पत्रिका व दलित लेखक संघ की पूर्व कार्यकारिणी सदस्यों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमण्डल ने गत दिनों कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे से मुलाकात की। इस दौरान कांग्रेस शासित राज्यों की साहित्य व संस्कृति अकादमियों में दलित आदिवासी व महिला साहित्यकारों को उचित प्रतिनिधित्व व दलित महिला आयोग गठन की मांग की।

स्त्रीकाल के सम्पादक संजीव चंदन ने बताया कि संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत चलने वाले विभिन्न साहित्य और कला अकादमियों में प्रतिनिधित्व का बेहद अभाव है। आज देश की अलग-अलग भाषाओं में महिला लेखकों, दलित लेखकों, दलित-महिला लेखकों, आदिवासी लेखकों, आदिवासी-महिला लेखकों ने एक पहचान बनायी है, लेकिन इन अकादमियों में उनका प्रतिनिधित्व बेहद कम है या नहीं है। राज्यों की अकादमियों ने यद्यपि दलित साहित्य अकादमी की स्थापना की है। जैसे पश्चिम बंगाल में दलित साहित्य अकादमी पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थापित की है, जो एक अच्छा उदाहरण है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से सदस्यों ने साहित्य अकादमियों संस्कृति अकादमियों राज्यों की अकादमियों में एससी एसटी ओबीसी लेखिकाओं महिलाओं की अनुपस्थित पर विचार-विमर्श किया। अकादमियों में वंचित समाज से आने वाले लेखक कवि व साहित्यकारों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने व चयन में भेदभाव करने की समस्या से अवगत कराया गया।

इसके साथ ही कांग्रेस शासित राज्यों में दलित साहित्य अकादमी दलित महिला आयोग, अकादमियों में एससी/एसटी ओबीसी माइनॉरिटी महिलाओं की भागीदारी और सिरपुर में बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना की पहल की मांग रखी। महिला आरक्षण में ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने पर भी चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री को सौंपा मांगपत्र

प्रतिनिधि मण्डल सदस्य अनीता भारती ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष से पहले आकदमियों में वंचित समाज के साहित्यकार कवि व लेखकों को प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र भेजा गया था जिसपर तीन सौ दलित साहित्य जगत के लोगों ने हस्ताक्षर किए थे। इसक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात करके कांग्रेस शासित प्रदेशोें के लिए भी मांग रखी गई है।

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