MP के बड़वानी में जयस का धरना: सरकारी कार्यालयों में आदिवासियों से स्टांप शुल्क वसूली के खिलाफ प्रदर्शन

भारत में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए कई सरकारी कार्यों में स्टांप शुल्क छूट का प्रावधान किया गया है।
जयस ने किया प्रदर्शन
जयस ने किया प्रदर्शन
Published on

भोपाल। जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजू पटेल के नेतृत्व में सैकड़ों आदिवासी युवाओं ने नगर के पुराने राजपुर एसडीएम कार्यालय के बाहर सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया। जयस ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश सरकार ने आदिवासियों और दलितों को स्टांप शुल्क से छूट प्रदान की है, लेकिन इसके बावजूद शासकीय कार्यालयों में उनसे स्टांप पेपर पर शपथ पत्र मांगा जा रहा है। इतना ही नहीं, कई स्थानों पर नोटरी से प्रमाणित शपथ पत्र की मांग की जा रही है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ डाला जा रहा है।

एक माह पहले सौंपा गया था ज्ञापन

जयस ने बताया कि एक माह पूर्व उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कलेक्टर और तहसीलदार पाटी को ज्ञापन सौंपा था। इसमें जिले के लोक सेवा केंद्रों पर जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवश्यक शपथ पत्रों की जांच की मांग की गई थी। बावजूद इसके, प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आदिवासियों का आर्थिक शोषण प्रशासन की अनदेखी में जारी है। जयस का कहना है कि जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अब पालकों के अलावा दो अन्य व्यक्तियों के शपथ पत्र भी अनिवार्य किए जा रहे हैं, जिससे एक परिवार पर 600 से 700 रुपये तक का अतिरिक्त आर्थिक भार आ रहा है।

आदिवासियों पर बढ़ रहा आर्थिक बोझ

जयस ने धरना प्रदर्शन में बताया कि शपथ पत्र बनाने की प्रक्रिया में तीन लोगों को अपनी एक दिन की मजदूरी छोड़कर कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यह आदिवासी और दलित समुदायों के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। जयस ने मांग की कि इस शोषण को तत्काल रोका जाए और सभी शासकीय कार्यों में स्टांप पेपर और नोटरी की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए।

जल, जंगल और जमीन के अधिकारों की रक्षा की मांग

धरना स्थल पर जयस के जिला प्रभारी मुन्ना मोरे ने कहा कि सरकार धीरे-धीरे वनों का निजीकरण कर रही है, जबकि जल, जंगल और जमीन के प्राकृतिक संरक्षक स्वयं आदिवासी हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन उनकी मांगे नहीं मानता तो जयस इस मुद्दे को विधानसभा में विधायकों के माध्यम से उठाएगा और बड़े पैमाने पर आंदोलन करेगा।

विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि आदिवासी समुदाय से स्टांप ड्यूटी बसूलना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने इसे आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और कहा कि सरकार को तुरंत इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि वे इस मुद्दे को विधानसभा में जोरशोर से उठाएंगे और सरकार व प्रशासन से जवाब मांगेंगे। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि आदिवासी समाज का शोषण बंद होना चाहिए, नहीं तो इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

आंदोलन की चेतावनी

जयस ने ऐलान किया कि यदि प्रशासन जल्द ही इस मुद्दे पर सकारात्मक कदम नहीं उठाता तो वे क्रमिक रूप से आंदोलन करेंगे। इस दौरान भागीरथ वास्कले, कमलेश जाधव, मुकेश पटेल, सुनील बघेल, हमीर सोलंकी, राजू मोरे, निर्मल नरगांवे, अनिल नरगांवे, कमल अलावा, राकेश अलावा, बबलू भाबर सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

क्या कहता है कानून?

भारत में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए कई सरकारी कार्यों में स्टांप शुल्क छूट का प्रावधान किया गया है। मध्य प्रदेश स्टांप अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्तियों को कुछ मामलों में स्टांप शुल्क से मुक्त किया गया है। इसके बावजूद, यदि सरकारी कार्यालयों में उनसे स्टांप पेपर मांगा जा रहा है, तो यह नियमों का उल्लंघन है और प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है।

जयस ने किया प्रदर्शन
MP हरदा मंडी घोटाला: मोदी कैबिनेट के मंत्री उइके के प्रतिनिधि कमल पटेल और उनके बेटे पर जांच की मांग, फर्जी नोटशीट से मंडी की जमीन पर खुलवाया था पेट्रोल पंप
जयस ने किया प्रदर्शन
MP: राजधानी भोपाल में मासूम बच्ची से अश्लील हरकत, 55 वर्षीय आरोपी गिरफ्तार
जयस ने किया प्रदर्शन
MP नर्सिंग घोटाला: पूर्व रजिस्ट्रार अनीता चांद निलंबित, हाईकोर्ट की सख्ती के बाद हुई कार्रवाई

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com