विश्वनाथन से दर्शन तक: नहीं थम रहा जातिगत उत्पीड़न से भारत में मासूमों की मौत का सिलसिला

बीते दिनों दो भिन्न मामलों में दो मासूम व्यक्ति जातिगत हिंसा और उत्पीड़न के शिकार हुए जो देश मे व्याप्त सामाजिक भेदभाव की कुरूपता उजागर करता है। आईआईटी -बॉम्बे में एक 18 वर्षीय दलित छात्र ने होस्टल के 7वे माले से कूद के जान दे दी, वहीं केरल के कोझिकोड में एक आदिवासी युवा ने अपने ऊपर चोरी के लांछन लगने से दुःखी होकर खुदकुशी कर ली।
विश्वनाथन से दर्शन तक: नहीं थम रहा जातिगत उत्पीड़न से भारत में मासूमों की मौत का सिलसिला

वायनाड निवासी विश्वनाथन और उनकी पत्नी बिंदु बेहद खुश थे। विवाह के 8 सालों बाद आखिर भगवान ने उन्हें संतान सुख दिया था। बिंदु ने फरवरी 9 को कोझिकोड के सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एक बच्चे को जन्म दिया। विश्वनाथ अभी अपने बच्चे को जीभर दुलार भी नहीं पाया था। हॉस्पिटल में अपनी पत्नी की देखरेख करने आये विश्वनाथन को जाने क्यों लोगों ने चोर समझ लिया। बिना किसी सबूत या साक्ष्य के अस्पताल के सिक्योरिटी स्टॉफ द्वारा उंसे बार बार अपमानित किया गया और कथित रूप से भीड़ द्वारा उसकी पिटाई भी की गई। विश्वनाथन इतना भयभीत था कि 10 फरवरी को वह अपने कपड़े, फोन और कुछ अन्य सामान एक प्लास्टिक बैग में अस्पताल में ही छोड़कर कहीं चला गया। उसकी सास ने पुलिस को उसकी मिसिंग रिपोर्ट दी, लेकिन उसे गंभीरता से नही लिया गया। 11 फरवरी को विश्वनाथन की लाश हॉस्पिटल के समीप एक पेड़ से लटकी मिली

पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला मानकर प्रकरण दर्ज किया, लेकिन परिवार वाले ये कतई स्वीकारने को तैयार नहीं थे कि जो विश्वनाथन वर्षों बाद संतान प्राप्ति की खुशी में फूला नहीं समा रहा था, वो आत्महत्या कैसे के सकता है? बिंदु पर तो मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले पति के असामयिक मौत से वह स्तब्ध है। दूधमुहे बच्चे को सीने से लगाए रह रहकर वह फफक पड़ती है।

आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विश्वनाथन की संदिग्ध मौत की खबर आग की तरह फैल गई। एक बार फिर आदिवासी और दलित समुदायों के साथ होने वाले जातिगत उत्पीड़न को लेकर सामाजिक और मानवाधिकारों के हिमायती एकजुट हो गए। 46-वर्ष मृतक के शरीर पर जगह जगह चोट के निशान, सूजे हुए चेहरे और हाथ पांवों पर नील निशान कई सवाल खड़े कर रहे थे। विश्वनाथन का अंतिम संस्कार गत रविवार को उनके आवास पर हुआ। इस बीच, मेडिकल कॉलेज के सहायक पुलिस आयुक्त के. सुदर्शन ने कहा कि प्रथम दृष्टया विश्वनाथन पर भीड़ के हमले का कोई साक्ष्य नहीं मिला है. आरोपी सुरक्षाकर्मी का बयान दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि अभी कई लोगों के बयान दर्ज किए जाने बाकी हैं और जांच चल रही है। मेडिकल कॉलेज के पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है, जिसमें विश्वनाथन पर सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा चोरी का आरोप लगाए जाने के बाद उससे पूछताछ के दृश्य भी शामिल हैं। हाल ही वायनाड के सांसद राहुल गांधी ने विश्वनाथन के घर जाकर शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी एवं मामले की उच्च स्तरीय जांच का आश्वासन भी दिया। केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी मामले में प्रसंज्ञान लेते हुए पुलिस से पांच दिन में रिपोर्ट तलब की है।

आईआईटी बॉम्बे के छात्र ने सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या की,ट्वीटर पर घमासान

महाराष्ट्र में आईआईटी बॉम्बे के 18 साल के छात्र दर्शन सोलंकी ने 12 फरवरी की दोपहर संस्थान के परिसर में छात्रावास की सातवीं मंजिल से कथित रूप से कूदकर जान दे दी।पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। पुलिस ने इस मामले में आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया है। हालांकि एक छात्र समूह ने आरोप लगाया है कि कैंपस में अनुसूचित जाति के छात्रों के साथ भेदभाव के कारण उसने आत्महत्या की।

आईआईटी मुम्बई में अहमदाबाद का रहने वाला दर्शन सोलंकी बीटेक का छात्र था। उसने महज तीन महीने पहले ही इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लिया था। उसकी पहली सेमेस्टर की परीक्षा शनिवार को समाप्त हुई थी। 12 फरवरी को छात्रावास की सातवीं मंजिल की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली। फिलहाल पवई पुलिस आत्महत्या के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।

ट्वीटर पर मौत को लेकर मचा घमासान

कॉलेज के अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल ने टवीट कर इस आत्महत्या को संस्थागत हत्या करार दिया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा ‘हम एक 18 वर्षीय दलित छात्र दर्शन सोलंकी के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं, जो 3 महीने पहले अपने बीटेक के लिए IIT बॉम्बे में शामिल हुए थे। हमें यह समझना चाहिए कि यह एक व्यक्तिगत मामला नहीं है, लेकिन एक संस्थागत हत्या है।”

APPSC ने ट्वीट में लिखा-"शिकायतों के बावजूद संस्थान ने दलित बहुजन आदिवासी छात्रों के लिए स्थान को समावेशी और सुरक्षित बनाने की परवाह नहीं की। प्रथम वर्ष के छात्रों को आरक्षण विरोधी भावनाओं और गैर-योग्य और गैर-योग्यता के ताने के मामले में सबसे अधिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

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