
गुवाहाटी: असम की राजनीति और सामाजिक समीकरणों के लिहाज से एक बेहद अहम घटनाक्रम में, मंत्रियों के समूह (GoM) ने राज्य विधानसभा में अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार से सिफारिश की गई है कि असम के छह अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए।
इस रिपोर्ट के साथ ही राज्य में आरक्षण के ढांचे में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है, जिसका असर भविष्य में सरकारी नौकरियों, शिक्षा और चुनाव पर दिखना तय है।
किसे किस श्रेणी में मिलेगी जगह?
GoM की रिपोर्ट ने इन समुदायों के वर्गीकरण के लिए एक नया फार्मूला पेश किया है:
ST (वैली/घाटी): रिपोर्ट में एक बिलकुल नई श्रेणी 'ST (वैली)' बनाने का प्रस्ताव है। इसमें अहोम, चुटिया, कोच राजवंशी (अविभाजित गोलपाड़ा जिले को छोड़कर) और चाय जनजाति व आदिवासियों को शामिल करने की बात कही गई है।
ST (प्लेन्स/मैदानी): वहीं, मोरान, मटक और कोच राजवंशी (गोलपाड़ा) समुदायों के लिए मंत्रियों के समूह ने 'ST (प्लेन्स)' दर्जे की सिफारिश की है।
इस नए वर्गीकरण के लागू होने के बाद असम में अनुसूचित जनजातियों को तीन स्पष्ट श्रेणियों में बांटा जाएगा — ST (मैदानी), ST (पहाड़ी) और ST (घाटी)।
आरक्षण और कोटे पर क्या होगा असर?
यह नई व्यवस्था संवैधानिक या वैधानिक तंत्र के माध्यम से राज्य स्तर पर रोजगार, शिक्षा और संसद व विधानसभा में राजनीतिक प्रतिनिधित्व को प्रभावित करेगी।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि ST (वैली) श्रेणी का अपना अलग आरक्षण कोटा होगा। राज्य सरकार की भर्तियों और शिक्षण संस्थानों के लिए इनके अलग रोस्टर और रिक्ति रजिस्टर तैयार किए जाएंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रिपोर्ट में आश्वासन दिया गया है कि मौजूदा ST (पहाड़ी) और ST (मैदानी) के कोटे पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे और उनमें कोई कटौती नहीं की जाएगी।
हालाँकि, रिपोर्ट में अभी तक केंद्र सरकार की नौकरियों या केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को अलग करने के लिए किसी तंत्र की पहचान नहीं की गई है। इसके अलावा, अविभाजित गोलपाड़ा के कोच राजवंशी समुदाय के लिए सिफारिशें एक शर्त के साथ हैं— बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) क्षेत्रों के लिए उन्हें काउंसिल से 'अनापत्ति प्रमाण पत्र' (NOC) प्राप्त करना होगा।
चाय बागान समुदायों के लिए सुझाव
चाय बागान समुदायों के मामले में, GoM ने सुझाव दिया है कि ऐसे 35 समूह जो अभी तक राज्य की OBC सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें तत्काल इसमें जोड़ा जाए। इससे भविष्य में उनके लिए ST या SC दर्जे की संभावनाओं की जांच का रास्ता साफ हो सकेगा।
'फैसले की घड़ी' और आधार
अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया, "मंत्रियों के समूह का मानना है कि असम अब छह समुदायों की दशकों पुरानी आकांक्षाओं को पूरा करने के साथ-साथ मौजूदा अनुसूचित जनजातियों की पहचान और अधिकारों की रक्षा करने के एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है।"
इन समुदायों को शामिल करने का आधार उनका सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन बताया गया है। इसके लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सिफारिशों और केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी का हवाला दिया गया है।
विरोध और जश्न का मिला-जुला माहौल
शनिवार को विधानसभा में रिपोर्ट पेश होने से कुछ घंटे पहले ही राज्य में इसके पक्ष और विपक्ष में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। विरोध की कड़ी में, निचले असम के कोकराझार में, जो BTC का मुख्यालय है, विरोध प्रदर्शन भड़क उठे। संभावित फैसले के विरोध में छात्रों ने सचिवालय में तोड़फोड़ की।
वहीं जश्न को लेकर, इसके ठीक उलट, ऊपरी असम में, जहां इन छह समुदायों की बहुतायत है, वहां खुशी की लहर दौड़ गई और लोगों ने जश्न मनाया।
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