नई दिल्ली: असम का बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) देश का पहला ऐसा जनजातीय परिषद क्षेत्र बन गया है जिसने अपने सभी भूमि अभिलेखों को पूरी तरह डिजिटाइज कर लिया है। यह उपलब्धि संविधान की छठी अनुसूची के तहत गठित परिषदों में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
अधिकारियों के मुताबिक, 8,970 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले BTR में 15 लाख से अधिक भूमि संबंधी दस्तावेज, जिनमें टेक्स्ट और नक्शे शामिल हैं, डिजिटाइज किए जा चुके हैं। यह काम कुछ ही सप्ताह पहले पूरा हुआ है, जिससे दशकों से चल रही मैनुअल रिकॉर्ड-कीपिंग की प्रक्रिया का अंत हो गया।
उत्तर-पूर्व भारत में छठी अनुसूची के तहत कुल 10 स्वायत्त जनजातीय परिषदें हैं— जिनमें से असम, मेघालय और मिजोरम में तीन-तीन, जबकि त्रिपुरा में एक परिषद है। असम की करबी आंगलोंग-वेस्ट करबी आंगलोंग और दीमा हासाओ परिषदें, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) से लगभग पाँच दशक पहले स्थापित की गई थीं। वहीं, BTC की स्थापना वर्ष 2003 में हुई थी।
BTC फिलहाल उत्तर और पश्चिम असम के पाँच जिलों का प्रशासन संभालती है।
छठी अनुसूची जनजातीय क्षेत्रों को भूमि, वन और स्थानीय शासन से जुड़े मामलों में विशेष अधिकार देती है। इसके बावजूद इन परिषदों को संसाधनों की कमी, आधारभूत ढाँचे की चुनौतियाँ और प्रशासनिक दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
BTR प्रशासन ने इन बाधाओं को दूर करने के लिए तकनीक-आधारित शासन प्रणाली अपनाई है। अधिकारियों के अनुसार, ई-ऑफिस सिस्टम और डिजिटल इंडिया मिशन की तर्ज़ पर काम करते हुए परिषद ने यह बड़ा बदलाव किया है।
BTC के सचिव धीरज साउद ने बताया कि यह प्रक्रिया वर्ष 2023 में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य भूमि स्वामित्व में पारदर्शिता लाना और पारंपरिक भूमि स्वामित्व पैटर्न को सरल बनाना था।
उन्होंने बताया, “इस प्रक्रिया में बाक्सा, चिरांग, कोकराझार, तमुलपुर और उदलगुड़ी— सभी ज़िलों में ज़मीनी स्तर पर सर्वे किए गए। पुराने अभिलेख, जिनमें कई दशकों पुराने दस्तावेज शामिल थे, डिजिटाइज किए गए और उन्हें राजस्व अभिलेखों तथा नक्शों से मिलान किया गया।”
भूमि सीमाओं की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) मैपिंग का उपयोग भी किया गया।
इस डिजिटाइजेशन ने BTR सरकार के मिशन ब्विस्मुथि 2.0 को भी नई गति दी है। इस साल की शुरुआत में शुरू की गई इस योजना के तहत 47,000 भूमिहीन स्वदेशी परिवारों को भूमि अधिकार दिए गए, जिनमें लगभग 9,000 छोटे चाय उत्पादक और रबर किसान भी शामिल थे।
इसके पहले चरण में भूमि से जुड़ी 14 सेवाएँ उपलब्ध कराई गईं और अब तक 2.11 लाख से अधिक आवेदन निपटाए जा चुके हैं।
नए डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए अब किसान, भूमिधर और आम नागरिक कियोस्क, मोबाइल एप्लिकेशन और वेब पोर्टल के माध्यम से अपनी ज़मीन से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हमारे क्षेत्र में भूमि विवाद अक्सर सामाजिक तनाव का कारण बने हैं। डिजिटाइजेशन से पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और भ्रष्टाचार, जालसाज़ी व संघर्ष की संभावनाएँ काफी हद तक कम हो जाएँगी।”
अधिकारियों का मानना है कि BTR में भूमि अभिलेखों का डिजिटाइजेशन और ई-ऑफिस प्रणाली उत्तर-पूर्व की अन्य स्वायत्त परिषदों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन चुका है।
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