MP में आदिवासी छात्रावास में 14 छात्र बीमार - एक की मौत, लापरवाही पर उठे सवाल

प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच दल गठित किया है। छात्रावास से भोजन सामग्री और पानी के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए गए हैं।
मौके पर पहुँचीं जांच टीम
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भोपाल। मध्य प्रदेश के जबलपुर कुंडम तहसील स्थित आदिवासी छात्रावास में 20 अगस्त की रात अचानक बड़ा हादसा हो गया। छात्रावास में रहने वाले 14 बच्चे एक साथ बीमार पड़ गए, जिनमें से 14 वर्षीय छात्र राजाराम धुर्वे की मौत हो गई। आशंका जताई जा रही है कि बच्चों की तबीयत फूड पॉइजनिंग से बिगड़ी। घटना के बाद से पूरे इलाके में आक्रोश और चिंता का माहौल है। प्रशासन ने तत्काल जांच शुरू कर दी है और छात्रावास अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया है।

20 अगस्त की रात बच्चों ने छात्रावास में भोजन किया। रात में ही कुछ बच्चों ने उल्टी, दस्त और पेट दर्द की शिकायत की। देखते ही देखते 14 बच्चे बीमार हो गए। छात्रावास प्रबंधन ने बच्चों को नजदीकी निजी डॉक्टर के पास ले जाकर प्राथमिक इलाज कराया। लेकिन हालत गंभीर होने पर राजाराम धुर्वे को तहसील स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया।

घर ले जाने पर बिगड़ी स्थिति

डॉक्टरों ने राजाराम को निगरानी में रखने की सलाह दी थी। लेकिन गुरुवार शाम उसके परिजनों ने उसे अस्पताल से जबरन डिस्चार्ज करा लिया और घर ले गए। घर पहुंचने के बाद देर रात राजाराम की तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।

बच्चों के बयान में खुलासा

घटना की जानकारी मिलते ही जिला पंचायत सीईओ अभिषेक गहलोत, जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सिंह और सहायक आयुक्त सीके दुबे छात्रावास पहुंचे। अधिकारियों ने बीमार बच्चों से बातचीत कर उनके बयान दर्ज किए। इस दौरान बच्चों ने अधिकारियों को बताया कि छात्रावास अधीक्षक लंबे समय से अनुपस्थित रहते थे और यहां की व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं देते थे।

बच्चों ने यह भी शिकायत की कि छात्रावास में बने भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब थी। कई बार खाने में बदबू आती थी और समय पर भोजन भी उपलब्ध नहीं कराया जाता था। बच्चों के इन बयानों को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने छात्रावास अधीक्षक गजेंद्र को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

आदिवासी छात्रावास की कुल क्षमता 46 बच्चों की है, लेकिन घटना के दिन छात्रावास में केवल 14 बच्चे ही मौजूद थे। रात का भोजन करने के बाद सभी 14 बच्चों की अचानक तबीयत बिगड़ गई और उन्हें उल्टी-दस्त की शिकायत हुई। इससे छात्रावास प्रशासन और अभिभावकों में हड़कंप मच गया।

बीमार बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद 11 बच्चों को स्वस्थ पाकर डिस्चार्ज कर दिया गया। हालांकि 2 बच्चे अब भी अस्पताल में भर्ती हैं और डॉक्टर लगातार उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

प्रशासन ने शुरू की जांच

प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच दल गठित किया है। छात्रावास से भोजन सामग्री और पानी के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि बच्चों की तबीयत फूड पॉइजनिंग से बिगड़ी या किसी अन्य कारण से।

जिला पंचायत सीईओ अभिषेक गहलोत ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य से खिलवाड़ किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि जांच में लापरवाही या भोजन-पानी की खराब गुणवत्ता साबित होती है, तो दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

बाल आयोग ने लिया संज्ञान

द मूकनायक से बातचीत में मध्यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने कहा कि आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए कलेक्टर से जांच प्रतिवेदन मांगा है। इसके साथ ही आयोग की एक टीम रविवार को स्वयं मौके पर जाकर स्थिति का आकलन करेगी।

उन्होंने आगे कहा, कि आयोग इस तरह की घटनाओं को लेकर बेहद गंभीर है। जो भी व्यक्ति इस मामले में दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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